तेज़ी से साझा होने वाली एक फेसबुक पोस्ट मे यह दावा किया जा रहा है कि ‘१ अप्रैल २०१९ को कानपुर के पुलिस को दिन दहाड़े पीटा गुंडों ने |’ कितनी सच्चाई है इस बात में, आइये देखते हैं |

सोशल मीडिया पर प्रचलित कथन:

FacebookPost | ArchivedLink

तथ्यों की जांच:
हमने जांच की शुरुआत इस चित्र को यांडेक्स इमेज सर्च मे ढूंढने से की तो हमें इस चित्र से सम्बंधित कई खबरों के लिंक मिले |

Inuth नामक एक वेबसाइट मे उपरोक्त तस्वीर के साथ एक ख़बर प्रकाशित की गयी थी | ख़बर के मुताबिक़ यह घटना १७ जून २०१७ की है तथा कानपूर मे स्थित जागृति अस्पताल से जुड़ी है | ख़बर के अनुसार इस अस्पताल के एक कर्मचारी युसूफ ने एक किशोरी का बलात्कार किया था | इस बात पर किशोरी के परिजन वहाँ की जनता के साथ काफ़ी नाराज़गी से विरोध करने लगें | जब लोगों का विरोध आक्रोश में बदलने लगा, तब वहाँ की पुलिस ने उनको शांत करने के लिए उन्हें रोकने की कोशिश की | कुछ पुलिस कर्मीं भीड़ के के हाथ लग गए, जिन्हें उपद्रवियों ने जमीं पर गिरा कर लाठी-डंडे व पत्थरों से पीट कर गंभीर रूप से घायल कर दिया | पूरी खबर को पढने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें |

InuthPost | ArchiveLink

TheSun” ने भी यह ख़बर वारदात की रिकॉर्डिंग के साथ प्रकाशित की है |
ThesunPost | archivedLink

इस ख़बर के बारे में, अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए हमने गूगल सर्च किया |

हमें TOI और Jagran द्वारा प्रकाशित कानपुर मे घटी इसी ख़बर के प्रकाशन मिले |

TOIPost | ArchivedLink

Jagran | ArchivedLink

यूट्यूब मे हमने जब उपरोक्त चित्र के बारे मे ढूँढा, तब हमें IndiaTV द्वारा जारी इस ख़बर का एक विडियो मिला |

दोनों ख़बरों के प्रकाशन में और विडियो मे एक ही घटित वारदात का उल्लेख किया गया है | इस खोज से हमें यह पता चला कि यह घटना १७ जून २०१७ को कानपूर में घटी थी ना की १ अप्रैल २०१९ को, जैसा कि दावा किया गया है, और ना ही हमला करने वाले गुंडे है, बल्कि आम जनता है | किशोरी पर हुए बलात्कार पर जब परिजनों ने गांव के लोगों के साथ इसका विरोध किया, तब उन्हें रोकने के लिए और अपराधी को गिरफ़्तार करने के लिए पुलिस वहाँ आई थी | मगर विरोध करने वाले लोग पुलिस के रोकने पर भी रुके नहीं और पुलिस को मजबूरन लाठी चार्ज करना पड़ा | इस लाठी चार्ज से समूह और आक्रोशित हो उठा और कई पुलिसवालों पर पलट कर वार कर दिया |

निष्कर्ष : ग़लत
तथ्यों की जांच से इस बात की पुष्टि होती है कि यह घटना १ अप्रैल २०१९ को घटी है यह दावा ग़लत है | कानपूर मे ऐसी एक वारदात तो हुई थी, जहां एक किशोरी पर हुए बलात्कार के इन्साफ के लिए आम जनता ने पुलिस के लाठी चार्ज के बाद कुछ पुलिस वालों पर पलटकर वार किया था, मगर यह वारदात १ अप्रैल २०१९ की नहीं बल्कि १७ जून २०१७ की है |

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Title:क्या १ अप्रैल को कानपुर पुलिस को दिन दहाड़े गुंडों ने पीटा? जानिये सच |

Fact Check By: Nita Rao

Result: False