यह घटना तब की है जब रामनाथ कोविंद देश के राष्ट्रपति थे, इसका द्रौपदी मुर्मू के कार्यकाल का नहीं है।

इन दिनों सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल हो रहा है। उसमें आप एक समाचार पत्र की तस्वीर देख सकते है। उसमें लिखा हुआ है कि “मध्य प्रदेश में पुलिसकर्मियों की शर्मनाक हरकत, पानी मांगा तो पांच आदिवासियों को जबरन पेशाब पिलाया गया।“
इसके साथ दावा किया जा रहा है कि यह घटना द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रपति बनने के बाद की है, याने की अभी की है। इसको शेयर कर लोग भाजपा पर तंज कस रहे है कि आदिवासी राष्ट्रपति बनाने के बाद भी आदिवासियों का देश में ये हाल है।
आप नीचे दी गयी तस्वीर में वायरल पोस्ट को देख सकते है।

अनुसंधान से पता चलता है कि…
इस तस्वीर की जाँच करने के लिये हमने फेसबुक पर कीवर्ड सर्च किया तो हमें यही पोस्ट 17 अगस्त 2019 को एक यूज़र द्वारा शेयर की हुई मिली। उस पोस्ट में हमने देखा कि खबर के उपर तारीख 14 अगस्त 2019 लिखी हुई है। आप नीचे दी गयी तस्वीर में देख सकते है।

इससे हम कह सकते है कि यह खबर अगस्त 2019 की है।
फिर इस बारें में और जानकारी पाने के लिये हमने गूगल पर कीवर्ड सर्च किया। 13 अगस्त 2019 को प्रकाशित द वायर की खबर में बताया गया है कि पुलिस हिरासत में लिये गये पाँच आदिवासी पुरुषों के साथ मारपीट करने और उन्हें जबरन पेशाब पिलाने के आरोप में मध्य प्रदेश पुलिस के चार कर्मियों को निलंबित किया गया था।
इंडियन एक्प्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक यह घटना अलीराजपुर जिले के नानपुर थाने की है।
आपको बता दें कि वर्ष 2019 में देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद थे जो दलित समाज से आते है। और इस साल जुलाई में द्रोपदी मुर्मू राष्ट्रपति बनी है जो कि आदिवासी समाज से है।
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निष्कर्ष: तथ्यों की जाँच के पश्चात हमने पाया कि वायरल हो रहे पोस्ट के साथ किया गया दावा गलत है। यह खबर अभी की नहीं है। यह घटना वर्ष 2019 में हुई थी, जब रामनाथ कोविंद देश के राष्ट्रपति थे।

Title:पाँच आदिवासियों को जबरन पेशाब पिलाने की खबर वर्ष 2019 की है, अभी की नहीं।
Fact Check By: Samiksha KhandelwalResult: False
