वायरल वीडियो के साथ किया जा रहा है फेक सांप्रदायिक दावा, नशीले पदार्थों का सेवन और उसे रखने के आरोप में नाबालिग के साथ बांग्लादेशी पुलिस ने किया था ऐसा बर्ताव।

इंटरनेट पर एक वीडियो वायरल किया जा रहा है, जिसमें दिखाई दे रहा है कि एक बच्चे को नीले रंग की वर्दी पहने कुछ पुलिसकर्मियों ने पकड़ा हुआ है और बैकग्राउंड में ला-इलाहा सुनाई दे रहा है। बच्चे के साथ पुलिस वाले बुरा बर्ताव करते हुए नज़र आते हैं। वीडियो को शेयर करते हुए यह दावा किया जा रहा है कि, यह बांग्लादेश का वीडियो है जहां पर इस हिन्दू बच्चे से जबरदस्ती कलमा पढ़वाया जा रहा है।पोस्ट इस कैप्शन के साथ शेयर हो रहा है…
ये जबरन नहीं तो और क्या है?बांग्लादेश में एक छोटे हिंदू बच्चे से ज़बरदस्ती कलमा बुलवाया जा रहा है…पीछे से आवाज़ आ रही है – “ला इलाहा…”और सामने पुलिस खड़ी है… मौलवी की आज्ञा पर सब कुछ हो रहा है।मासूम बच्चा, डर से कांपता हुआ… और उसके मुंह से निकाले जा रहे वो शब्द, जो उसके दिल के नहीं हैं।ये कौन सा मजहब है जहाँ बच्चा भी नहीं बख्शा जाता?क्या यही इंसानियत है?
अनुसंधान से पता चलता है कि…
हमने जांच की शुरुआत में वायरल वीडियो के की-फ्रेम्स को लेकर और उन्हें गूगल लेंस के जरिये सर्च किया। परिणाम में हमें यह वीडियो बांग्लादेश के एएनटी न्यूज टीवी के फेसबुक पेज पर 18 जुलाई 2025 को अपलोड किया हुआ मिला। वीडियो के साथ दी गई जानकारी के अनुसार, यह बांग्लादेश की चपई नवाबगंज का वीडियो है जहां पर पुलिस ने एक बच्चे पर बलप्रयोग किया था।
हमें 18 जुलाई 2025 को एक बांग्लादेशी न्यूज आउटलेट की वेबसाइट पर उक्त घटना के विषय में एक रिपोर्ट मिली। इस रिपोर्ट में वायरल वीडियो से जुड़े दृश्य मौजूद थे। जबकि खबर में बताया गया है कि चपाईनवाबगंज सदर पुलिस स्टेशन के ओसी मतीउर रहमान एक बच्चे का हाथ पकड़ा हुआ था। इसके अलावा अन्य अधिकारी बच्चे के बाल खींच रहे थें। वीडियो वायरल होने के बाद सदर पुलिस स्टेशन के ओसी मतीउर रहमान के हवाले से जानकारी दी गई कि यह 6 जुलाई 2025 की घटना है जब नेशनल सिटिजन पार्टी (एनसीपी) की पदयात्रा के दौरान बच्चे को नशीली दवा रखते हुए पकड़ा गया था। वह एनसीपी नेताओं के पास जाने की कोशिश कर रहा था, इसलिए उन्होंने बच्चे को हटा दिया था।
एक अन्य बांग्लादेशी न्यूज आउटलेट की तरफ से इस घटना पर यहीं रिपोर्ट छापी गई है कि,चपाईनवाबगंज इलाके में नेशनल सिटिजन पार्टी (एनसीपी) नेताओं की पदयात्रा के दौरान एक बच्चे को नशीली दवा रखे हुए पकड़ा गया था। जिसके बाद पुलिसकर्मियों ने बच्चे को वहां से हटा दिया था। लेकिन घटना का वीडियो वायरल होने के बाद अतिरिक्त पुलिस सुपरिंटेंडेंट वासिम फिरोज ने बच्चे को हटाने के तरीके पर खेद जताया और कहा कि बच्चा नशे में था।
इस घटना हमें प्राप्त हुई समाचार रिपोर्टों को यहां, यहां और यहां पर देखा जा सकता है।
साथ ही ‘देश 24’ नाम के फेसबुक पेज पर 19 जुलाई को अपलोड किये गए वीडियो से भी स्पष्ट हुआ जा सकता है,कि बच्चे को नशा बेचने के आरोप में पकड़ा गया था। जिसकी जानकारी चपई नवाबगंज पुलिस अधिकारी की तरफ से दी गई है।
इसलिए इस बात की पुष्टि होती है कि वायरल वीडियो के साथ किया जा रहा सांप्रदायिक दावा फर्जी है।
निष्कर्ष
हमें मिले साक्ष्य यह स्पष्ट करते हैं कि ऐसे कोई भी तथ्य नहीं हैं जो वायरल दावे की पुष्टि करें। इसलिए साबित होता है कि वायरल वीडियो को गलत सांप्रदायिक रंग दे कर शेयर किया जा रहा है। असल में वीडियो एक नाबालिग बच्चे का नशीले पदार्थों का सेवन और उसे रखने के आरोप में बांग्लादेशी पुलिस द्वारा किए गए बर्ताव का है।

Title:बांग्लादेश में हिंदू बच्चे से जबरन कलमा पढ़वाने का फेक सांप्रदायिक दावा वायरल, किसी और मामले से सम्बंधित है वीडियो…
Fact Check By: Priyanka SinhaResult: False
