कोरोनावायरस महामारी के चलते सोशल मंचों पर कोरोनावायरस से बचने व उसको खत्म करने के कई नुस्खे इंटरनेट पर वायरल होते चले आ रहें है। फैक्ट क्रेसेंडो ने ऐसे कई नुस्खों का अनुसंधान कर उनकी सच्चाई अपने पाठकों तक पहुंचाई है। वर्तमान में देश में चल रहे ऑक्सीजन संकट की पृष्टभूमि में एक भ्रामक खबर सोशल मंचों पर काफी साझा की जा रही है, इस ख़बर के मुताबिक देसी गाय के गोबर व घी को जलाने से ऑक्सीजन बनती है व 10 ग्राम गाय का घी जलाने से 1000 टन ऑक्सीजन का उत्पादन होता है।

वायरल हो रहे पोस्ट में लिखा है,

घर में ऑक्सीजन पैदा करने के लिए गौ माता के गोबर से बने दो छोटे कंडे (उपले) देसी गाय का घी डालकर जलाए।10 ग्राम घी 1000 टन वायु को ऑक्सीजन में परवर्तीत कर देता है। हमारे भारतीय ऋषि मुनियो ने हज़ारो वर्षों पहले ये बताया था। शोध के रुप में जापान ने यह प्रयोग वर्षों पहले किया था।“

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अनुसंधान से पता चलता है कि…

फैक्ट क्रेसेंडो ने जाँच के दौरान पाया कि वायरल हो रही खबर गलत व भ्रामक है। घी और गाय का गोबर जलाने से कार्बन डाइऑक्साइड का उत्पादन होता है। किसी भी चीज़ को जलाने के लिए ऑक्सीजन का इस्तेमाल किया जाता है और इसलिए कुछ भी जलने पर ऑक्सीजन का उत्पादन नहीं होता है। 10 ग्राम घी से 1000 टन वायु ऑक्सीजन में परवर्तित नहीं होती है।

जाँच की शुरुवात हमने वायरल हो रहे दावे को गूगल पर कीवर्ड सर्च किया व ये जानने की कोशिश की कि गाय का गोबर व घी को जलाने पर किस गैस का उत्पादन होता है। हमें एन.सी.बी.आई द्वारा प्रकाशित एक लेख मिला जसमें लिखा है कि बायोमास ईंधन जैसे लकड़ी, फसल-अपशिष्ट और सूखे पशु गोबर, घरेलू ऊर्जा के अपने प्रमुख स्रोत के रूप में है। खुली आग और स्टोव में इन चीज़ों के जलने से कण पदार्थ (पी.एम), कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, साथ ही साथ इनडोर वातावरण में वाष्पशील और अर्ध-वाष्पशील कार्बनिक प्रजातियों की उच्च सांद्रता होती है।

इससे कहीं भी यह नहीं लिखा है कि गाय का गोबर जलाने से ऑक्सीजन का उत्पादन होता है।

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इसके पश्चात और अधिक शोध करने पर हमें सायन्यलर्न.ओर्ग.एनजेड द्वारा प्रकाशित एक लेख मिला जिसमें स्पष्ट शब्दों में लिखा है कि, पूर्ण दहन में, जलने वाले ईंधन से केवल पानी और कार्बन डाइऑक्साइड (कोई धुआं या अन्य उत्पाद नहीं) का उत्पादन होगा। लौ आमतौर पर नीली होती है। ऐसा होने के लिए, पूरी तरह से ईंधन गैस के साथ संयोजन के लिए पर्याप्त ऑक्सीजन होने की आवश्यकता है।

घर पर खाना बनाने के लिए कई लोग मीथेन गैस (सीएच 4) का उपयोग करते हैं, जिसे आमतौर पर प्राकृतिक गैस के रूप में जाना जाता है। जब गैस गर्म होती है (एक लौ या चिंगारी से) और अगर वातावरण में पर्याप्त ऑक्सीजन है, तो अणु टूट जाएंगे और पूरी तरह से पानी और कार्बन डाइऑक्साइड के रूप में उतपन्न होगा।

उपरोक्त जानकारी के मुताबिक ये स्पष्ट है कि कुछ भी जलाने के लिए ऑक्सीजन की जरुरत होती है व उसके जलने पर कार्बन डाइऑक्साइड व पानी का उत्पादन होता है।

आपको बता दें कि 65% गाय की खाद मीथेन से बनी है व इस लेख में स्पष्ट रुप से लिखा है कि मीथेन के जलने से पानी व कार्बन डाइऑक्साइड उत्पन्न होता है।

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हमने वायरल हो रहे दावे के संबन्ध में आई.सी.टी मुंबई के असिस्टंट प्रोफेसर डॉ. पी.आर नेमाडे से संपर्क किया, इस मामले में उनके द्वारा हमें बताया गया कि, “वायरल हो रहा दावा सरासर गलत व भ्रामक है। कोई भी चीज़ जलाने से ऑक्सीजन का उत्पादन नहीं हो सकता है, अगर आप घी को जला रहे है तो वह ऑक्सीजन नहीं बल्की कार्बन डाइऑक्साइड और जल वाष्प (वॉटर वेपर) उत्पन्न करेगा और गाय का गोबर जलाने से भी कार्बन डाइऑक्साइड और दूसरे गैसेस का उत्पादन होगा व जलने के लिए ऑक्सीजन का इस्तेमाल होगा। घी और गाय का गोबर साथ में जलाने से भी यही गैस उत्पन्न होंगी।“

उन्होंने यह भी कहा कि, “10 ग्राम घी 1000 टन वायु को ऑक्सीजन में परवर्तित नहीं कर सकता है।“

निष्कर्ष: तथ्यों की जाँच के पश्चात हमने पाया कि उपरोक्त दावा गलत है। देसी गाई के घी और गोबर को एक साथ जलाने से कार्बन डाइऑक्साइड और जल वाष्प का उत्पादन होता है। कोई भी चीज़ को जलाने के लिए ऑक्सीजन का इस्तेमाल किया जाता है व जलने की इस प्रक्रिया में जो उत्पादित होता है वो कार्बन डाइऑक्साइड व दूसरी गैसेस होती हैं ना कि ऑक्सीजन ।

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१. राजस्थान सरकार के नाम से अंतिम संस्कार को लेकर जारी सर्कुलर फर्जी है।

२. CLIPPED VIDEO: तृणमूल कांग्रेस उम्मीदवार कौशानी मुख़र्जी के वीडियो को सन्दर्भ से बाहर फैलाया जा रहा है|

३. गुजरात के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में भारतीय राष्ट्रीय ध्वज पर प्रतिबंध वाली ख़बरें गलत व भ्रामक है|

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Title:गोबर से बने दो उपलों के साथ १० ग्राम घी को जलाने से ऑक्सीन नहीं बनती है, ये दावे सरासर गलत व भ्रामक हैं।

Fact Check By: Rashi Jain

Result: False