१० मई २०१९ को प्रणब दास नामक एक फेसबुक यूजर ने एक विडियो पोस्ट किया | विडियो के शीर्षक में लिखा गया है कि “उललुबेरिया से तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की उम्मीदवार सजदा अहमद ने घोषित किया कि अब बंगाल में हरिनाम, रामनाम और मार्क्सवाद का नाम नहीं किया जायेगा | और साथ ही रोहिंग्या लोगों को बंगाल में आश्रय दिया जायेगा |” इस विडियो में हम एक औरत को यह कहते हुए सुन सकते है कि बंगाल में हरिनाम और रामनाम का उच्चारण करने की अनुमति नहीं दी जाएगी | महिला ने घोषणा की, कि जब रोहिंग्याओं की बात आती है तो वह केंद्र को राज्य के मामलों के साथ छेड़छाड़ नहीं करने देंगी |

उसके बाद एंकर द्वारा पूछा गया कि "दीदी, आप कह रही हैं कि आप उन्हें (रोहिंग्या) यहाँ रहने देंगे | लेकिन पश्चिम बंगाल के स्थानीय लोगों के बारे में क्या?” उस महिला का जवाब है कि “ पश्चिम बंगाल के लोग जैसे थे वैसे ही रहेंगे और ये लोग (रोहिंग्या) जिस तरह से रहना चाहते हैं, वैसे ही रहेंगे |”

क्षण भर बाद, एक नाटकीय अंदाज में वह एंकर से पूछती है, "आप इस तरह के सवाल पूछने की हिम्मत कैसे कर रही हैं?" वह आगे कहती हैं, "अल्लाह उनकी देखभाल करेगा और उनकी रक्षा करेगा और मैं अपने मुस्लिम भाइयों और बहनों की सुरक्षा सुनिश्चित करुँगी" और इसके बाद उन्हें भीड़ से तालियां मिलीं | भीड़ को 'अल्लाह हू अकबर' का जाप करते हुए सुना जा सकता है | उसके बाद वह राज्य के रहने वाले हिंदुओं जो हरि नाम का जप करते हैं और मार्क्सवाद की प्रशंसा करने वाले कम्युनिस्ट लोगों का उल्लेख करते हुए कहती है, "मैं यह सब 'हरिनाम' और 'कम्युनिस्टों के मार्क्सवादी नारों को बर्दाश्त नहीं करने वाली हूँ |"

विडियो के माध्यम से यह दावा किया जा रहा है कि उपरोक्त महिला तृणमूल कांग्रेस की उम्मीदवार सजदा अहमद है जो रोहिंग्याओं के पक्ष में बात कर रही है |

फैक्ट चेक किये जाने तक यह विडियो ५०० से ज्यादा प्रतिक्रियाएं प्राप्त कर चुकी थी | इस विडियो को लगभग २३००० व्यूज मिल चुकी है |

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जब विडियो में महिला द्वारा यह बातें कही गई तब हम उनके बाजु में एक पुलिस कर्मचारी को खड़े रहकर यह बातें सुनते व सिर हिलाकर सहमत होते हुए देख सकते है | यह बात काफ़ी संदेहपूर्ण लगती है | इसीलिए हमने इस विडियो की सच्चाई जानने की कोशिश की |

संशोधन से पता चलता है कि...

जांच की शुरुआत हमने सजदा अहमद नामक त्रिनामुल कांग्रेस के उम्मीदवार को ढूँढने से की | माई नेता.कॉम के वेबसाइट पर सजदा अहमद सर्च करने से हमें पता चला की वह २०१९ के लोक सभा चुनाव में बंगाल के उलुबेरिया क्षेत्र से तृणमूल कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रही है |

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इसके बाद हमने सजदा अहमद को गूगल सर्च करते हुए ढूँढा | गूगल इमेजेस में दी गयी तस्वीरों को देखकर हम स्पष्ट हुए कि सजदा अहमद और विडियो में दिखाई गई औरत दो अलग अलग व्यक्ति है | नीचे हमने दोनों औरतों की तस्वीरों की तुलना की है | वीडियो में बात कर रही महिला, और उलुबेरिया लोकसभा क्षेत्र के तृणमूल कांग्रेस की उम्मीदवार, सजदा अहमद के बीच कोई समानता नहीं है |

यू-ट्यूब पर अलग अलग कीवर्ड्स के माध्यम से हमें मूल विडियो मिला | इस विडियो के एक हिस्से को फेसबुक पर वायरल किया गया है | ६ मई २०१८ को प्रकाशित यह विडियो ३ मिनट २६ सेकंड लम्बा है | इस विडियो के अंत में हम एंकर को इस औरत को ममता बनर्जी के नाम से उल्लेख करते हुए सुन सकते है | वह रास्ते में खड़े दर्शकों को कहता है कि “यह थी बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी | उनके रोहिंग्या के लोगों के तरफ कसमें वादें आप लोगों ने देखा व सुना | वह आगे मौजूद दर्शकों के लिए एक सवाल रखते हैं, “अगर रोहिंग्याओं के कारण देश की सुरक्षा को लेकर कोई सवाल उठता है, तो किसे जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए? मैं इस सवाल को दर्शकों के सामने रखना चाहता हूं |” इस वाक्य से हम स्पष्ट हो जाते है कि यह एक नुक्कड़ नाटक था जहाँ सफ़ेद साडी पहनी हुई औरत ममता बनर्जी का चरित्र निभा रही थी | नुक्कड़ नाटक का एक क्रॉप्ड वीडियो जहां एक अभिनेत्री पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के रूप में वेष बदलकर अभिनय कर रही है |

हमें इस महिला द्वारा एक और नुक्कड़ नाटक मिला जहाँ वे ममता बनर्जी द्वारा की गयी उपलब्धि का नक़ल करती है | नाटक का नाम “दिदिर डी लिट्” है, जहां डी लिट् अक्षर डॉक्टर ऑफ़ लेटर्स डिग्री का संक्षिप्त रूप माना जाता है | इस विडियो को ११ जनवरी २०१८ को भाजपा फॉर बंगाल द्वारा अपलोड किया गया है |

निष्कर्ष: तथ्यों की जांच के पश्चात हमने उपरोक्त पोस्ट को गलत पाया है | यह विडियो २०१८ में हुए एक नुक्कड़ नाटक का है जिससे भ्रामक रूप से तृणमूल कांग्रेस की उम्मीदवार सजदा अहमद व लोक सभा चुनाव के साथ जोड़ा जा रहा है | विडियो में कही गयी सारी बाते ममता बनर्जी की नक़ल उतारते हुए एक मजाक के रूप में है |

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Title: क्या टीएमसी के उम्मीदवार ने यह उत्तेजनक भाषण दिया? जानिए सच |

Fact Check By: Drabanti Ghosh

Result: False