
७ अगस्त २०१९ को “Fakhir Ali Khan” नामक एक फेसबुक यूजर ने एक विडियो पोस्ट किया, जिसके शीर्षक में लिखा गया है कि “भारत से अपनी ज़मीन को आज़ाद करने के लिए, सैकड़ों हजारों कश्मीरी औरतों ने कल कश्मीर के गलियों में विरोध प्रदर्शन करते हुए आजादी के नारे लगाये… कश्मीरियों में से एक ने इस वीडियो को पूरी दुनिया में फैलाने का अनुरोध किया क्योंकि भारतीय मीडिया ने इतनी बड़ी रैली को कवर नहीं किया | तो, कृपया अधिक से अधिक शेयर करें |”
जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल ३७० को हटाए जाने के बाद यह वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है | वीडियो को शेयर करते हुए दावा किया जा रहा है कि ६ अगस्त २०१९ को हजारों की संख्या में कश्मीरी महिलायें विरोध प्रदर्शन करते हुए कश्मीर की सड़कों पर उतर आई है ताकि वे भारत से कश्मीर को आज़ाद कर सके | यह विडियो सोशल मीडिया पर काफ़ी तेजी से साझा किया जा रहा है |
संशोधन से पता चलता है कि…जांच की शुरुआत हमने इस विडियो को इनविड टूल का इस्तेमाल करते हुए छोटे कीफ्रेम्स में तोडा व गूगल रिवर्स इमेज सर्च किया, परिणाम में हमें १२ दिसंबर २०१८ को PMLN videos द्वारा प्रकाशित एक यूट्यूब विडियो मिला | इस विडियो के शीर्षक में लिखा गया है कि “मेरा कश्मीर: है हक हमारा आजादी” | इससे हमें यह बात स्पष्ट हो गयी की यह विडियो हाल ही में हुये किसी विरोध प्रदर्शन को नहीं दर्शाता है क्योंकि यह ७ महीने पहले से ही ऑनलाइन प्लैट्फ़ॉर्म पर उपलब्ध है |
इस विडियो को १५ दिसंबर २०१८ को मारखोर टीवी ने भी प्रसारित किया था, जिसके शीर्षक में लिखा गया है कि “कश्मीरी औरतें आज़ादी के नारे लगते हुए” |
यह भी स्पष्ट रहे कि ऐतिहात के चलते घाटी में CRPC की धारा १५५ लगायी गयी है, ANI ने एक ट्वीट के हवाले से ये ख़बर दी थी कि ५ अगस्त २०१९ की आधी रात से ही श्रीनगर में धारा १४४ लागू दी गयी है, जिसकी वजह से वहां ऐसे किसी भी प्रदर्शन की संभावना नहीं है | धारा १४४ लागू करने का अर्थ है कि किसी क्षेत्र में चार या अधिक लोगों की सभा को प्रतिबंधित करने का आदेश जारी करना |
निष्कर्ष: तथ्यों के जांच के पश्चात हमने उपरोक्त पोस्ट को गलत पाया है, कश्मीर की एक पुराने विडियो को साझा करते हुए यह दावा किया जा रहा है कि यह हाल ही में हुई विरोध प्रदर्शन का है |

Title:कश्मीर में महिलाओं के विरोध प्रदर्शन का पुराना विडियो वर्तमान का बता कर फैलाया जा रहा है।
Fact Check By: Aavya RayResult: False
