
रोहिंग्या शरणार्थी हमेशा चर्चा का विषय होते हैं | इसी प्रकार की एक पोस्ट फैक्ट-क्रिसेंडो को प्राप्त हुई जो ११ दिसम्बर २०१९ को फेसबुक पर ‘Anil Kumar Hindu’ द्वारा तीन तस्वीरों के साथ पोस्ट कीं गयीं थी | पोस्ट के विवरण में लिखा है कि, जब रोहिंग्या शरणार्थी उत्पीड़न से बचने के लिए सऊदी अरब की समुद्री सीमा के पास पहुंचे, तो सऊदी अरब ने उन्हें लेने से मना कर दिया और ४ दिन तक रोहिंग्या शरणार्थी समुद्री जहाज़ों में ही पड़े रहे | ४ दिन के बाद श्रीलंका ने उनपर दया दिखाई व उन्हें कुछ खाना पानी के पैकट दिये |
इस पोस्ट में यह दावा किया जा रहा है कि – ‘सऊदी अरब ने रोहिंग्या रिफ्यूजी को शरण देने से मना कर दिया |’ क्या सच में ऐसा है ? आइये जानते है इस पोस्ट के दावे की सच्चाई |
सोशल मीडिया पर प्रचलित कथन:
अनुसंधान से पता चलता है कि…
हमने इस घटना पर जांच सबसे पहले पोस्ट मे साझा तस्वीरों को यांडेक्स इमेज सर्च पर ढूंढा | इस खोज में हमें ‘Huffingtonpost’ द्वारा १४ मई २०१५ को प्रकाशित एक ख़बर मिली | इस ख़बर के अनुसार म्यानमार में स्थित रोहिंग्या शरणार्थियों पर हो रहे उत्पीड़न से बचने के लिए लगभग ४०० रोहिंग्या एक छोटे मछली पकड़ने वाले लकड़ी के जहाज में म्यांमार से भाग निकले थे | तीन महीने तक समुद्री सफ़र करने के बाद जब यह दल मलेशिया की सीमा के क़रीब शरण पाने की उम्मीद से पहुंचा, तो मलेशिया की सरकार ने शरण देने से मना कर दिया था | इसके बाद थाईलैंड की फ़ौज ने इनके लिये खाने व पानी के पैकटों का इंतज़ाम किया था, मगर पूरी ख़बर में सऊदी अरब का कहीं भी उल्लेख नहीं मिला | इस ख़बर में घटना से सम्बंधित प्रकाशित तस्वीरें और पोस्ट में साझा तस्वीरें सामान है | पूरी ख़बर पढने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें |
इसके अलावा इस ख़बर के अनुसार यह तस्वीरें AFP के फ़ोटोग्राफ़र Christophe Archambault द्वारा खिंची गयी थीं, जो Getty Images नामक वेबसाइट पर भी उपलब्ध है | जब हमने इन तस्वीरों को Getty Images में ढूंढा, तो साझा तीन तस्वीरों के साथ हमें इस फ़ोटोग्राफ़र द्वारा इस घटना की और कई सारी तस्वीरें भी मिलीं | इन तस्वीरों को देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें |
इसके अलावा हमें BBC द्वारा १८ मई २०१५ को प्रकाशित इस घटना पर ख़बर मिली, जिसमें बांग्लादेशी और रोहिंग्या द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला तस्करी मार्ग भी दिया गया था |
इस ख़बर को पूरा पढने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें |
इस अनुसंधान से यह बात स्पष्ट होती है कि उपरोक्त पोस्ट में साझा तस्वीरों के साथ किया गया दावा गलत है | यह घटना सऊदी अरब की नहीं बल्कि २०१५ में घटी मलेशिया की है, जब मलेशिया की सरकार ने रोहिंग्या मुसलमानों को शरण देने से मना कर दिया था | इन तस्वीरों को गलत विवरण के साथ फैलाया जा रहा है |
जांच का परिणाम : उपरोक्त पोस्ट मे किया गया दावा “सऊदी अरब ने रोहिंग्या रिफ्यूजी को शरण देने से मना कर दिया |” ग़लत है |

Title:२०१५ में मलेशिया के घटना को सऊदी अरब का बताकर फैलाया जा रहा है |
Fact Check By: Natasha VivianResult: False
