सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि लगभग सौ साल पहले भारत के एक रुपये की कीमत 13 अमेरिकी डॉलर के बराबर थी। यानी कि भारतीय चलन अमेरिका से मजबूत था।

वायरल पोस्ट में आगे कहा गया कि 1947 में जब अंग्रैजों से आज़ादी मिली तब एक रुपये का भाव एक डॉलर हो गया। लेकिन स्वतंत्र भारत में खराब नीतियों की वजह से हमारा चलन कमजोर होता गया और अब 1 डॉलर की कीमत 74 रुपये हो गई है।

वायरल पोस्ट में लिखा है कि, “1917 में हमारा 1 रुपया 13 डॉलर के बराबर था। वहीं आजादी के समय 1 डॉलार 1 रुपया के बराबर था। बादमें देश में एसे नेता और सरकार आयी जिनके खराब राजनीतियों के कारण हमसे नीचे रहने वाला डॉलच आज 74 रुये के बराबर हो गाय है।

(शब्दशः)

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अनुसंधान से पता चलता है कि…

जांच की शुरुआत हमने वायरल हो रही दावे को गूगल में अलग अलग कीवर्ड से सर्च करने से की। हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक प्रथम विश्व युद्ध के दौरान यानी 1917 में पहली बार एक रुपये का नोट जारी की गई थी। हालांकि 1861 से भारतीय रुपया चलन में था पर तब वो चांदी के सिक्के के रूप में था। जब प्रथम विश्वयुद्ध शुरू हुआ तो चांदी को पिघलाना शुरू कर दिया गया। इसलिए 30 नवंबर 1917 में ब्रिटिशकालिन भारत में एक रुपये की नोट जारी की गई।

1917 की बात करे तो तब एक रुपये का मूल्य 10.7 ग्राम चांदी के बराबर था।

उस वक्त तो भारत ब्रिटिश शासन के अधीन था और ब्रिटिश पाउंड में व्यवहार होता था। भारतीय रिजर्व बैंक के वेबसाईटपर उपलब्ध जानकारी के अनुसार, वर्ष 1917 में एक रुपये का मूल्य 0.066 पाउंड के बराबर था। आसान आंकड़ो में बोले तो 15 रुपये का एक पौंड बनता था।

उस साल एक पाऊंड की कीमत लगभग 4.7 अमेरिकी डॉलर के बराबर थी।

गणित करेंगे तो पता चलेगा कि 1917 में एक रुपये का मूल्य दरअसल 0.3133 डॉलर हुआ करता था। यानी कि एक डॉलर माने 3.33 रुपये होते थे।

इसका मतलब 1917 में भारतीय चलन अमेरिकी चलन से कमजोर था।

आरबीआई के अनुसार, 2014 के अंत तक एक रुपये का मूल्य 63.33 अमेरिकी डॉलर था।

निष्कर्ष:

इससे पता चलता है कि वायरल पोस्ट में किया गया दावा गलत है। 1917 में एक रुपये की कीमत 13 डॉलर नहीं थी. उस वक्त एक रुपये का नोट 0.31 डॉलर के बराबर था।

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Title:क्या 1917 में एक रुपये की कीमत 13 अमेरिकी डॉलर के बराबर थी? जी नहीं, जानिए सच

Fact Check By: Saritadevi Samal

Result: False