
६ नवंबर २०१९ को “No Conversion” नामक फेसबुक पेज ने एक वीडियो पोस्ट किया, जिसके शीर्षक में लिखा गया है कि “पंजाब के जालंधर में विजय कॉलोनी में पाकिस्तानी झंडा लहराया गया है | यह क्षेत्र मुख्य रूप से परिवर्तित ईसाई और मिशनरियों से भरा हुआ है |” सोशल मीडिया पर इस वीडियो को व्यापक रूप से इस दावे के साथ साझा किया जा रहा है कि यह जालंधर, पंजाब में विजय कॉलोनी क्षेत्र में कुछ घरों के ऊपर पाकिस्तानी झंडे फहराए गए | वीडियो में एक आदमी को बोलते हुए सुना जा सकता है, अन्य बातों के अलावा, वे कहते हैं, “ये पाकिस्तानी झंडे हैं जो क्षेत्र में ईसाई अल्पसंख्यक द्वारा फहराए जा रहे हैं, जिसके बाद जालंधर मिनी पाकिस्तान बन गया है |”
अनुसंधान से पता चलता है कि…
जाँच की शुरुआत हमने इस बात पर ध्यान दिया कि वीडियो के कैप्शन और उसमें बोलने वाले व्यक्ति दोनों ने घटना के दृश्य को जालंधर की विजय कॉलोनी बताया | इसे ध्यान में रखते हुए, हमने जालंधर में क्षेत्र के प्रभारी पुलिस अधिकारियों से संपर्क करने की कोशिश की |
हमारी बात जालंधर के कमिश्नर गुरप्रीत सिंह भुल्लर से संपर्क किया, उन्होंने हमें बताया कि “पुलिस को कथित तौर पर इस क्षेत्र में पाकिस्तानी झंडों फहराए जाने के चलते हंगामे के बाद बुलाया गया था, जब पुलिस वहां पहुंची तो पाया कि यह वास्तव में ऐसा कुछ नही हुआ था क्योंकि जो झंडे लेहेराये गये थे वो पाकिस्तानी झंडे नही थे |
उन्होंने कहा कि कुछ लोगों द्वारा इन झंडे के पाकिस्तानी होने की अफवाह शुरू कर दी गई थी और पुलिस को हस्तक्षेप करते हुए कार्रवाई करने के लिए बुलाया था | पुलिस द्वारा क्षेत्र में एक टीम भेजी गई थी इस बात की पुष्टि करने के लिए |
साथ ही उन्होंने कहा कि जांच के बाद, यह पाया गया कि झंडे केवल इस्लामिक झंडे थे और पाकिस्तानी झंडे नहीं थे जिन लोगों ने शिकायत दर्ज की है उन्हें इस अंतर के बारे में पता नहीं था और उन्होंने अफवाहों पर विश्वास कर शिकायत करी थी |
उन्होंने बताया कि झंडे फहराने वाले मुस्लिम समुदाय के सदस्यों ने बताया कि वे पाकिस्तानी नहीं बल्कि इस्लामिक झंडे हैं, जिन्हें उन्होंने १० नवंबर को पैगंबर मोहम्मद के जन्मदिन के चलते फहराया था |
इसके पश्चात हमने इस घटना से जुडी ख़बरों को ढूँढा, जिसके परिणाम से हमें ५ नवंबर २०१९ को जागरण द्वारा प्रकाशित खबर मिली, जिसके शीर्षक में लिखा गया है कि गढ़ा में मजहबी झंडों को पाकिस्तानी झंडा समझ लोगों का विरोध, पुलिस ने उतरवाए जालंधर न्यूज़” | इस खबर में एक आदमी को वीडियो में दिखाए गये झंडे को पकड़कर तस्वीर देख सकते है | इस तस्वीर के शीर्षक में लिखा गया है कि “मुस्लिम समुदाय के लोगों ने किसी खास कार्यक्रम के कारण क्षेत्र में जगह-जगह पर मजहबी झंडे लगाए थे। लोगों ने इन्हें पाकिस्तानी झंडा समझ विरोध कर दिया |”
नीचे आप जागरण द्वारा प्रकाशित तस्वीर में दिखाए गये इस्लामिक झंडे और पाकिस्तानी झंडे की तुलनात्मक तस्वीर देख सकते है | हम दो झंडों के बीच एक स्पष्ट अंतर देख सकते हैं | पाकिस्तानी राष्ट्रीय ध्वज में बाईं ओर सफेद पट्टी है जिसके साथ एक अर्धचंद्र और तारा हरे रंग के बैकग्राउंड पर देखा जा सकता है | दूसरी ओर, जालंधर में इस्तेमाल किए जाने वाले झंडे में दो पट्टी थीं, एक नीले रंग की बैकग्राउंड पर सफेद धब्बों के साथ और दूसरी सफेद रंग की पट्टी पर काले जिग-जैग लाइनों के साथ देखी जा सकती है | १० नवंबर को पैगंबर हजरत मुहम्मद की जयंती मनाने के लिए इलाके में इन्हें फहराया गया, यह इस्लामिक झंडे है |
निष्कर्ष: तथ्यों के जाँच के पश्चात हमने उपरोक्त पोस्ट को गलत पाया है | पंजाब के जालंधर में फहराये गए इस्लामिक झंडों का एक वीडियो गलत दावे के साथ साझा किया जा रहा है कि इलाके में पाकिस्तानी झंडे लेहेराए गए थे | वीडियो में उड़ते हुए देखे जा सकने वाले झंडे पाकिस्तान के नहीं हैं, बल्कि बस इस्लामिक झंडे हैं |

Title:इस्लामिक झंडे लहराने के वीडियो को पाकिस्तानी झंडे बता कर वाईरल किया जा रहा है|
Fact Check By: Aavya RayResult: False
