
५ सितम्बर २०१९ को फेसबुक पर ‘AJ Khan’ नामक यूजर द्वारा साझा एक पोस्ट में एक वीडियो दिया है, जिसमे पुलिसकर्मी लोगों के घरों पर छापा मारते हुए दिख रहे हैं | पोस्ट के विवरण में लिखा है कि, “कश्मीर : अगर ये लोग वाकई में पुलिस हैं तो चेहरे को ढकने की क्या जरुरत है? और कश्मीरी औरतों/लड़कियों पर क्यूँ अत्याचार कर रहे हैं ? कहीं ये आरएसएस के गुंडे तो नहीं जिन्हें मोदी सरकार ने छोड़ रखा है ? शर्म करो मोदी सरकार। #SaveKashmir & #SaveKashmiriPeople”
केंद्र सरकार द्वारा कश्मीर से अनुच्छेद ३७० हटाने को लेकर सोशल मंचों पर कई अलग अलग दावे हो रहे हैं | इस पोस्ट में भी कश्मीर की मौजूदा स्थिति के चलते यह दावा किया जा रहा है कि – ‘यह वीडियो वर्तमान में जम्मू-कश्मीर में पुलिस या RSS द्वारा औरतों पर हो रहे अत्याचार का है |’ क्या सच में ऐसा है ? आइये जानते है इस पोस्ट के दावे की सच्चाई |
सोशल मीडिया पर प्रचलित कथन:
अनुसंधान से पता चलता है कि…
वीडियो को ध्यान से देखने पर साफ़ पता चलता है, कि इस वीडियो में दिखने वाले लोग नाटकीय तरीके से बर्ताव कर रहे है और ऐसा जताने की कोशिश कर रहें है कि यह सचमुच में मारपीट हो रही है | ऐसा दर्शाया जा रहा है कि पुलिस अत्याचार कर रही है और महिलायें भी पुलिस का डटकर विरोध कर रहीं है, मगर यह सब एक नाटक लगता है | पुलिस डंडा मारने जाता है, मगर डंडे से सिर्फ़ छू कर मुड़ जाता है | महिलायें जोर-जोर से पुलिस को मारने का अभिनय करती है, मगर पुलिस पर हाथ बहुत धीरे से पडते दिखाई देता है | इन छोटी-छोटी हरकतों को देखने पर साफ़ पता चलता है कि यह वीडियो एक नाटक है |
इसके बाद हमने सबसे पहले InVid Tool की मदद से उपरोक्त वीडियो का स्क्रीन शॉट लेकर यांडेक्स इमेज सर्च में ढूंढा | हमने पाया की यह वीडियो यू-ट्यूब पर ५ मई २०१९ को Khaabroo WebTv द्वारा अपलोड किया गया है, जिसके शीर्षक में अरबी भाषा में लिखा है कि (हिंदी में अनुवाद), ‘डॉन सैदाबाद में सोलानी समुदाय के घरों पर पुलिस छापेमारी कर रही है, महिलाओं के साथ हर तरह की मानवता को निभाते हुए देखा जा सकता है। यद्यपि यह शासन को बनाए रखने के लिए अच्छा नहीं लगता है, आप एक राजनीतिज्ञ हैं |’
इस वीडियो के शीर्षक और विवरण में हमें ‘सिंध’ व ‘सईदाबाद’ लिखा मिला | जब हमने गूगल पर ‘saeedabad sindh’ की वर्ड्स को ढूंढा, तो हमें पाकिस्तान में स्थित शहर का मैप मिला |
इस बात से यह तो साफ़ पता चलता है कि उपरोक्त वीडियो भारत का नहीं, बल्कि पाकिस्तान के सिंध प्रान्त का है |
फिर हमने इस बारे में पाकिस्तान के सिंध पुलिस के आधिकारिक ट्विटर पेज पर ढूंढा, तो हमें ११ मई २०१९ को इस घटना से जुडे तीन ट्वीट मिले | इस ट्वीट में इस घटना को सिंध में स्थित जमशोरो का बताया गया है और कहा गया है कि यह वीडियो गलत है और लोगों को भ्रमित करने तथा सिंध पुलिस का नामे को बदनाम करने के उद्देश्य से बनाया गया है |
पहला ट्वीट : ११ मई २०१९ : १५:५६ : ArchivedLink
दूसरा ट्वीट : ११ मई २०१९ : १५:५७ : ArchivedLink
तीसरा ट्वीट : ११ मई २०१९ : १६:३२ : ArchivedLink
इस बारे में जब हमने गूगल पर ‘fake video+Jamshoro+police torture in Sindh’ कीवर्ड्स से ढूंढा तो हमें १२ मई २०१९ को ‘Dawn’ नामक एक समाचार वेबसाइट पर इस सन्दर्भ में प्रसारित एक ख़बर मिली | इस ख़बर के अनुसार इस फ़र्ज़ी वीडियो को बनाने में कुल मिलाकर ९ लोगों का हाथ था जिसमें ४ पुलिसकर्मी भी थे | शनिवार को जम्शोरो एसएसपी तौकीर मोहम्मद नईम ने भान सैयदाबाद पुलिस स्टेशन में संवाददाताओं को बताया कि, इनमें से चार पुलिसकर्मियों और एक नागरिक को फर्जी वीडियो अपलोड करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, जिसमें पांच दिन पहले वर्दीधारी पुरुषों द्वारा महिलाओं को प्रताड़ित करते हुए दिखाया गया था, | पूरी ख़बर को पढने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें |
इस अनुसंधान से यह बात स्पष्ट होती है कि उपरोक्त पोस्ट में साझा वीडियो पाकिस्तान के सिंध प्रान्त के जमशोरो नामक शहर में पुलिस और कुछ आम नागरिकों द्वारा बनाया गया फ़र्ज़ी वीडियो है, जिसे सिंध पुलिस की बदनामी करने के उद्देश्य से फैलाया जा रहा है |
जांच का परिणाम : उपरोक्त पोस्ट मे किया गया दावा “’यह वीडियो वर्तमान में जम्मू-कश्मीर में पुलिस या RSS द्वारा महिलाओं पर हो रहे अत्याचार का है |” ग़लत है |

Title:पाकिस्तान की एक घटना का वीडीयो कश्मीर का बता कर फैलाया जा रहा है |
Fact Check By: Natasha VivianResult: False
