१ सितम्बर २०१९ को फेसबुक के ‘Rafik Khan Janj’ नामक एक पेज पर एक पोस्ट साझा किया गया है जिसमें एक वीडियो तथा एक तस्वीर दी गई है | वीडियो में कश्मीरी टोपी पहने एक शख्स भाषण देते हुए दिखाई देते है तथा तस्वीर एक बच्चे की है जो चेहरे पर गंभीर चोटों की वजह से मृत हुआ प्रतीत होता है |

पोस्ट के विवरण में लिखा गया है कि,

कश्मीर की हालत औरतों और बच्चों पर भी जुल्म ढाए जा रहे हैं कश्मीर अपना है तो कश्मीरी भी तो अपने हैं अल्लाह सब देख रहा है अल्लाह की मार में आवाज़ नहीं है अल्लाह इन बेसहारा कश्मीरीयों को हिफाज़त फरमा आमीन ये है कश्मीर की हालत औरतों और बच्चों पर भी जुल्म ढाए जा रहे हैं कश्मीर अपना है तो कश्मीरी भी तो अपने हैं अल्लाह सब देख रहा है अल्लाह की मार में आवाज़ नहीं है अल्लाह इन बेसहारा कश्मीरीयों को हिफाज़त फरमा आमीन

इस पोस्ट व्दारा किया यह दावा किया जा रहा है कि, मौजूदा स्थिति में जम्मू-कश्मीर की औरते व बच्चों पर जुल्म ढाए जा रहे है | तो आइये जानते है इस वीडियो व दावे की सच्चाई |

मूल पोस्ट यहाँ देखें – ‘Rafik Khan Janj’ | ARCHIVE POST

अनुसन्धान से पता चलता है कि...

सबसे पहले हमने साझा वीडियो के की-फ्रेम्स को इन्विड टूल की मदद से रिवर्स इमेज सर्च किया तो हमें बिंग सर्च परिणाम से यू-ट्यूब का एक लिंक मिला | इस लिंक में २१ अक्तूबर २०१० को दिल्ली के एलटीजी सभागृह में आयोजित आझादी परिषद में कश्मीरी नेता सय्यद अली शाह गिलानी इनके भाषण का दूसरा भाग हमें मिला, जो TehelkaKashmir द्वारा २९ अक्तूबर २०१० को अपलोड किया गया था | १४ मिनट १४ सेकंड के इस भाग में उपरोक्त पोस्ट में साझा विडियो की क्लिप हमें नहीं मिली | इसके बाद हमने इस भाषण का पहला भाग ‘speech of Syed Ali Shah Geelani at the Azadi Conference’ इन की-वर्ड्स के साथ यू-ट्यूब पर ढूंढा, तो हमें परिणाम से इस भाषण का पहला भाग मिला | यह विडियो आप नीचे देख सकते है |

१४ मिनट १५ सेकंड के इस विडियो में ७ मिनट २५ सेकंड से ८ मिनट ४२ सेकंड तक तथा ८ मिनट ५६ सेकंड से ९ मिनट ५८ सेकंड तक इन दो क्लिप्स को मिलाकर उपरोक्त पोस्ट का साझा विडियो बनाया गया है, जिसमे घाटी में तैनात भारतीय सेना के कश्मीरियों पर कथित जुल्म का जिक्र गिलानी द्वारा भाषण में किया गया है |

दोनों वीडियो की तुलना आप नीचे देख सकते है |

इससे यह बात स्पष्ट होती है की, सय्यद अली शाह गिलानी द्वारा दिया गया यह भाषण हाल का नहीं है, बल्कि २०१० का है |

इसके बाद हमने साझा तस्वीर को रिवर्स इमेज सर्च किया | ‘यांडेक्स’ सर्च परिणाम से हमें ‘Airwars.org’ का एक लिंक मिला | इस लिंक पर सीरिया में लड़ाई में मृत हुए एक परिवार के लोगों के बारे में जानकारी दी गई है | इस जानकारी के मुताबिक तस्वीर में दिखाई दे रही बच्ची का नाम आयशा सालेह हसन था | २९ दिसम्बर २०१५ को सीरिया के उत्तरी अलेप्पो में हुई कथित बमबारी में उसकी मृत्यु हो गई, जब उसका परिवार सीरिया के हिंसाचार से बचकर तुर्की भाग रहा था |

पूरी जानकारी यहाँ पढ़ें - आयशा सालेह हसन | ARCHIVE PAGE

इस पेज पर एक फेसबुक लिंक भी दिया है | Al - Hasakah Youth Union इस पेज पर २९ दिसम्बर २०१५ को साझा पोस्ट में भी यही जानकारी है |

मूल पोस्ट यहाँ देखें - Al - Hasakah Youth Union | ARCHIVE POST

अतः यह बात स्पष्ट हो जाती है कि, वीडियो कश्मीर के मौजूदा हालात का नहीं है, बल्कि २०१० का है | साथ ही साझा तस्वीर भी कश्मीरी बच्चे की नहीं है, बल्कि सीरिया की है |

जांच का परिणाम : इस संशोधन से यह स्पष्ट होता है कि, उपरोक्त पोस्ट में साझा वीडियो के साथ किया गया दावा कि, “कश्मीर की हालत औरतों और बच्चों पर भी जुल्म ढाए जा रहे हैं |” सरासर गलत है | वीडियो तथा तस्वीर का कश्मीर के मौजूदा हालात से कोई सम्बन्ध नहीं है |

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Title:गिलानी के पुराने भाषण तथा सीरिया के मृत बच्ची की तस्वीर को कश्मीर के मौजूदा हालात बताया जा रहा है |

Fact Check By: R Pillai

Result: False