
पेरिस में आतंकवाद से संबंधित घटनाओं पर फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रोन के बयान के बाद कई देशों के साथ साथ फ्रांस में भी उनके दिए गए बयान को लेकर तीखी प्रतिक्रिया व उनके इस बयान के विरोध में प्रदर्शन देखे जा रहें हैं, इन्हीं सब के बीच सड़क पर सैकड़ों प्रदर्शनकारियों को दिखाने वाला एक वीडियो इस दावे के साथ वायरल हो रहा है कि फ्रांस में हजारों लोग विरोध कर रहे हैं। दरअसल फ्रांस के राष्ट्रपति ने पिछले दिनों मुक्त भाषण के बचाव में बयान दिया था। उन्होंने वह बयान एक उच्च विद्यालय की शिक्षिका सैमुअल पैटी की मौत के बाद दिया था। सैमुअल पैटी की 16 अक्टूबर, 2020 को उनके विद्यालय के बाहर हत्या कर दी गयी थी। उनकी हत्या चेचन मूल कट्टरपंथी इस्लामवादी ने की थी। सैमुअल पैटी ने एक दिन अपने कक्षा में पैगम्बर मुहम्मद के स्केच दिखाए थे जो कुछ छात्रों को अपमानजनक लगा जिसके चलते उनकी हत्या की गयी।
इसी सम्बन्ध के चलते राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रोन द्वारा हाल ही में प्रतिक्रिया दी गई थी जिसे कई लोगों द्वारा विवादित मना जा रहा है, सोशल मंचों पर वायरल हो रहे वीडियो के शीर्षक में लिखा है, “फ्रांस में हाज़ारों की तादाद में लोग विरोध प्रदर्शन कर रहें है।“
अनुसंधान से पता चलता है कि…
वायरल हो रहा वीडियो फ्रांस से नहीं है। यह वीडियो जर्मनी के हैम्बर्ग में ११ जनवरी २०२० को चीन द्वारा उइगर मुस्लिम अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न के खिलाफ आयोजित किये गए एक विरोध प्रदर्शन से है। |
जाँच की शुरूवात हमने इनवीड वरिफाई टूल के माध्यम से गूगल रीवर्स इमेज सर्च के जरिये की तो हमें यूट्यूब का एक वीडियो मिला जिसके शीर्षक में लिखा था, “जर्मनी के हैम्बर्ग शहर का कल का दृश्य।” इस वीडियो को 13 जनवरी 2020 को अपलोड किया गया था। इससे हम अनुमान लगा सकते है कि वीडियो वर्तमान का नहीं है।
इसके बाद हमने उपरोक्त दी हुई जानकारी को ध्यान में रखते हुए कीवर्ड सर्च के माध्यम से इस सम्बन्ध में और अधिक जाँच की तो हमें गेट्टी इमेजेज पर वीडियो में दिख रहे दृष्य की तस्वीरें मिली। तस्वीर के साथ दी गयी जानकारी के मुताबिक तस्वीरें 11 जनवरी 2020 की है। शीर्षक में लिखा है,
“उइगरों के उत्पीड़न के खिलाफ प्रदर्शन। 11 जनवरी 2020, हैम्बर्ग: “नरसंहार बंद करो! एकाग्रता शिविर #MadeinChina” शिलालेख के साथ एक बैनर के पीछे लोग चीन में उइगर मुस्लिम अल्पसंख्यक के उत्पीड़न के खिलाफ प्रदर्शन करते हैं, वे स्टीवर्ड के साथ होते हैं। संविधान के संरक्षण के लिए हैम्बर्ग कार्यालय ने घोषणा की थी कि रैली का आयोजन इस्लामवादियों द्वारा किया जा रहा था। आयोजक “जेनरेशन इस्लाम” के पीछे प्रतिबंधित संगठन हिज्ब यूटी-तहरीर (पार्टी ऑफ लिबरेशन) छुपाता है।“
नीचे आप वीडियो में दिखाए गए दृश्य और गेट्टी इमेज पर उपलब्ध चित्र पर दिखाए गए स्थान की तुलना देख सकते हैं, इससे पता चलता है कि चित्र और वायरल हो रहा वीडियो हैम्बर्ग से है।
हमने 12 जनवरी 2020 को मुस्लिम समुदाय (डी.ओ.ए.एम) के ट्विटर अकाउंट पर डॉक्यूमेंटेशन अग्रेसन द्वारा एक ट्वीट भी पाया, जहां हमें वायरल वीडियो का एक और कोण मिला। इस वीडियो को ट्वीट करते हुए, DOAM ने लिखा कि
“कल हैमबर्ग, जर्मनी में उइगर मुस्लिम लोगों के लिए एकजुटता के साथ हज़ारों लोगों ने प्रदर्शन में भाग लिया।
इसके अलावा हमें 11 जनवरी 2020 को फेसबुक पर उसी विरोध का एक लाइव वीडियो भी मिला, जिस के शीर्षक में “डिमॉन्स्ट्रेशन हैम्बर्ग” लिखा था। इस वीडियो में भी, हम “नरसंहार बंद करो” के पोस्टर और बैनर देख सकते हैं।
निष्कर्ष: तथ्यों की जाँच के पश्चात हमने पाया है कि उपरोक्त दावा गलत है। वायरल हो रहा वीडियो फ्रांस में हो रहे विरोध प्रदर्शन का नहीं है बल्की यह वीडियो इसी वर्ष जर्मनी में उइगर मुस्लिम समुदाय द्वारा किए गये प्रदर्शन का है।

Title:वायरल वीडियो जनवरी २०२० को हैम्बर्ग में हुए एक विरोध प्रदर्शन से है, जिसे वर्तमान फ्रांस में हो रहे प्रदर्शनों से जोड़कर वायरल किया जा रहा है।
Fact Check By: Rashi JainResult: False
