वायरल वीडियो असल में 2025 की जयपुर रैली का है, जिसे गलत दावे के साथ बिहार के राजनीतिक विरोध के रूप में साझा किया गया।

सोशल मीडिया पर एक बड़े मशाल जुलूस (टॉर्चलाइट रैली) का वीडियो व्यापक रूप से वायरल हो रहा है। इसे इस दावे के साथ साझा किया जा रहा है कि यह वीडियो “इंडियन जेन-ज़ी” द्वारा जयपुर से दिल्ली तक कथित वोट चोरी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ निकाले गए विरोध मार्च का है। कई पोस्टों में दावा किया गया है कि देशभर के युवाओं ने यह विशाल रैली आयोजित की और इसमें “वोट चोर गद्दी छोड़” तथा “वोट चोर बीजेपी” जैसे नारे लगाए।
ये नारे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा गढ़े गए हैं, जिसने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और भारत निर्वाचन आयोग पर विभिन्न चुनावों में मिली भगत कर वोट चोरी करने के आरोप लगाए हैं।
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अनुसंधान से पता चलता है कि…
हमने जांच की शुरुआत में इसके कई की-फ़्रेम निकाले और गूगल लेंस की मदद से उनकी रिवर्स इमेज सर्च की। इस खोज में हमें 25 सितंबर 2025 का एक एक्स (ट्विटर) पोस्ट मिला, जिसे प्रेमराज मीणा नामक उपयोगकर्ता ने साझा किया था। इस पोस्ट में वही वायरल वीडियो मौजूद है, और इसमें स्पष्ट रूप से बताया गया है कि यह राजस्थान के जयपुर में राजनेता नरेश मीणा के समर्थन में निकाली गई रैली का वीडियो है।इससे हम स्पष्ट हो सकते है कि वायरल वीडियो सितंबर 2025 से इंटरनेट पर उपलब्ध है।
नतीजों में हमें कई सोशल मीडिया पोस्ट भी मिले, जिनमें बताया गया है कि वीडियो जयपुर में युवाओं द्वारा झालावाड़ स्कूल हादसे में मारे गए बच्चों के परिवारों के लिए न्याय की मांग को लेकर आयोजित एक प्रदर्शन का है। नीचे दिए गए पोस्ट के कैप्शन में लिखा है, “नरेश मीणा एसएमएस अस्पताल में भूख हड़ताल पर हैं। झालावाड़-पिपलोदी हादसे में मारे गए बच्चों को श्रद्धांजलि देने के लिए उनके बेटे अनिरुद्ध के नेतृत्व में एक विशाल मशाल जुलूस निकाला गया।”
इसके बाद हमने सितंबर 2025 में जयपुर में निकली मशाल रैलियों से जुड़ी हिंदी कीवर्ड्स से खोज की। इसमें हमें नरेश मीणा के एक्स हैंडल से 25 सितंबर 2025 का एक और पोस्ट मिला।इस पोस्ट में मीणा ने स्पष्ट लिखा है कि यह रैली झालावाड़ जिले के पिपलोदी सरकारी स्कूल की छत गिरने से जान गंवाने वाले बच्चों की स्मृति में निकाली गई थी। इस दुर्घटना ने सरकारी स्कूलों की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर काफी आक्रोश पैदा किया था। विजय जरेडा नामक एक और ट्विटर यूजर ने इस प्रदर्शन के बारें में जानकारी देते हुए कहा कि, वे पीड़ित परिवारों के लिए 50 लाख रुपये मुआवजे की मांग कर रहे थे, इस मुद्दे पर उन्होंने 14 दिनों की भूख हड़ताल भी की और उसी अभियान के तहत उन्होंने यह मशाल जुलूस निकाला।
वीडियो की सटीक लोकेशन की पुष्टि करने के लिए हमने इसके एक साफ़ संस्करण को गूगल स्ट्रीट व्यू से मिलाया। कई दृश्य तत्व जैसे दुकानों के बोर्ड, सड़क के किनारे लाइटें, भवनों की संरचना, और चौराहों को देखकर और गूगल मैप्स पर ढूंढकर पता चला कि, ये प्रदर्शन जयपुर में त्रिवेणी नगर स्क्वायर से गुजर की थड़ी तक के मार्ग में आयोजित की गई थी। इससे पुष्टि होती है कि वीडियो पूरी तरह जयपुर का ही है।
नीचे आप गूगल स्ट्रीट व्यू और वायरल वीडियो में दिख रहे बिल्डिंग के तस्वीर की तुलना देख सकते है।

इसके आलावा हमने गूगल पर कीवर्ड सर्च के माध्यम से इस प्रदर्शन से सम्बंधित न्यूज़ रिपोर्ट को ढूंढा,जिसके परिणाम से हमें NDTV राजस्थान द्वारा प्रकाशित खबर मिली। स्थानीय मीडिया रिपोर्टों ने भी पुष्टि की कि यह रैली त्रासदी के पीड़ितों के लिए न्याय की मांग में आयोजित की गई थी—न कि किसी राजनीतिक दल के खिलाफ युवा आंदोलन के रूप में।
हमें उत्तर प्रदेश पुलिस के एक्स अकाउंट पर इस वायरल वीडियो के बारे में एक पोस्ट मिली। इसी वीडियो को सोशल मीडिया पर उत्तर प्रदेश पुलिस से जोड़कर एक झूठे दावे के साथ शेयर किया गया था। इस दावे का खंडन करते हुए बताया गया कि यह वीडियो 25 सितंबर, 2025 को राजस्थान के जयपुर में निकाले गए एक मशाल जुलूस का है। बताया जा रहा है कि यह वीडियो राजस्थान के झालावाड़ में एक स्कूल हादसे में मारे गए बच्चों के परिवारों को न्याय दिलाने के लिए निकाले गए मशाल जुलूस का है।
निष्कर्ष-
फ़ैक्ट क्रेसेंडो की पड़ताल में वायरल दावा गलत पाया गया है। सोशल मीडिया पर साझा किया जा रहा यह दावा कि वीडियो जेन-ज़ी द्वारा जयपुर से दिल्ली तक निकाले गए किसी विरोध मार्च का है, जिसमें कथित वोट चोरी के खिलाफ नारे लगाए गए—पूरी तरह भ्रामक है। जांच में सामने आया कि यह वीडियो सितंबर 2025 का है और इसमें दिखाई देने वाली रैली राजस्थान के नेता नरेश मीणा द्वारा पिपलोदी सरकारी स्कूल की छत गिरने की दुखद घटना में मारे गए बच्चों की स्मृति में आयोजित की गई थी। यह मशाल जुलूस केवल जयपुर शहर के भीतर ही निकाला गया था, न कि जयपुर से दिल्ली तक। स्पष्ट है कि इस वीडियो को राजनीतिक माहौल भड़काने और एक झूठी कथा गढ़ने के लिए भ्रामक दावे से जोड़कर फैलाया जा रहा है।
Title:राजस्थान की पुरानी मशाल रैली को बिहार में बीजेपी और चुनाव आयोग के खिलाफ हालिया विरोध के रूप में जोड़ा जा रहा है।
Fact Check By: Drabanti GhoshResult: False


