नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (NRC) के खिलाफ देशव्यापी विरोध की लहर के बीच सोशल मीडिया पर कई तरह के लेख, छवि व वीडियो गलत व भ्रामक रूप से फैलाये जा रहे है, इसी क्रम में एक तस्वीर सोशल मंचो पर साझा की जा रही है जिसमे NRC का विरोध कर रही महिलाओं के साथ पुलिस द्वारा अभद्रता दिखाई गई है |

पोस्ट के शीर्षक में लिखा गया है कि- “असम में NRC का विरोध कर रही महिला के साथ यह कैसा सुलूक है वर्दी वाले का |”

फेसबुक पोस्ट

कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग तमिलनाडु कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष, जे असलम बाशा ने भी इस तस्वीर को अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट द्वारा साझा कर ये दावा किया कि यह तस्वीर असम से है | हालाकि उनके द्वारा इस ट्वीट को बाद मे डिलीट कर दिया गया था |

आर्काइव लिंक

फैक्ट क्रेस्सन्डो ने इस तस्वीर को गलत पाया है, यह तस्वीर लगभग एक दशक पुरानी है, आइए जानते है इस तस्वीर की सच्चाई |

अनुसंधान से पता चलता है कि..

जाँच की शुरुआत हमने इस तस्वीर का स्क्रीनशॉट लेकर टिनआई रिवर्स इमेज सर्च में ढूँढा, जिसके परिणाम में हमें अडोब स्टॉक इमेज की वेबसाइट का लिंक मिला | वेबसाइट के अनुसार यह तस्वीर २४ मार्च २००८ की है, जहाँ काठमांडू में संयुक्त राष्ट्र की बिल्डिंग के सामने एक तिब्बती प्रदर्शनकारी को पुलिस अधिकारियों के साथ संघर्ष करते हुए देखा जा सकता है | इस तस्वीर को रॉयटर्स के फोटोग्राफर दीपा श्रेष्ठा से खीचा था |

इस तस्वीर के विवरण में लिखा गया है कि “२४ मार्च, २००८ को काठमांडू में संयुक्त राष्ट्र की इमारत के सामने एक तिब्बती प्रदर्शनकारी ने पुलिस अधिकारियों के साथ संघर्ष किया | नेपाली पुलिस ने इस प्रदर्शन में से २५० प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लेकर सोमवार को काठमांडू में तिब्बती निर्वासितों द्वारा चीन विरोधी रैली को तित्तर बित्तर किया | वहां मौजूद लोगों ने कहा कि प्लास्टिक की ढालों को पकड़कर पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को लोहे की जाली वाली वैन और ट्रकों तक खींचकर उन्हें हिरासत में ले लिया | साथ ही हाथापाई में कुछ निर्वासितों को भी चोट लगी थी |”

आर्काइव लिंक

इसके आलावा हमें काठमांडू में उपरोक्त प्रदर्शन से संबंधित रॉयटर्स द्वारा प्रकाशित खबर भी मिली, जिसके अनुसार २५० प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लेकर नेपाली पुलिस ने सोमवार को काठमांडू में तिब्बती निर्वासितों द्वारा चीन विरोधी रैली को तित्तर बित्तर किया था |

आर्काइव लिंक

निष्कर्ष: तथ्यों के जाँच के पश्चात हमने उपरोक्त पोस्ट को गलत पाया है | यह तस्वीर २००८ की है और भारत से संबंधित नही है | यह तस्वीर मूल तौर पर मार्च २००८ की है जब काठमांडू में तिब्बती निर्वासितों द्वारा चीन विरोधी प्रदर्शन किया गया था | इस तस्वीर के साथ नागरिकता संशोधन बिल के विरूद्ध विरोध का कोई संबंध नही है |

Avatar

Title:नेपाल से एक पुरानी असंबंधित तस्वीर को असम में नागरिकता संशोधन अधिनियम के विरोध प्रदर्शन का बताया जा रहा है |

Fact Check By: Aavya Ray

Result: False