हालही में इंटरनेट पर उज्जैन का एक वीडियो काफी चर्चा में था और जिसे सोशल मंचों पर तेज़ी से साझा किया गया था, उस वीडियो में कुछ लोगों को पाकिस्तान ज़िंदाबाद के नारे लगाते हुये दिख रहे थे। उसी वीडियो से जोड़कर इन दिनों सोशल मंचों पर एक अन्य वीडियो वायरल हो रहा है, उस वीडियो में आप वर्दी पहने हुये कई पुलिसकर्मियों को देख सकते है व जे.सी.बी की मदद से एक बस्ती को ध्वस्त करते हुये देख सकते है। इसके साथ दावा किया जा रहा है कि उज्जैन में जिस गफूर बस्ती के लोगों ने पाकिस्तान ज़िंदाबाद के नारे लगाये थे, शिवराज सरकार ने उनकी अवैध बस्ती को जे.सी.बी से पूर्ण रूप से ध्वस्त कर दिया है

वायरल हो रहे पोस्ट के शीर्षक में लिखा है,

मामा जी चले योगी जी की राह। उज्जैन में जिस गफूर बस्ती के लोगो ने पाकिस्तान जिंदाबाद का नारा लगाया थाशिवराज सरकार ने पूरी अवैध बस्ती पर जेसीबी चलवा दी!

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अनुसंधान से पता चलता है कि…

फैक्ट क्रेसेंडो ने जाँच के दौरान पाया कि वायरल हो रहे वीडियो के साथ किया गया दावा गलत है। यह वीडियो उज्जैन के हरिफाटक क्षेत्र में नगर निगम द्वारा अतिक्रमण हटाने से है। इस प्रकरण का पाकिस्तान ज़िंदाबाद के नारे लगाये जाने वाले प्रकरण से कोई सम्बंध नहीं है।

जाँच की शुरुवात हमने वायरल हो रहे दावे को ध्यान में रखकर यूट्यूब पर कीवर्ड सर्च करने से किया व हमें वायरल हो रहा यही वीडियो एच.बी.सी न्यूज़ 18 द्वारा इस वर्ष 28 अगस्त को प्रसारित किया हुआ मिला। वीडियो के शीर्षक में लिखा है, उज्जैन पुलिस और नगर निगम की अतिक्रमण हटाने को लेकर संयुक्त कार्यवाही ।“

इस वीडियो में दी गयी रिपोर्ट में बताया गया है कि उज्जैन में सरकारी ज़मीन पर किये गये अवैध निर्माण को भारी पुलिस बल की मौजूदगी में नगर निगम में हटाया है। इस वीडियो में ऐसा नहीं बताया गया है कि उज्जैन के गफूर बस्ती में पाकिस्तान ज़िंदाबाद के नारे लगाये गये थे जिस वजह से शिवराज सिंह चौहान सराकर ने उस बस्ती को हटवा दिया है।

इसके बाद गूगल पर इस सम्बन्ध में संदर्भित कीवर्ड सर्च करने पर हमें दैनिक भास्कर द्वारा इस वर्ष 27 अगस्त को प्रकाशित किया हुआ एक समाचार लेख मिला जिसके अनुसार उज्जैन में ज़िला प्रशासन और नगर निगम के लोगों ने शहर में हरि फाटक ओवर ब्रिज समेत शहर में कई जगह सरकारी ज़मीन पर हुये अवैध निर्माण को हटाया। रिपोर्ट के अनुसार 15 वर्षों से दुकानदारों ने सरकारी ज़मीन पर अवैध निर्माण कर कब्ज़ा किया हुआ था व अब कोर्ट का आदेश आने पर इस अवैध अतिक्रमित निर्माण को हटा दिया गया है। उज्जैन स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत इस ज़मीन पर पार्किंग, शिप्रा नदी के घाट, गार्डन जोन बनाया जायेगा।

आर्काइव लिंक

इसके बाद वायरल हो रहा वीडियो किस जगह का है यह जानने की कोशिश की व उज्जैन के निलगंगा थाना के एस.एच.ओ तरुण कुरील से संपर्क किया, उन्होंने हमें बताया कि “वायरल हो रहा वीडियो उज्जैन में स्थित हरिफाटक ब्रिज क्षेत्र का है। जिस ज़मीन से अवैध निर्माण को हटाया जा रहा है वह सरकारी यानि की नगर निगम की ज़मीन है और जब अब कोर्ट का आदेश आ गया है तब आदेशानुसार कार्ववाही करते हुये इस ज़मीन से अवैध निर्माण को हटाया गया है।“

आखिर में हमने उपरोक्त सारे सबूतों की पुष्टि करने हेतु व वायरल हो रहे दावे की सच्चाई जानने के लिये हमने उज्जैन के एस.पी सत्येंद्र कुमार शुक्ला से संपर्क किया व उन्होंने हमें बताया कि सबसे पहले तो उज्जैन में गफूर बस्ती नाम की कोई जगह नहीं है। वायरल हो रहे वीडियो में दिख रही जगह हरिफाटक के पास है जहाँ नगर निगम की दो हेक्टेयर से अधिक भूमि का अतिक्रमण हटा लिया गया था, इस वीडियो का पिछले दिनों पाकिस्तान ज़िंदाबाद के नारे लगाये जाने वाले प्रकरण से कोई सम्बन्ध नहीं है, ये दोनों दो अलग-अलग मामले हैं, अवैध निर्माण हटाये जाने और नारे लगाये जाने प्रकरणों के बीच कोई सम्बन्ध नहीं है

निष्कर्ष: तथ्यों की जाँच के पश्चात हमने पाया कि वायरल हो रहे वीडियो के साथ किया गया दावा गलत है। यह वीडियो उज्जैन के हरिफाटक क्षेत्र में कोर्ट के आदेश के बाद नगर निगम द्वारा सरकारी जमींन से हटाये गये अतिक्रमण का है। इसका पिछले दिनों पाकिस्तान ज़िंदाबाद के नारे लगाये जाने वाले प्रकरण से कोई सम्बंध नहीं है।

फैक्ट क्रेसेंडो द्वारा किये गये अन्य फैक्ट चेक पढ़ने के लिए क्लिक करें :

१. असम के एक पानी पूरी विक्रेता द्वारा पानी में मूत्र मिलाने के प्रकरण को फर्जी सांप्रदायिक रंग दे सोशल मंचों पर फैलाया जा रहा है।

२. पूर्व न्यायाधीश रंजन गोगोई ने नाम से फिरसे बना फर्जी अकाउंट जिससे सांप्रदायिक ट्वीट किये गये|

३. बिहार के कटिहार में मुर्हरम जुलूस के दौरान घटी मारपीट की घटना को हिन्दू-मुस्लिम कोण दे सांप्रदायिकता से जोड़ साझा किया जा रहा है|

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Title:उज्जैन में अवैध निर्माणों के अतिक्रमण को हटाने के वीडियो को गलत दावों के साथ वायरल किया जा रहा है।

Fact Check By: Rashi Jain

Result: False