इस वीडियो का संप्रदायिकता से कोई संबंध नहीं है। वीडियो बांग्लादेश से नहीं बल्कि पश्चिम बंगाल से है।

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो में किसी मंदिर में काली माता की मूर्ति को क्षतिग्रस्त करते हुए दिखाया गया है। वीडियो के साथ दावा किया जा रहा है कि ये वीडियो बांग्लादेश से है जहां बांग्लदेशी मुसलमानों ने काली मंदिर में हमला कर के काली माता की मूर्ति और दूसरी देवी देवताओं की मूर्ति को क्षतिग्रस्त किया और वहाँ मौजूद हिंदू वासियों को मार डाला। वीडियो को बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार के संदर्भ से शेयर किया जा रहा है।
वहीं वीडियो के कैप्शन में लिखा गया है कि “कल बांग्लादेश में मुसलमानों ने कालीबाड़ी यानी काली मंदिर पर हमला करके माता काली और तमाम हिंदू देवी देवताओं की मूर्तियों को नष्ट कर दिया
और मंदिर के अंदर मौजूद हिंदू भक्तों को मारा गया 20 से ज्यादा हिंदू भक्त बुरी तरह घायल है लेकिन पूरी दुनिया बांग्लादेश में हिंदुओं के कत्लेआम पर खामोश है. #SaveBangladeshiHindus #YunusTheButcher”
अनुसंधान से पता चलता है कि…
जाँच की शुरुआत हमने वायरल वीडियो से संबंधित खबरों को गूगल पर कीवर्ड सर्च करके ढूँढने से की, जिसके परिणाम से हमें एक फेसबुक पोस्ट मिला, जिसके अनुसार ये वीडियो पश्चिम बंगाल के पूर्व बर्धमान के सुल्तानपुर इलाके से है जहाँ 12 साल बाद काली माता का निरंजन हो रहा था। इस पेज के अनुसार इस निरंजन का आयोजन सुल्तानपुर के गावं वाले और सुल्तानपुर किरणमयी पुताकालय ने मिलकर किया है।
इस जानकारी को ध्यान में रखते हुए हमने आगे सर्च किया जिसके परिणाम से हमें 21 अक्टूबर 2024 को प्रकाशित दैनिक स्टेट्समैन न्यूज़ की एक रिपोर्ट मिली। जिसके अनुसार सुल्तानपुर के खंडघोष ब्लॉक में दिवाली के समय 12 साल बाद माँ काली के इस मूर्ति का विसर्जन होने वाला था। इस गांव में 600 साल से भी पहले इस अनोखी काली पूजा की शुरुआत हुई थी। मंदिर में काली माता की मूर्ति के साथ दुर्गा माता और उनके चार बच्चों की मूर्तियाँ भी थी। मंदिर में 12 फीट की काली मूर्ति की नियमित रूप से पूजा की जाती है और इस वर्ष इस मूर्ति के विसर्जन की जानकारी साझा की गई है। परंतु दोबारा मूर्तियां बनाकर पूजा जारी रखने और 12 साल बाद निरंजन की बारी आएगी इसका पता चलता है।
नीचे आप वायरल वीडियो और सोशल मीडिया पर यूजर द्वारा सुल्तानपुर में काली मंदिर में काली माता की मूर्ति के विसर्जन के वीडियो के बीच की तुलना देख सकते है जिससे ये स्पष्ट होता है कि दोनों घटना समान है।
आगे हमने खंडघोष पुलिस स्टेशन में संपर्क किया, जहाँ से हमें बताया गया है कि ये वीडियो पश्चिम बंगाल के सुल्तानपुर का ही है और ये किसी भी तरह के सांप्रदायिक हमले को नहीं दर्शाता है। ये काली मंदिर की प्रथा है जो सालों से इस गावं में चलती आ रही है जिसके तहत प्रत्येक 12 वर्ष में यहाँ काली मंदिर में काली माता की मूर्ति का विसर्जन होता है। दिवाली की पूजा समाप्त होने पर मंदिर के पंडित काली माता की मूर्ति का एक हिस्सा तोड़ते है और उसे पास के तालाब में विसर्जन कर देते है, जिसके बाद दिन भर इस मूर्ति के टूटे हुए हिस्सों को तालाब में विसर्जन करते है। इस पूरे मामले के साथ संप्रदायिकता और हिंसा का कोई संबंध नहीं है। ”
नीचे आप खंडघोष में स्थित इस काली मंदिर को गूगल मैप्स पर भी देख सकते जिससे ये साफ़ है कि वायरल वीडियो पश्चिम बंगाल के मंदिर का है नाकि बांग्लादेश का।
इसके बाद फैक्ट क्रेसेंडो ने बांग्लादेश के प्रेस सेक्रेट्री शफीकुल इस्लाम से संपर्क किया जिन्होंने हमें बाते कि ये वीडियो बांग्लादेश में काली मंदिर का नहीं है और ना ही हाल में बांग्लादेश में इस तरह कि कोई घटना की खबर आई है। ये वीडियो बांग्लादेश का नहीं बल्कि भारत से ही है।
निष्कर्ष-
तथ्यों की जाँच के पश्चात् हमने वायरल वीडियो के साथ किये गये दावे को गलत पाया है। वायरल वीडियो बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हमले और काली मंदिर की मूर्तियों को क्षतिग्रस्त पहुंचाने का नहीं है बल्कि ये घटना पश्चिम बंगाल के पूर्व बर्धमान में स्थित सुल्तानपुर के काली मंदिर का है जहाँ 12 साल बाद एतिहासिक परंपरा के चलते काली माता का मूर्ति का विसर्जन किया जाता है। इस मामले का संप्रदायिकता से कोई संबंध नहीं है और ये किसी भी तरह के हमले को नहीं दर्शाता है।

Title:काली मंदिर को द्वस्त करने का ये वीडियो बांग्लादेश से नहीं भारत से है! जाने सच
Fact Check By: Drabanti GhoshResult: False
