देश भर में कोविड वैक्सीन टीकाकरण अभियान के प्रथम चरण के तहत स्वास्थ्यकर्मियों के टीकाकरण की प्रक्रिया चल रही है, वर्तमान में इस सन्दर्भ में इंटरनेट पर इस अभियान से जुड़े कई वीडियो व तस्वीरें साझा की गयी है, जिनमें से कुछ गलत व भ्रामक दावे इंटरनेट पर वायरल होते चले आ रहे है। ऐसे कई दावों की जाँच कर उनकी सच्चाई फैक्ट क्रेसेंडो ने अपने पाठकों तक पहुँचायी है। वर्तमान में एक वीडियो सोशल मंचो पर तेज़ी से वायरल हो रहा है, उस वीडियो में आप कुछ स्वास्थ कर्मियों को देख सकते है। आप को यह भी दिखेगा कि दो लोग को वैक्सीन लेने का अभिनय कर रहें हैं व उनकी तस्वीरें भी खिची जा रही है, परंतु वीडियो को ध्यान से देखने पर आपको समझेगा कि असल केवल तस्वीर खिचवाने के लिए यह सब किया जा रहा है। वीडियो के साथ जो दावा वायरल हो रहा है, उसके मुताबिक ये दो लोग भा.ज.पा के नेता है, जो केवल तस्वीर के लिए वैक्सीन लगवाने की एक्टिंग कर रहे है।

वायरल हो रहे वीडियो के शीर्षक में लिखा है,

इन भाजपाइयों को देखिये ज़रा सुई के नाम पर सिर्फ़ फ़ोटोशाप और इसके बाद विजेता भी बन रहें हैं बता रहे है की यह कर्नाटक के भाजपा के लोग हैं !! #coronavirus #CoronaVaccine #coronavaccineinindia

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फेसबुक | आर्काइव लिंक

इस वीडियो को इंटरनेट पर काफी तेज़ी से साझा किया जा रहा है।

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अनुसंधान से पता चलता है कि...

फैक्ट क्रेसेंडो ने जाँच के दौरान पाया कि वायरल हो रहा दावा गलत व भ्रामक है। वीडियो में दिख रहे लोग भा.ज.पा के कार्यकर्ता नहीं है, वे दोनो डॉक्टर हैं। उनका टीकाकरण पहले ही हो गया था और मीडिया के समक्ष केवल तस्वीर खिचवाने के लिए वे वैक्सीन लेने की एक्टिंग कर रहे थे।

जाँच की शुरुवात हमने वायरल हो रहे वीडियो को इनवीड- वी वैरिफाइ टूल के माध्यम से छोटे कीफ्रम्स में काटकर गूगल रीवर्स इमेज सर्च के ज़रिये की, परिणाम में हमें एक समाचार लेख मिला जिसमें वीडियो में दिख रहे दोनो लोगो की तस्वीरें प्रकाशित की हुई मिलीं। यह समाचार लेख कन्नडा भाषा में प्रकाशित किया हुआ है। यह समाचार लेख वर्धभारती नामक एक वैबसाइट पर इस वर्ष 20 जनवरी को प्रकाशित किया गया था। इस समाचार लेख के मुताबिक वायरल हो रहे वीडियो में दिख रहे दो लोग जो कथित तौर पर वैक्सीन ले रहे है, वे कर्नाटका के टूमकूर जिले के डॉक्टर है, जिनमें से जो पुरुष डॉक्टर है वे टूमकूर के जिला चिकित्सा अधिकारी, डॉ. नागेद्रप्पा है और जो महिला डॉक्टर है उनका नाम डॉ रजनी है और वे टूमकूर के सरकारी नर्सिंग कॉलेज की प्रधान अध्यापिका है।

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इसके पश्चात उपरोक्त जानकारी को ध्यान में रखते हुए हमने टूमकूर के जिला चिकित्सा अधिकारी डॉ नागेंद्रप्पा से संपर्क किया, जिन्होंने हमें वायरल हो रहे दावे को गलत व भ्रामक बताते हुए कहा कि,

“वायरल हो रहा दावा सरासर गलत है। यह 16 (जनवरी) तारिख की बात है, जब हमारे जिले में टीकाकरण की प्रक्रिया शुरु हुई थी और एक अधिकारी होने के कारण मैंने उसी दिन कोविड वैक्सीन लगवायी ताकि लोगों में एक अच्छा संदेश पहुँचे। मैंने और डॉ रजनी ने पहले ही टीका लगवा लिया था और उसके बाद मीडिया वाले तस्वीरें व वीडियो लेने पहुँचे और उन्होंने समाचार लेखों के लिए फोटो खिंचवाने का आग्रह किया जिसकी वजह से हमने टीका लगवाने की एक्टिंग की, क्योंकि हम पहले ही टीका लगवा चुके थे। एक चिकित्सा अधिकारी होने के नाते मै जिले में हर जगह जाकर लोगों को टीकाकरण करने के लिए जागृत कर रहा हूँ। पूरे कर्नाटका में हमारे जिले में सबसे ज़्यादा यानि की 80% से भी ज़्यादा मात्रा में टिकाकरण हुआ है।“

तदनंतर हमने वीडियो में दिख रही डॉ रजनी से संपर्क किया, उन्होंने हमें बताया कि,

मेरा कॉलेज टीकाकरण के लिए एक सेंटर था, मैंने काफी अच्छे से पूरे कॉलेज को सजवाया था। मैंने 16 तारिख को 11.30 से 12 बजे के बीच कोविड वैक्सीन लगवायी थी और उसी दिन जिले के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों ने भी टीका लगवाया था। जब मीडिया वाले आए तो उन्हें उन अधिकारियों के साथ मेरी तस्वीरें व वीडियो लेना था और चूँकी मैंने पहले से ही टीका लगवा लिया था, इसलिए तस्वीरों व वीडियो के लिए मुझे टीका लगवाने की एक्टिंग करनी पड़ी।“

इस संदर्भ में हमें डॉ रजनी ने हमें एक वीडियो स्पष्टीकरण भी भेजा, जिसे आप नीचे देख सकते है।

हमें उन्होंने कुछ दस्तावेज़ भी उपलब्ध कराये जिनसे हम ये साबित कर सकते है कि डॉ रजनी का टीकीकरण 16 जनवरी को हुआ है।

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निष्कर्ष: तथ्यों की जाँच के पश्चात हमने पाया है कि उपरोक्त दावा गलत व भ्रामक है। वीडियो में दिख रहे लोग भा.ज.पा के कार्यकर्ता नहीं है, वे दोनो स्वास्थ्य कर्मी हैं। उनका टीकाकरण पहले ही हो गया था और केवल तस्वीर खिचवाने के लिए वे वैक्सीन लेने की एक्टिंग कर रहे थे।

फैक्ट क्रेसेंडो द्वारा किये गये अन्य फैक्ट चेक पढ़ने के लिए क्लिक करें :

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१. बेल्जियम के पुराने वीडियो को फ्रांसीसी संसद में इस्लाम विरोधी भाषण के रूप में फैलाया जा रहा है|

२. क्या इंग्लैंड के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने किसान आंदोलनों के समर्थन में अपना भारत दौरा रद्द किया? जानिये सच…

३. वर्ष 2017 में पंजाबी भाषा की सर्वोच्चता को लेकर हुये विरोध की तस्वीरों को वर्तमान किसान आंदोलन से जोड़कर वायरल किया जा रहा है।

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Title:कर्नाटका के टूमकूर में स्वास्थ्यकर्मियों को भा.ज.पा नेता बता, उनका वीडियो गलत दावे के साथ वायरल किया जा रहा है।

Fact Check By: Rashi Jain

Result: False