सिद्धू मूसे वाला के आखिरी अरदास के वीडियो को पहलवानों के आंदोलन से जोड़कर वायरल किया जा रहा है।

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यह वीडियो अभी का नहीं पुराना है। यह सिद्धू मूसे वाला के आखिरी अरदास का वीडियो है।

दिल्ली के जंतर मंतर पर हो रहे पहलवानों के विरोध प्रदर्शन को समर्थन देने के लिये हाल ही में पंजाब से किसान दिल्ली पहुंचे है। इसके संबन्ध में ही एक वीडियो इंटरनेट पर वायरल हो रहा है। उसमें आप एक शख्स को अपने सर से सफेद टोपी निकालकर दस्तर बंधवा रहा है। इसके साथ दावा किया जा रहा है कि फर्ज़ी लोग किसान बनकर दिल्ली के जंतर मंतर में पहलवानों के समर्थन में जा रहे है। 

वायरल हो रहे पोस्ट के साथ यूज़र ने लिखा है, “यही किसान हर महीने जंतर मंतर पहुंचते हैं? नकली किसान भी यही होते हैं, असली आतंकवादी भी और केरला स्टोरी के विलन भी यही। शर्म करो, देश के पहले ही बहुत टुकड़े हो चुके है और कितने करोगे?”

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अनुसंधान से पता चलता है कि…

इस वीडियो को ठीक से देखने पर हमें उसमें दिवांगत सिद्धू मूसे वाला की तस्वीर का पोस्ट दिखा। आप नीचे दी गयी तस्वीर में देख सकते है।

इसको ध्यान में रखकर हमने फेसबुक पर कीवर्ड सर्च किया तो हमें सरदारियन ट्रस्ट पंजाब नामक एक पेज पर यही वीडियो 10 जून 2022 को प्रसारित किया हुआ मिला। इसके साथ दी गयी जानकारी में बताया गया है कि सिद्धू मूसे वाला के आखिरी अरदास पर सरदेरियन ट्रस्ट ने पगड़ी का लंगर लगाया था। उसमें मुस्लिम और हिंदुओं ने भी पगड़ी पहनकर हिस्सा लिया था।

इसके बाद इस पेज की जाँच करने पर हमें एक और पोस्ट मिला जिसमें इसी इवेंट की तस्वीरें पोस्ट की गयी है। आप नीचे देख सकते है।

फेसबुक | आर्काइव लिंक

इससे हमें समझ आया कि वायरल वीडियो पुराना है और पहलवानों के विरोध प्रदर्शन से इसका कोई संबन्ध नहीं है।

निष्कर्ष: तथ्यों की जाँच के पश्चात हमने पाया कि वायरल हो रहे वीडियो के साथ किया गया दावा गलत है। यह वीडियो अभी का नहीं है। पिछले साल हुई सिद्धू मूसे वाला के आखिरी अरदास के वीडियो को पहलवानों के आंदोलन से जोड़कर वायरल किया जा रहा है। 

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Title:सिद्धू मूसे वाला के आखिरी अरदास के वीडियो को पहलवानों के आंदोलन से जोड़कर वायरल किया जा रहा है।

Fact Check By: Samiksha Khandelwal  

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