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पूर्व न्यायाधीश रंजन गोगोई ने नाम से बने फर्जी अकाउंट से फिर हुआ विवादास्पद ट्वीट |

False National
September 22, 2021January 11, 2022Aavya Ray

भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश व वर्तमान में भा.ज.पा के राज्यसभा सांसद रंजन गोगोई के नाम से अकसर सोशल मंचों पर भ्रामक रूप से उनके नाम को जोड़ फर्जी  वक्तव्यों को वायरल किया जाता रहा है। फैक्ट क्रेसेंडो ने पूर्व में भी उनके नाम से फ़ैल रहे कई विवादास्पद दावों की प्रमाणिकता अपने पाठकों तक पहुंचाई है । 

उनके नाम से वर्तमान में एक खबर वायरल होती दिख रही है जहाँ उनके ही नाम से बने एक ट्विटर अकाउंट से भारतीय संविधान व उसके अनुच्छेदों को लेकर एक सांप्रदायिक व विवादित टिप्पणी दी है, इस ट्वीट के अनुसार उनके द्वारा कथित तौर पर ये बोला गया है कि संविधान का “अनुच्छेद ३०” जहाँ एक और मदरसों को कुरान पढ़ाने की अनुमति देता है वहीं अनुच्छेद “३०A” गुरुकुलों और स्कूलों में हिन्दू पुराणों को पढ़ाने की आज़ादी छीन लेता है | 

पोस्ट में दी गई तस्वीर में लिखा गया है कि 

“#संविधान का अनुच्छेद 30 “मदरसों” में कुरान व हसीन पढ़ाने की छूट देता है, लेकिन “अनुच्छेद 30A” “गुरुकुलों” व “स्कूलों” में महाभारत, रामायण, वेद, पुराण व गीता पढ़ाने की बिलकुल छूट नहीं देता | हिन्दुओं के साथ ऐसा “दोगलापन” व्यवहार क्यों ? अब समय आ गया है अब इसे बदलना चाहिए |”

(शब्दशः)

वायरल हो रहे पोस्ट को लगभग ३००० बार शेयर किया गया है |

फेसबुक पर वायरल हो रहा पोस्ट |

फेसबुक पोस्ट 

अनुसंधान से पता चलता है कि….

फैक्ट क्रेसेंडो ने जाँच के दौरान पाया कि उपरोक्त खबर गलत व भ्रामक है। फैक्ट क्रेसेंडो से बात करते हुये रंजन गोगोई ने यह स्पष्ट किया गया कि उनका किसी भी सोशल मंच पर कोई अकाउंट नहीं है और उनके विषय में फ़ैल रहा सम्बंधित दावा गलत है।

जाँच की शुरुवात हमने ये जानने से की कि अनुच्छेद ३० और अनुच्छेद ३०ए क्या हैं,  संविधान का अनुच्छेद ३० अल्पसंख्यकों को धर्म और भाषा पर आधारित अपनी पसंद के शिक्षण संस्थानों की स्थापना या फिर शिक्षण संस्थानों की  प्रशासनिक व्यवस्था को सुचारु रूप से चला सकने के सम्बन्ध में हैं, इसके अलावा इन अनुच्छेद ३० में ये भी स्पष्ट किया गया है कि  ऐसे शिक्षण संस्थानों को सहायता प्रधान करने के समय कोई भी राज्य अपने राज्य धर्म या भाषा पर आधारित कोई भी भेद भाव नहीं करेगा | यह अनुच्छेद अल्पसंख्यक समुदाय को यह अधिकार देता है कि वे अपने बच्चों को अपनी ही भाषा में शिक्षा प्रदान करा सकते है | 

आगे जब हमने अनुच्छेद ३०ए के बारें में ढूँढा तो हमने पाया कि भारतीय संविधान में अनुच्छेद ३० ए जैसा कोई अनुच्छेद यानि आर्टिकल नहीं है, हालाँकि अनुच्छेद ३०(1A) जो कि संविधान में मौजूद है व ये अनुच्छेद ये स्पष्ट करता है कि अगर किसी कानून द्वारा  सरकार अनिवार्य रूप से किसी भी अल्पसंख्यक संस्थान की संपत्ति का अधिग्रहण करती है तो कानूनी तौर पर सरकार को ऐसी संपत्तियों के अधिग्रहण के एवज में ऐसे अल्पसंख्यक संस्थानों को मुनासिब मूल्य में कीमत चुकानी होगी|   

रंजन गोगोई द्वारा कथित रूप से किये गए ट्वीट को लेकर हमने इस सम्बन्ध में कीवर्ड सर्च किया परिणाम में हमें ऐसा कोई भी विश्वसनीय समाचार लेख नहीं मिला जो इस बात की पुष्टि करता हो कि रंजन गोगोई ने उनके किसी भी सोशल मीडिया अकाउंट से उपरोक्त विवादास्पद टिप्पणी की है |  

तदनंतर हमने वायरल हो रही तस्वीर में दिए गये सोशल मंच के अकाउंट को खोजने की कोशिश की तो हमें सोशल मंच पर उस नाम का कोई अकाउंट नहीं मिला। 

इसके पश्चात फैक्ट क्रेसेंडो ने रंजन गोगोई से संपर्क किया, इस सन्दर्भ में उनके द्वारा स्पष्ट किया कि उनका किसी भी सोशल मंच पर अकाउंट नहीं है।

रंजन गोगोई के नाम से फर्जी अकाउंट बना ऐसे विवादास्पद सोशल पोस्ट अकसर किये जाते रहें हैं, हालाँकि ये स्पष्ट है कि उनका किसी भी सोशल मंच पर कोई भी अकाउंट नहीं है, हम अपने पाठकों से भी ये अपील करतें हैं कि किसी सोशल मंचों पर अकसर गणमान्य व्यक्तियों के नाम से ऐसे फर्जी पोस्ट किये जाते हैं कृपया कर इन पर विश्वास न करें और ऐसे दावों की प्रमाणिकता जानने के लिए ऐसे पोस्टों को हमारे व्हाट्सअप नंबर ९०४९०५३७७० पर अग्रेशित  करें |   

निष्कर्ष:

तथ्यों की जाँच के पश्चात हमने उपरोक्त पोस्ट के माध्यम से किये गये दावे को गलत पाया है | रंजन गोगोई का सोशल मंचों पर कोई अकाउंट नहीं है और ना ही उनके द्वारा ऐसा कोई भी विवादास्पद बयान दिया गया है, उपरोक्त ट्वीट एक फर्जी अकाउंट द्वारा किया गया है|

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Title:पूर्व न्यायाधीश रंजन गोगोई ने नाम से बने फर्जी अकाउंट से फिर हुआ विवादास्पद ट्वीट |

Fact Check By: Aavya Ray 

Result: False

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गुजरात के भावनगर में पुलिस द्वारा एक अपराधी को पीटने के पुराने वीडियो को वर्तमान का बता वायरल किया जा रहा है।
दरगाह अजमेर शरीफ़ की गुंबद को लेकर हुये चमत्कार की खबर फर्जी है।

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