
१४ मार्च २०१९ से फेसबुक पर साझा की जा रही एक पोस्ट मे दावा किया गया है कि ‘चुनाव सम्बंधित कोई भी पोस्ट, फोटो, बैनर आदि को एक दूसरे को ना भेजे और भेजने पर चुनाव आयोग के जिला स्तरीय Special Surveillance Team द्वारा कार्यवाही होगी |’ पोस्ट में ‘क्राइम प्रिवेंशन काउंसिल ऑफ़ इंडिया’ का एक सुचना पत्र दिया गया है, जिसमे यह सावधानी बरतने की सलाह दी गई है | आइये देखते हैं क्या है सच |
सोशल मीडिया पर प्रचलित कथन:
तथ्यों की जांच:
पोस्ट मे दिया चित्र ‘क्राइम प्रिवेंशन काउंसिल ऑफ़ इंडिया’ नामक संस्था के लेटरहेड पर एक सुचना पत्र है जिसमे लिखा गया है कि चुनाव सम्बंधित कोई भी पोस्ट, फोटो, बैनर आदि को एक दूसरे को ना भेजे और भेजने पर चुनाव आयोग के जिला स्तरीय Special Surveillance Team द्वारा कार्यवाही होगी |
इस बात की जांच करने के लिए जब हम ‘क्राइम प्रिवेंशन काउंसिल ऑफ़ इंडिया’ के वेबसाइट पर गए तो हमें ‘न्यूज़ एंड इवेंट्स’ विभाग मे इसी से सम्बंधित और एक सुचना पत्र मिला, जो आप नीचे देख सकते है |
इस प्रसार के विषय पंक्ति मे ‘पत्रांक संख्या ०३२२ / उत्तर प्रदेश / २०१९ के संबन्ध मे’ लिखा था | यह विषय पंक्ति मे पत्रांक संख्या उपरोक्त पोस्ट में साझा होने वाली पत्रांक संख्या का क्रमांक है |
वेबसाइट मे प्रकाशित सुचना पत्र मे लिखा है कि, “उपरोक्त विषयांकित सर्व साधारण को अवगत कराया जाता है कि Crime Prevention Council Of India (अपराध निरोधक परिषद) एक सामाजिक संस्था है जो समाज में अपराध रोकने हेतु समस्त भारत में प्रशासन को निःशुल्क सहयोग देता है | विषयांकित पत्रांक संख्या हमारे कार्यालय से जारी नही किया गया है | व किसी भी प्रकार की सोशल मीडिया के पोस्ट पर कोई पाबंदी नही है | लिहाजा चुनाव आयोग के दिशा निर्देश का पालन करें | उपरोक्त पत्रांक ०३२२ को जारी करने वाले डिस्ट्रिक ऑफिसर नरेन्द्र सिंह को तत्त्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है |”
इस सुचना पत्र को पढने के उपरांत हमनें संस्था के मुख्य कार्यालय के नंबर पर कॉल किया | वहां से ‘क्राइम प्रिवेंशन काउंसिल ऑफ़ इंडिया’ के अध्यक्ष डॉ. एस. के. पांडे का नंबर लिया, और बाद में उनसे बात की |
डॉ. एस. के. पांडे से फ़ोन पर बात करने से हमें पता चला कि जिला पदाधिकारी नरेन्द्र सिंह चंद्रवंशी ने उपरोक्त सुचना पत्र साझा किया था मगर इस के लिए उन्होंने किसी भी वरिष्ठ पदाधिकारी से पूर्व अनुमति नहीं ली थी और संस्था के पुराने लैटर हैड पर यह सुचना पत्र जारी किया | उनके इस बर्ताव के लिए उन्हें उनके पद से तुरंत हटा दिया गया है | डॉ. एस. के. पांडे ने कहा कि वेबसाइट पर दिया गया दूसरा सुचना पत्र भी इस बात की पुष्टि के लिए प्रकाशित किया गया है |
गौर से देखने पर हमें पता चला कि दोनों पत्रांक के नीचले हिस्से में लिखे कंपनी के पते अलग-अलग है |
इसके बाद हमने भारतीय चुनाव आयोग द्वारा सोशल मीडिया से सम्बंधित प्रेस विज्ञप्ति की खोज शुरू की |
हमें ११ जनवरी २०१९ को ‘The New Indian Express’ द्वारा एक ख़बर मिली | इस ख़बर के अनुसार भारतीय चुनाव आयोग (ECI) ने बॉम्बे हाईकोर्ट को बताया कि वह निजी व्यक्तियों को मतदान के ४८ घंटे पहले या उसके बाद किसी भी राजनीतिक दल के पक्ष में सोशल मीडिया पर राजनीतिक टिप्पणी या पोस्ट करने से रोक नहीं सकता है |
NewindianexpressPost | ArchivedLink
हाल ही में २० मार्च २०१९ को भारतीय चुनाव आयोग (ECI) ने एक प्रेस रिलीज़ ‘2019 के आम चुनावों के लिए स्वैच्छिक आचार संहिता (Voluntary Code Of Ethics)’ जारी किया है | यह संहिता सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स एंड इन्टरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया (IAMAI) द्वारा भारतीय चुनाव आयोग के साथ मिलकर तैयार की गई है जो राजनितिक विज्ञापन एवं सोशल मीडिया प्रचार से सम्बंधित है | इस संहिता मे भी निजी व्यक्तियों के सोशल मीडिया पर पोस्ट करने पर किसी पाबन्दी का उल्लेख नहीं है | पूरी संहिता पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें |
eci.gov.in-code-of-ethics-meeting | ArchivedLink
eci.gov.in-code-of-ethics-for-the-2019-general-election | ArchivedLink
निष्कर्ष : ग़लत
तथ्यों की जांच से हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि उपरोक्त सुचना पत्र ग़लत जानकारी देता है | चुनाव योग द्वारा ऐसा कोई भी प्रसार जारी नहीं हुआ है कि ‘चुनाव सम्बंधित कोई भी पोस्ट, फोटो, बैनर आदि को एक दूसरे को ना भेजे और भेजने पर चुनाव आयोग के जिला स्तरीय Special Surveillance Team द्वारा कार्यवाही होगी |’

Title:क्या चुनाव सम्बंधित पोस्ट, फोटो, बैनर आदि को एक दूसरे को भेजने पर चुनाव आयोग के जिला स्तरीय Special Surveillance Team द्वारा कार्यवाही होगी? जानिये सच |
Fact Check By: Nita RaoResult: False
