९ जुलाई २०१९ को दंडीस्वामी जयदेवंगाश्रम नामक एक फेसबुक यूजर ने एक विडियो पोस्ट किया था, पोस्ट के शीर्षक में लिखा है कि “भोपाल में आर एस एस और बजरंग दल के खिलाफ सड़कों पर उतरे मुसलमान अभी भी समय है एक हो जाओ वरना अंत समय नजदीक है | इस विडियो के माध्यम से आरोप लगाया गया है कि मुस्लिम समुदाय की भीड़ ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के खिलाफ नारेबाजी की | फर्स्ट पोस्ट द्वारा प्रकाशित खबर के अनुसार तबरेज़ अंसारी पर चोरी के संदेह में १८ जून को झारखंड के सरायकेला खरसावां जिले में भीड़ द्वारा हमला किया गया था | चोरी के आरोप में पुलिस के हिरासत में लेने से पहले उन्हें चार घंटे तक पीटा गया और ‘जय श्री राम’ और ‘जय हनुमान’ के नारे लगाने के लिए मजबूर किया गया | चार दिन बाद २२ जून को उसकी मृत्यु हो गई | वीडियो के माध्यम से दावा किया जा रहा है कि झारखंड में चोरी के संदेह पर भीड़ द्वारा तबरेज अंसारी की हत्या के बाद विडियो में दिखाई गई घटना हुई है |

लोगों को तबरेज़ अंसारी के पक्ष में नारे लगाते हुए भी सुना जा सकता है कि एक क्रांति होगी | उन्हें "अल्लाहु अकबर" और "आरएसएस मुर्दाबाद" कहते हुए भी सुना जा सकता है | साथ ही नीचे दिए गए नारें भी लगाये गए-

“तबरेज के हत्यारों को गोली मारो, नार-ए-तकबीर जिंदाबाद, अल्लाह-हू-अकबर, हाफ पैंट के लोगों को गोली मार दो, तबरेज तुम्हारा खून क्रांति लाएगा |”

फेसबुक पोस्ट | आर्काइव विडियो

संशोधन से पता चलता है कि...

जांच की शुरुआत हमने इस विडियो को इनविड टूल का इस्तेमाल करते हुए छोटे कीफ्रेम्स में तोडा इन की फ्रेम्स का इस्तेमाल करते हुए हमने गूगल रिवर्स इमेज सर्च किया | परिणाम से हमें एक यूट्यूब विडियो मिला जो २०१७ को प्रक्स्गित किया गया था | इस विडियो के शीर्षक में लिखा गया है कि “डेहरी में मुहर्रम २०१७” | डेहरी बिहार में एक शहर है | इस प्रकार हमें पता चला कि वीडियो बिहार के डेहरी में मुहर्रम के जुलूस को दर्शाता है और यह २०१७ का है |

इस २८ सेकंड के लंबे वीडियो में वायरल वीडियो की तरह कोई नारेबाजी नहीं है | इसके बजाय, किसी व्यक्ति माइक पर, “चलते रहो, चलते रहो” की घोषणा करते हुए सुना जा सकता है | वीडियो के अंत में एक आवाज एक निश्चित मुहर्रम समिति के सदस्यों को संबोधित करते हुए कुछ संकेत देती है |

इस विशेष मुहर्रम के जुलूस का लंबा संस्करण २०१७ में यूट्यूब पर कई अन्य उपयोगकर्ताओं द्वारा अपलोड किया गया है, जिसे यहां देखा जा सकता है |

हमने पाया कि तबरेज़ अंसारी की मृत्यु से बहुत पहले से ही यह वीडियो इंटरनेट पर उपलब्ध था | साथ ही, वीडियो में ऑडियो के साथ छेड़छाड़ की गई है और नारों को बाहरी रूप से जोड़ा गया है | नीचे आप दोनों विडियो की तुलना देख सकते है |

हमें एक और यूट्यूब लिंक मिला जहा इसी वीडियो को साझा करते हुए एक अलग वॉयस-ओवर जोड़ा गया है | इस वीडियो के बैकग्राउंड ट्रैक में बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर पर एक गीत सुना जा सकता है साथ ही जय भीम के नारे भी सुने जा सकते है | इस वीडियो को छेड़छाड़ करने के पश्चात २०१८ में यूट्यूब पर अपलोड किया गया था |

इसके बाद हमें मोटरसाइकिल सवार प्रदर्शनकारियों के समूह का एक वीडियो मिला, जो ठीक उसी नारे को लगा रहे है जिसका उपयोग वायरल मुहर्रम की वीडियो में किया गया है | प्रदर्शनकारियों को सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया, के झंडे ले जाते देखा जा सकता है | यह पार्टी २००९ में स्थापित हुई थी।

निष्कर्ष: तथ्यों की जांच के पश्चात हमने उपरोक्त पोस्ट को गलत पाया है | वायरल विडियो के ऑडियो के साथ छेड़छाड़ की गयी है | मूल विडियो मुहर्रम के जुलूस का एक पुराना वीडियो है, जिसमें लोगों को तलवारें ले जाते हुए देखा जा सकता है | आरएसएस विरोधी नारे लगाने के लिए ऑडियो में छेड़छाड़ की गई है |

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Title:ऑडियो के साथ छेड़छाड़ कर इस पुराने वीडियो को आरएसएस विरोधी नारे के साथ वायरल किया गया है |

Fact Check By: Aavya Ray

Result: False