
एक घायल व्यक्ति के गले हुए अंगों को दर्शित करता एक वीडियो सोशल मीडिया पर काफी तेजी से फैलाया जा रहा है | वीडियो में एक आदमी जिसका शरीर लगभग गल चुका है को बिस्तर पर लेटा हुआ देखा जा सकता है | इस वीडियो को सोशल मीडिया पर साझा करते हुए दावा किया जा रहा है कि यह व्यक्ति सिद्धार (योगी) है जिन्होंने ३०० साल पहले तमिल नाडू में समाधी ली थी और वल्लियूर मंदिर के नवीकरण करते वक़्त इस योगी को जीवित पाया गया |
पोस्ट के शीर्षक में लिखा गया है कि “यह सिद्धार (योगी) का वर्तमान जीवन है जो 300 साल पहले तमिलनाडु के वल्लियुर में समाधी में गये थे | वल्लियूर मंदिर के नवीकरण के लिए मिट्टी खोदते समय उन्हें जीवित पाया गया था | सिद्धार योगासन में बैठे नजर आते हैं |”
अनुसंधान से पता चलता है कि..
जाँच की शुरुवात हमने इस वीडियो को इन्विड टूल का इस्तेमाल कर छोटे की फ्रेम्स में तोडा व गूगल रिवर्स इमेज सर्च किया, जिसके परिणाम में हमें २६ जून २०१९ को डेली मेल यूके में प्रकाशित एक खबर मिली | खबर के अनुसार “जीवित लाश की तरह दिखने वाले एक रूसी व्यक्ति को भालू के गुफा से बचाया गया है | भालू ने उसकी पीट की हड्डी तोड़ने के बाद उसे गुफा छोड़ दिया था, लगभग एक महीने के बाद इनको वहां से बचाया गया |” साथ ही लिखा गया है की इस आदमी ने खुदकी पहचान एलेग्जेंडर के रूप में की है |
डेली मेल यूके ने २९ जून २०१९ को एक अपडेट स्टोरी प्रकाशित की जिसके अनुसार डॉक्टर का कहना है कि उनका मरीज क्रॉनिक सोरायसिस से पीड़ित है और उसे कभी भी जानवर जैसे की भालू ने नहीं मारा था | साथ ही यह आदमी रुसी नही बल्कि कज़ाखिस्तान के नागरिक है |
इसी खबर को स्कॉटिश सन ने भी २९ जून २०१९ को प्रकाशित करते हुए कहा था कि वीडियो और तस्वीर में दिखाये गये आदमी को किसी भी भालू ने हमला कर गुफा में १ महीने बांध कर नही रखा था, बल्कि यह आदमी क्रॉनिक सोरायसिस नामक एक बीमारी से पीड़ित है |
निष्कर्ष: तथ्यों के जाँच के पश्चात हमने उपरोक्त पोस्ट को गलत पाया है | सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो तमिल नाडू में किसी योगी का ३०० साल तक समाधी लेकर जिंदा रहने का नही है | यह वीडियो असल में एक कज़खिस्तानी आदमी का है जो क्रॉनिक सोरायसिस नामक एक बीमारी से पीड़ित है |

Title:क्या यह योगी ३०० साल पहले समाधी लेने बाद अब तक जीवित है ?
Fact Check By: Aavya RayResult: False
