यह वीडियो किसानों का जिओ टावर जलाने का नहीं है |

False Political

किसान आंदोलनों के समर्थन में व रिलायंस के उत्पादों को बायकाट करते हुये पंजाब में रिलाएंस जिओ टावरों को ग्रामीणों द्वारा कई जगह जबरन बंध कराया गया। इस संदर्भ में,सोशल मंचों पर एक जलते हुए मोबाइल टॉवर का एक छोटा वीडियो क्लिप इस दावे के साथ प्रसारित किया जा रहा है कि यह वीडियो किसानों के आंदोलन के दौरान उनके द्वारा एक जिओ टावर को आग लगाने का है |

पोस्ट के शीर्षक में लिखा गया है कि 

“किसान भाइयों को दिल से सलाम जिन्होंने अभी तक 1500 जिओ के टावर तोड़फोड़ तथा उसमें आग लगा दी!”

फेसबुक पोस्ट | आर्काइव लिंक 

अनुसंधान से पता चलता है कि…

फैक्ट क्रेसेंडो ने पाया कि यह वीडियो किसान द्वारा जिओ टावर को जलाने का नहीं है बल्कि यह वीडियो 3 साल पुराना देहरादून से है |

जाँच की शुरुवात हमने इस वीडियो को इन्विड वी वेरीफाई टूल की मदद से छोटे कीफ्रेम्स में तोड़कर गूगल रिवर्स इमेज सर्च करने से की, जिसके परिणाम से हमें वायरल वीडियो का लंबा वर्शन यूट्यूब पर २० सितंबर २०१७ को अपलोड किया हुआ मिला | इस वीडियो के शीर्षक में लिखा गया है कि “सेल फ़ोन टावर फायर” |

इससे हम स्पष्ट हो गए कि सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो वर्तमान का नहीं बल्कि २०१७ का है | तत्पश्चात हमने इस वीडियो का गूगल पर रिवर्स इमेज सर्च व सम्बंधित कीवर्ड सर्च किया,  जिसके परिणाम से हमें २९ जून २०१७ को न्यूज़१८ द्वारा प्रकाशित एक खबर मिली | रिपोर्ट के मुताबिक, वीडियो उत्तराखंड के देहरादून के वसंत विहार थाना इलाके का है, जहां शॉर्ट सर्किट के कारण एक घर की छत पर मौजूद मोबाइल टावर में आग लग गई थी | इस खबर में हम वायरल वीडियो को भी देख सकते है |

 आर्काइव लिंक

इस घटना के वीडियो व तस्वीरों को अमर उजाला ने २८ जून २०१७ को भी प्रकाशित किया था जो इस बात की पुष्टि करता है कि वीडियो देहरादून से है जहाँ एक बिल्डिंग के छत पर मोबाइल टावर में आग लग गयी थी |


आर्काइव लिंक  

निष्कर्ष: तथ्यों की जाँच के पश्चात हमने उपरोक्त पोस्ट को गलत पाया है | यह वीडियो किसान द्वारा जिओ टावर को जलाने का नहीं है बल्कि यह वीडियो 3 साल पुराना है | वायरल वीडियो के साथ किसान आंदोलन का कोई संबंध नहीं है |

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Title:यह वीडियो किसानों का जिओ टावर जलाने का नहीं है |

Fact Check By: Rashi Jain 

Result: False