गोरखपुर में हुई लाठीचार्ज के पुराने वीडियो को कानपुर हिंसा से जोड़ा जा रहा है।

False Social

यह वीडियो हाल ही में कानपुर में हुये हिंसा का नहीं है। यह वर्ष 2019 का वीडियो है, जब गोरखपुर में पुलिस ने सीएए का विरोध कर रहे लोगों पर लाठीचार्ज किया था।

हाल ही में भाजपा की तत्कालीन प्रवक्ता नुपुर शर्मा ने एक डिबेट शो में मुस्लिम समुदाय के संस्थापक पैगम्बर मुहम्मद के बारे में विवादित बयान दिया था। इस वजह से कानपुर में हिंसा उमड़ पड़ी। इसी बीच पुलिस लाठीचार्ज का एक वीडियो बहुत तेज़ी से साझा किया जा रहा है।

दावा किया जा रहा है कि यह वीडियो हाल ही में कानपुर में हो रही हिंसा से संबन्धित है और पुलिस प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज कर रही है।

वायरल हो रहे पोस्ट के साथ लिखा है, “यह विशाल भंडारा कानपुर में योगी जी के जन्मदिन के अवसर पर चल रहा है। जिन्हें भी विशाल भंडारे में प्रसाद लेना चाहते हैं तो वह लाइन से क्रम बद्ध होकर अवश्य पधारें। उन्हें प्रसाद संपूर्ण रूप से दिया जाएगा ताकि दोबारा आपको प्रसाद लेने की आवश्यकता ना पड़े। तो विशाल भंडारे में आइए और प्रसाद ग्रहण कीजिए। आप ही का प्रसाद है और आप ही को दिया जा रहा है। जैसा आप ने बनाया है वैसा ही आप को परोसा जा रहा है।“ (शब्दश:)

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अनुसंधान से पता चलता है कि…

इस वीडियो को ध्यान में रखकर हमने यूट्यूब पर कीवर्ड सर्च किया। हमें हिंदुस्तान लाइव के आधिकारिक चैनल पर 20 दिसंबर 2019 को प्रसारित किया हुआ मिला।

इसमें 1.07 मिनट से लेकर आगे तक आप वायरल हो रहे वीडियो को देख सकते है।

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इसके साथ दी गयी जानकारी में बताया गया है कि गोरखपुर में शुक्रवार को जुम्मे की नमाज़ के बाद घंटाघर क्षेत्र में स्थित जामा मस्जिद से निकले लोगों ने उनके हाथ में काली पट्टी बांधकर विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान उन्होंने पत्थर चला दिया और महौल बिगड़ गया। पथराव बढ़ गया और इसको नियंत्रण में लाने के लिये पुलिस ने आंसु गैस के गोले छोड़े। इस बीच कुछ पुलिसकर्मी और प्रदर्शनकारी घायल हुये थे।

19 दिसंबर 2019 को प्रकाशित दैनिक भास्कर के वेबसाइट पर प्रकाशित लेख में बताया गया है कि उस समय उत्तर प्रदेश के 18 जिलों में सीएए के खिलाफ प्रदर्शन किया गया था। उस दौरान पुलिस ने जगह- जगह पर पथराव किये थे। पुलिस के वाहनों की तोड़फोड़, आगजनी हुई। सरकार ने 20 जिलों में इंटरनेट बंद किया। उस दौरान 3  हजार से ज्यादा लोगों को हिरासत में लिया गया था।


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निष्कर्ष: तथ्यों की जाँच के पश्चात हमने पाया कि वायरल हो रहे वीडियो के साथ किया गया दावा गलत है। यह वीडियो वर्ष 2019 में गोरखपुर में हुये लाठीचार्ज का है। इसका हाल ही में कानुपर में हुये हिंसा से कोई संबन्ध नहीं है।

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Title:गोरखपुर में हुई लाठीचार्ज के पुराने वीडियो को कानपुर हिंसा से जोड़ा जा रहा है।

Fact Check By: Samiksha Khandelwal 

Result: False