बांग्लादेश के एक पुराने वीडियो को उत्तराखंड में गंगा नदी का बता एक फर्जी सांप्रदायिक दावे के साथ जोड़ साझा किया जा रहा है |

Communal False Political

सोशल मीडिया पर अकसर विभिन्न सांप्रदायिक समुदायों पर निशाना साधकर गलत व भ्रामक खबरे फैलाई जाती है जिसकी प्रमाणिकता पूर्व में भी फैक्ट क्रेसेंडो ने पाठकों तक पहुंचाई है | इसी क्रम में सोशल मीडिया पर एक दो मिनट का एक वीडियो इस दावे के साथ शेयर किया जा रहा है कि मुस्लिम समुदाय के लोग गंगा नदी में खड़े होकर अज़ान पढ़ रहे है और ऐसा करना गंगा के किनारे को अपने समुदाय के लिए एक स्थायी बस्ती बनाने की उनकी योजना का हिस्सा है। इस वीडियो में कई लोगों को नदी के बी बीचों बीच घुटनों तक पानी में खड़े है | वीडियो के माध्यम से दावा किया जा रहा है कि यह वीडियो उत्तराखंड स्थित गंगा नदी से है जहाँ मुसलमान समुदाय के लोग अपने स्थाई निवास बनाने कि तैयारी कर रहे है |

पोस्ट के शीर्षक में लिखा गया है कि 

#उत्तराखंड_मांगे_भू_कानून #जमीन_जिहाद यह मुस्लिमों की एक योजना है कि एकान्त स्थान पर गंगा नदी में अज़ान लगा कर कब्जा किया जये। इनकी योजना के अनुसार गंगा नदी के किनारे किनारे पर अस्थाई निवास बनाये जाय बाद में यह स्थाई निवास में परिवर्तन कर दिया जायेगा। लड़ाई पानी के लिए होनी है। और यह गंगा के किनारे रह कर यह मुस्लिम इस्लाम को बुलन्द करेंगे। अत्यंत दुख इस बात पर होता है कि हिन्दू महगाई का राग अलापते रह जाएंगे और ये मजहबी कौम धीरे धीरे देश पर कब्जा कर लेगी।

फेसबुक पोस्ट | आर्काइव लिंक 

यह वीडियो फेसबुक पर व्यापक रूप से फैलाया जा रहा है |

अनुसंधान से पता चलता है कि…

फैक्ट क्रेसेंडो ने पाया है कि वायरल वीडियो बांग्लादेश के खुलना जिले का है जब वहां के निवासियों ने घुटने तक गहरे पानी में खड़े होकर ईद की नमाज़ अदा की थी क्योंकि मई २०२० में चक्रवात अम्फान के बाद तटबंध क्षतिग्रस्त हो गए थे |

जाँच की शुरुवात हमने इस वीडियो को इन्विड वी वेरीफाई टूल की मदद से छोटे कीफ्रेम्स तोड़कर व गूगल पर रिवर्स इमेज सर्च करने से किया | खोज परिणामों ने हमें ‘डेली अजमेर न्यूज़’ नामक एक आधिकारिक चैनल द्वारा प्रसारित एक यूट्यूब वीडियो तक पहुँचाया जिसे २५ मई २०२० को अपलोड किया गया था | इस वीडियो के शीर्षक में कहा गया है कि बांग्लादेश में कोयरा उपजिला के निवासियों ने घुटने भर पानी में खड़े होकर चक्रवात अम्फान के बाद अलग तरीके से ईद मनाई | इस वीडियो के विवरण में लिखा गया है कि “आज के इस वीडियो में आप देखेंगे -घुटनों के बल खड़े किस तरह अम्फान से प्रभावित कोइरा के लोगों ने अलग तरह से मनाई ईद |”

उपरोक्त वीडियो से संकेत लेते हुए, हमने गूगल पर सम्बंधित कीवर्ड की खोज की, जिसके परिणाम से हमें बांग्लादेश में ईद के अवसर पर घुटने भर पानी में प्रार्थना करने वाले लोगों के बारे में कई समाचार रिपोर्टें मिलीं | २५ मई २०२० को प्रकाशित ढाका ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि चक्रवात अम्फान ने तटबंधों को नष्ट कर दिया था और खुलना जिले के कोयना उपज़िला में कई इलाकों में बाढ़ आ गई थी, जिससे लोगों को नमाज़, या ईद की नमाज़ अदा करने के लिए, घुटने के गहरे पानी में खड़े होना पड़ा |

आर्काइव लिंक 

जाँच में आगे बढ़ते हुए हमें २५ मई २०२० को बांग्लादेश के एक आधिकारिक समाचार चैनल जमुना टीवीपर प्रकाशित एक यूट्यूब वीडियो मिला। इस वीडियो के विवरण में लिखा गया है कि चक्रवात अम्फान से क्षतिग्रस्त हुए तटबंध के पानी के बीच खुलना के कोइरा में हजारों लोगों ने ईद-उल-फितर की नमाज अदा की है | पूरे देश में इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया दी गई है। प्रार्थना के बाद ग्रामीणों ने मिलकर बांध की मरम्मत का काम किया। ग्रामीणों ने शिकायत की है कि जल विकास बोर्ड इस मामले में मदद नहीं कर रहा है |

इसके बाद, वायरल वीडियो की तुलना २०२० में समाचार चैनल द्वारा अपलोड किए गए वीडियो से करने पर, हमें कई समान तत्व मिले जिससे यह स्पष्ट हो गया कि वायरल वीडियो असल में बांग्लादेश से है और इस वीडियो का भारत से कोई संबंध नहीं है |

बीबीसी द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार चक्रवात अम्फान ने २० मई २०२० को पूर्वी भारत और बांग्लादेश के तट से टकराया था और कहर बरपाया था, जिसमें दोनों देशों में कम से कम ८४ लोग मारे गए थे |

निष्कर्ष: तथ्यों की जाँच के पश्चात हमने उपरोक्त वीडियो के साथ किये गये दावे को गलत पाया है | वायरल वीडियो बांग्लादेश के खुलना जिले का है जब निवासियों ने घुटने भर गहरे पानी में खड़े होकर ईद की नमाज़ अदा की थी, क्योंकि मई २०२० में चक्रवात अम्फान के बाद तटबंध क्षतिग्रस्त हो गए थे | इस वीडियो का भारत से कोई सम्बन्ध नहीं है | इस वीडियो को गलत तरीके से सांप्रदायिक रंग देते हुए भारत से संदर्भ में फैलाया गया है |

फैक्ट क्रेसेंडो द्वारा किये गये अन्य फैक्ट चेक पढ़ने के लिए क्लिक करें :

१. ताइवान में नववर्ष के मौके पर की गयी आतिशबाजी को टोक्यो ओलंपिक के उद्घाटन का बता वायरल किया जा रहा है।

२. ऑनलाइन पढ़ाई के लिए भारत सरकार द्वारा ३ महीने के रिचार्ज प्लैन फ्री में देने के दावे गलत हैं।

३. पाकिस्तान स्थित कघान घाटी में गाड़ियों की लम्बी कतारों के वीडियो को हिमांचल प्रदेश का बता वायरल किया जा रहा है।

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Title:बांग्लादेश के एक पुराने वीडियो को उत्तराखंड में गंगा नदी का बता एक फर्जी सांप्रदायिक दावे के साथ जोड़ साझा किया जा रहा है |

Fact Check By: Aavya Ray 

Result: False