३१ मार्च २०१९ को फेसबुक के ‘एक करोड़ हिन्दुओंका ग्रुप’ पेज पर Archit Goyal नामक एक यूजर द्वारा ही साझा की गई यह पोस्ट काफी चर्चा में है | पोस्ट में एक न्यूज़ पेपर के कटिंग जैसा दिखने वाला फोटो दिया गया है, जिसका हैडलाइन है- चोरी और मुनाफाखोरी देश के बनियों की आदत : राहुल गांधी | टेक्स्ट में भी इसी तरह की बातें लिखी है | पोस्ट के विवरण में लिखा है- “वैश्य समाज के सभी लोगो से मेरी एक अपिल है ऐसे गद्दारो से सावधान रहे आज कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष राहुल गांधी (pappu) ने हम वैश्य समाज के लोगो को सिधे सिधे गाली दी है हमे इसे एक चुनोती की तरह स्विकार करना चाहिए ओर कांग्रेस पार्टी को भारी हार दिलानी चाहिए क्योकी आज सत्ता मे ना होते हुए भी ये लोग हमे गाली दे रहे तो आगामी चुनाव मे अगर ये लोग गलती से जीत गए तो क्या करेंगे आप लोगो को ये समझना होगा

इस बार हम सबको अपने समाज के लिए लड़ना होगा
इस बार हम सबको अपने धर्म के लिए लड़ना होगा
इस बार हम सबको अपने देशहित के लिए लड़ना होगा

जय हिन्द
जय अग्रहरी
जय श्री राम ??

चुनावी मौके पर राहुल गांधी द्वारा इस तरह की बात किसी चुनावी सभा में कही जाए, यह बात मुमकिन नहीं लगती |

फैक्ट चेक किये जाने तक इस पोस्ट को २००० से ज्यादा प्रतिक्रियाएं मिल चुकी है | आइये जानते है इसकी सच्चाई |

ARCHIVE POST

सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म ट्वीटर पर भी इस तरह के ट्वीट घूम रहे है, जो आप नीचे देख सकते है |

ARCHIVE TWEET1

संशोधन से पता चलता है कि...

सबसे पहला सवाल तो इस न्यूज़ पेपर के कटिंग जैसे दिखने वाला फोटो की सत्यता पर ही खड़ा होता है, की क्या वाकई यह कोई न्यूज़ पेपर में छपी खबर है? जब हमने इस बारे में छानबीन की तो पता चला की एक खबर को प्रकाशित करने के प्रकाशनों के अपने कुछ तय मापदंड होते है, जैसे की डेटलाइन | डेटलाइन खबर के शुरुआत में ही होती है जहाँ संवाददाता का नाम या उसका पदनाम, शहर का नाम, तारीख या वार जैसी जानकारी होती है | हालाँकि अलग अलग प्रकाशनों का अपना अलग स्टाइल होता है, मगर संवाददाता का नाम या उसका पदनाम और शहर का नाम तो लगभग सभी प्रकाशनों की खबर के शुरुआत में होता है | लेकिन जब हम इस खबर को देखते है, तो पता चलता है की ऐसी कोई डेटलाइन यहाँ नहीं है | नीचे की तुलना से आपको यह फर्क नजर आ जायेगा |

प्रकाशनों के खबर के डेटलाइन का स्टाइल...

पोस्ट के खबर के डेटलाइन में कोई स्टाइल नहीं...

एक बात और भी है की पोस्ट करने वाले यूजर ने इस खबर का कोई सोर्स नहीं दिया है, जैसे कि यह खबर किस अख़बार में छपी है या किस तारीख को छपी है | ऐसी जानकारी तभी नहीं दी जा सकती है जब कोई बनावटी बात परोसी जा रही हो |

इस सन्दर्भ में जब हम ट्वीटर पर सर्च कर रहे थे, तब हमें कांग्रेस पार्टी के २०१९ आम चुनावों के लिए जारी पार्टी का मनिफेस्टो मिला | इस मनिफेस्टो में व्यापारी वर्ग के लिए पार्टी ने कुछ चुनावी वायदे किये है, जो आप नीचे की स्क्रीन शॉट्स पर देख सकते है | पूरा मनिफेस्टो पढने के लिए यहाँ क्लीक कर सकते है |

जब कांग्रेस पार्टी व्यापारी वर्ग के लिए इतनी बड़ी योजनाओं पर अमल की बात कर रही है, तो राहुल गांधी व्यापारी वर्ग के खिलाफ मुनाफाखोरी या किसानों को बर्बाद करने वाले इस तरह के शब्दों का इस्तेमाल एक चुनावी सभा में कैसे कर सकते है?

ARCHIVE TWEETER

आइये अब राहुल गांधी के उस भाषण को ही पूरा सुन लेते है | राहुल गांधी के अधिकारिक फेसबुक पेज पर २६ मार्च २०१९ को इस भाषण का सीधा प्रसारण किया गया था | यह भाषण कुल ३४ मिनट का है |

ARCHIVE VIDEO1

यू-ट्यूब चैनल FWF Reporter ने भी इस भाषण की लाइव फुटेज शेयर की है |


ARCHIVE VIDEO2

२६ मार्च २०१९ को राजस्थान के बूंदी शहर में हुई इस सभा की खबर कुछ समाचार पत्रों में छपी है व न्यूज़ साइट्स पर भी उपलब्ध है | हमारे काफी सर्च करने के बाद भी किसी अख़बार की खबर में या वेबसाइट पर इस बात का जिक्र नहीं है की राहुल गांधी ने व्यापारियों को मुनाफाखोर कहा हो या किसानों की बर्बादी के लिए जिम्मेदार ठहराया हो | वास्तविकता तो यह है की अगर राहुल गांधी ने ऐसा कुछ कहा होता तो आज की तारीख में वह एक बड़ी खबर बन जाती !

timesnownews की वेबसाइट पर आप इस रैली का वार्तांकन पढ़ सकते है |

ARCHIVE TIMESNOW

समाचार पत्र दैनिक भास्कर ने भी इस सभा की खबर प्रकाशित की है |

ARCHIVE BHASKAR

जांच का परिणाम : इस संशोधन से यह स्पष्ट होता है कि, उपरोक्त पोस्ट में किया गया दावा कि, राहुल गांधी ने वैश्य समाज को या बनिया समाज को मुनाफाखोर कहा या गाली दी, गलत (FALSE) है | उनके भाषण में ऐसी किसी बात का जिक्र नहीं है |

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Title:क्या राहुल गांधी ने बूंदी की चुनावी रैली में वैश्य समाज को गाली दी ?

Fact Check By: Rajesh Pillewar

Result: False