
रिप्रेजेन्टेटिव इमेज फोटो क्रेडिट्स- न्यूज़नेशन
३ दिसंबर २०१९ को “Rohan Agarwal” नामक फेसबुक यूजर ने एक पोस्ट किया, जिसमे लिखा गया है कि
“अंत में मोदी सरकार द्वारा एक नया कानून पारित किया गया है | Indian Penal Code_ 233 के अनुसार, यदि किसी लड़की के साथ बलात्कार होने या उसके साथ बलात्कार होने की आशंका है, तो उसके पास उस व्यक्ति को मारने या खतरनाक रूप से नुकसान पहुंचाने का सर्वोच्च अधिकार है और लड़की को हत्या का दोषी नहीं ठहराया जाएगा | जितना हो सके, आप इस मैसेज को फैलाकर जागरूकता पैदा करे |”
साथ ही इस मैसेज में महिलाओं को आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए कुछ सुझाव दिए गये है जिससे वो अपनी सुरक्षा कर सके |
इस पोस्ट के माध्यम से दावा किया जा रहा है कि मोदी सरकार ने भारतीय दंड संहिता के सेक्शन २३३ में संशोधन किया है जिसमें कहा गया है कि अगर कोई महिला किसी पुरुष को अपनी आत्मरक्षा के लिए मार देती है तो उसके खिलाफ कोई शिकायत दर्ज नहीं की जाएगी | कहा गया है कि यह धारा केवल महिलायों के लिए विशेष रूप से बनायीं गई है |
अनुसंधान से पता चलता है कि…
जाँच के शुरुवात में हमने गूगल पर “भारतीय दंड संहिता धारा २३३” के बारें में जानकारी प्राप्त करने से की, जिसके परिणाम से हमें भारत के कानून आयोग की आधिकारिक वेबसाइट पर भारतीय दंड संहिता की धाराओं का पी.डी.ऍफ़ मिला | इस वेबसाइट के अनुसार हमने पाया कि इस धारा २३३ का बलात्कार, यौन उत्पीड़न या आत्मरक्षा के मामलों से कोई सम्बन्ध नहीं है | भारतीय दंड संहिता में धारा २३३ नकली सिक्कों के लिए उपकरण बनाने या बेचने से संबंधित है | आई.पी.सी धारा २३३ न तो बलात्कार विरोधी कानून है और न ही बलात्कार से संबंधित है | इसमें ‘नकली सिक्के बनाने या बेचने के गैर-जमानती अपराध’ को शामिल किया गया है और ३ साल की कैद और जुर्माने की सजा का प्रावधान है |
भारतीय कानून में कोई विशिष्ट आईपीसी धारा नहीं है जो महिलाओं को बलात्कारियों को मारने की अनुमति देती है | हालांकि, भारतीय कानून के अनुसार व्यक्ति गंभीर खतरे की परिस्थितियों में आत्मरक्षा के अपने अधिकार का प्रयोग कर सकता है | आई.पी.सी की धारा ९६ से १०६ इस बात को परिभाषित करती है कि कोई व्यक्ति आत्मरक्षा के अधिकार का प्रयोग कैसे कर सकता है |
फैक्ट क्रेस्सन्डो ने इन धाराओं के बारें में आधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए हैदराबाद स्तिथ वरिष्ट अधिवक्ता सुश्री ज्योति दास जी से संपर्क किया जिन्होंने हमें बताया कि
“आई.पी.सी धारा २३३ बलात्कार, यौन उत्पीड़न या आत्मरक्षा जैसे मामलों से साथ कोई संबंध नहीं रखती है | यह धारा नकली सिक्के के लिए उपकरण बनाने या बेचने के गैर-जमानती अपराध से संबंधित है | भारतीय संविधान में शरीर की निजी सुरक्षा का अधिकार है और जो लोग आशंकित हैं कि उनका जीवन खतरे में है वे इस अधिकार का उपयोग कर सकते हैं | यह भारतीय दंड संहिता में धारा ९६ से १०६ में ये उल्लखित है | ज्ञात रहे कि यह अधिकार किसी के भी द्वारा इस्तेमाल किया जा सकता है, और यह प्रावधान महिलाओं और बलात्कार के मामलों के लिए विशेष नहीं है |”
निष्कर्ष: तथ्यों के जाँच के पश्चात हमने उपरोक्त पोस्ट को गलत पाया है | मोदी सरकार द्वारा ऐसा कोई कानून पारित नहीं किया गया है | भारतीय दंड संहिता के अनुसार धारा २३३ नकली सिक्के के लिए उपकरण बनाने या बेचने के अपराध से संबंधित है |

Title:क्या मोदी सरकार द्वारा पारित कानून के अनुसार महिलाओं को बलात्कारियों को मारने का अधिकार मिला है?
Fact Check By: Aavya RayResult: False
