सोशल मीडिया पर वर्तमान में चल रहे किसान आंदोलनों को लेकर कई अफवाएं फैलाई जा रही है | पुरानी व असंबंधित तस्वीरें और वीडियो को सोशल मीडिया पर किसान आंदोलनों से जोड़कर फैलाया जा रहा है | फैक्ट क्रेसेंडो ने पूर्व में भी ऐसे कई भ्रामक पोस्टों का फैक्ट चेक कर पाठकों के सामने सच्चाई लाई है | इसी क्रम में एक तस्वीर जिसमें पग पहने एक सरदारजी को भारत के राष्ट्रीय ध्वज का अनादर करते हुए दिखाया गया है, यह दावा करते हुए फैलाया जा रहा है कि किसान आंदोलनों के चलते किसान राष्ट्रीय ध्वज का अपमान कर रहे है |

पोस्ट के शीर्षक में लिखा गया है कि

हमारे राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करना ही किसान आंदोलन है मैं थूकता हूं ऐसे किसान आंदोलन पर हमें धिक्कार है ऐसे किसान आंदोलन पर |”

फेसबुक पोस्ट | आर्काइव लिंक

अनुसंधान से पता चलता है कि....

जाँच की शुरुवात हमने इस तस्वीर को ध्यान से देखने से की, बारीकी से निरीक्षण करने पर हमें दाएं तरफ “दल खालसा” लिखा हुआ नज़र आया | इसी को ध्यान में रखते हुए हमें गूगल पर कीवर्ड और रिवर्स इमेज सर्च किया जिसके परिणाम से हमें एक ब्लॉग मिला जहाँ इस तस्वीर को प्रकाशित किया गया है | तस्वीर के कैप्चर डेट के हिसाब से यह तस्वीर १५ अगस्त २०१३ में खींची गयी थी | तस्वीर में हम “दल खालसा यू.के” लिखा हुआ देख सकते है | ब्लॉग के अनुसार, मध्य लंदन में भारतीय उच्चायोग के पास "सिखों, कश्मीरियों और अन्य अल्पसंख्यक समूहों" के विरोध के दौरान, तस्वीरें १५ अगस्त २०१३ को क्लिक की गई थीं | यह विरोध सिखों पर "भारतीय उत्पीड़न" और पंजाब के "कब्जे" के खिलाफ था | इससे यह कहा जा सकता है कि भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का अनादर करने वाले कुछ लोगों की तस्वीर जारी किसानों के विरोध प्रदर्शन से नहीं है |

आर्काइव लिंक

हमें "दल खालसा यूके" का यूट्यूब चैनल मिला, जिसने २०१० और २०१५ को इस वीडियो को प्रसारित किया था, जिसमें सिख व अन्य समुदाय के लोगों को लंदन में भारत के स्वतंत्रता दिवस पर भारत के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए दिखाया गया है | इसके अलावा अधिक कीवर्ड सर्च करने पर हमें पता चला कि वायरल तस्वीर में दिख रहा सिख व्यक्ति “दल खालसा यूके” का सदस्य है जिनका नाम सरदार मनमोहन सिंह खालसा है | मनमोहन सिंह खालसा दल खालसा यूके के संस्थापकों में से एक थे। २० नवंबर, २०१७ को कई अंग विफलता के कारण उनका निधन हो गया। "दाल खालसा यूके" के विरोध के कुछ तस्वीरें आलमी स्टॉक इमेज पर उपलब्ध हैं |

निष्कर्ष: तथ्यों की जाँच के पश्चात हमने उपरोक्त पोस्ट को गलत पाया है | सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीर सात साल पुरानी है और लंदन में कुछ खालिस्तानी समर्थकों की है | यह तस्वीर २०१३ में भारत के स्वतंत्रता दिवस पर लंदन में ली गई थी। इस तस्वीर का वर्तमान में चल रहे किसान आंदोलनों से कोई संबंध नहीं है |

फैक्ट क्रेसेंडो द्वारा किसान आन्दोलन से सम्बंधित फैक्ट चेक को आप निचे पढ़े :

१. वायरल तस्वीर में दिख रहे सेना के अफसर और ज़ख्मी किसान दो अलग- अलग शख्स है, इन दोनों को एक व्यक्ति बता वायरल किया जा रहा है।

२. 2018 महाराष्ट्र में हुए किसान आंदोलन की तस्वीर को वर्तमान किसान आंदोलन से जोड़कर वायरल किया जा रहा है।

३. निहंग सिखों के एक पुराने वीडियो को वर्तमान में किसान आंदोलन से जोड़ फैलाया जा रहा है|

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Title:२०१३ की लंदन में ली गई एक तस्वीर को वर्तमान किसान आंदोलन का बता फैलाया जा रहा है |

Fact Check By: Aavya Ray

Result: False