३ मई २०१९ को जीतू प्रियद्रशी नामक एक फेसबुक यूजर ने एक विडियो पोस्ट किया | विडियो के शीर्षक में लिखा गया है कि “राहुल गांधी की गाड़ियों के रैले के लिए दिल्ली पुलिस ने एम्बुलेंस रोकी,....एम्बुलेंस में जिन्दगी और मौत से लड़ रही बच्ची थी .और अंत में बच्ची ने दम तोड़ दिया !” उपरोक्त संदेश, एक वीडियो के साथ सोशल मीडिया में प्रसारित किया गया है | इस वीडियो में पुलिस बैरिकेड के पीछे एक एम्बुलेंस खड़ी दिखती है, जिसके पीछे वाहनों की एक लंबी कतार है | इस विडियो के माध्यम से यह दावा किया गया है कि इस एम्बुलेंस को पुलिस ने रोक दिया था ताकि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का काफिला गुज़र सके | यह विडियो काफ़ी चर्चा में है व तेजी से साझा किया जा रहा है | फैक्ट चेक किये जाने तक यह विडियो ने २०० से ज्यादा प्रतिक्रियाएं प्राप्त कर चुकी थी |

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यह विडियो वीआईपी कल्चर से जुड़ा एक अहम संदेश देता है | क्या वास्तव में राहुल गांधी के रैली के लिए दिल्ली पुलिस ने एम्बुलेंस रोकी? हमने सच्चाई जानने की कोशिश की |
संशोधन से पता चला है कि..

जांच की शुरुआत हमने इस विडियो को इनवीड पर अलग अलग कीफ्रेम्स में तोड़ने से की | इन फ्रेम्स को हमने गूगल रिवर्स इमेज सर्च किया | परिणाम से हमें ५ अप्रैल २०१७ को एनडीटीवी द्वारा प्रकाशित खबर मिली | खबर के अनुसार इस एम्बुलेंस को इसीलिए रोका गया क्योंकि मलेशिया के प्रधानमंत्री निजब रज़ाक उस रास्ते से गुजरने वाले थे | खबर में यह भी लिखा गया है कि इस विडियो को लाइव स्ट्रीम किया गया है |

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इसके पश्चात् हमने फेसबुक पर इस विडियो के लाइव स्ट्रीम को अलग अलग की वर्ड्स के माध्यम से ढूँढा | वीडियो को १ अप्रैल २०१७ को प्रीती नरूला द्वारा लाइव स्ट्रीम किया गया था और विडियो यह दर्शाता है कि पुलिस ने एम्बुलेंस को बैरिकेड से गुजरने की अनुमति नहीं दी थी | इस विडियो के हम स्पष्ट हो सकते है कि यह घटना १ अप्रैल २०१७ को घटित हुई थी |

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इस खबर को गूगल सर्च करने पर हमें ५ अप्रैल २०१७ को द हिंदुस्तान टाइम्स द्वारा प्रकाशित खबर मिली | रिपोर्ट के अनुसार, यह घटना इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम के पास हुई थी, और मार्ग अवरुद्ध हो गया था क्योंकि मलेशिया के प्रमुख के काफिले को इस इलाके से गुजरना था | रिपोर्ट में एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी का कहना भी लिया गया है | अधिकारी ने कहा कि,-, “एम्बुलेंस कई कारों के पीछे फंस गई थी। हमने राह बनाई और इसे आगे ले आए। कुछ ही मिनटों में, इसे जाने दिया गया।” |”

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हमें ५ अप्रैल २०१७ को टाइम्स ऑफ़ इंडिया द्वारा प्रकाशित खबर मिली | खबर में लिखा गया है कि मलेशिया के प्रमुख निजब रज़ाक ने टाइम्स के प्रतिनिधि से बात करते हुए कहा कि जब हमारे पीछे एंबुलेंस का सायरन सुना तब ४०-५० कारें बैरीकेड पर इंतजार कर रही थीं | सभी ने वाहन को जाने की अनुमति देने के लिए अपनी कारों को बाईं लेन में स्थानांतरित करने का फैसला किया | हालांकि, जब यह बैरिकेड पर पहुंचा तो पुलिस ने इसे रोक दिया |” न्यूज़ रिपोर्ट में कहा गया है कि एम्बुलेंस के अंदर एक लड़के के सिर और नाक से खून बह रहा था | रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि बच्चे के रिश्तेदार - वीडियो में देखे गए व्यक्ति ने कहा – बच्चे के साथ उनके गांव सोनीपत में एक दुर्घटना हुई थी और उसे दिल्ली के एक अस्पताल में भेजा गया था | खबर के अनुसार दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने, २०१७ में, एम्बुलेंस को जाने देने में किसी भी देरी से इनकार किया था और सुरक्षा ड्यूटी पर तैनात कर्मियों ने सुनिश्चित किया कि कुछ ५० कारों के पीछे इंतजार कर रही एम्बुलेंस को सामने की ओर जाने का रास्ता मिले |

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इस खबर को कई अन्य मीडिया संगठनों ने भी प्रकाशित किया |

इंडियन एक्सप्रेस | आर्काइव लिंक | इंडिया टाइम्स | आर्काइव लिंक

इसके बाद सरकारी वेबसाइट पर ढूँढने पर हमें विदेश मंत्रालय द्वारा प्रेस रिलीज़ मिला | प्रेस रिलीज़ में लिखा गया है कि “मलेशिया के प्रधान मंत्री, महामहिम दत्तो श्री मोहम्मद नजीब तुन अब्दुल रजाक, ३० मार्च से ४ अप्रैल २०१७ के बीच अपने पत्नी दतिन श्री रोसमाह मंसूर के साथ भारत आ रहे हैं |

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निष्कर्ष: तथ्यों की जांच के पश्चात हमने उपरोक्त पोस्ट को गलत पाया है | यह विडियो दो साल पुराना है | इस विडियो के साथ राहुल गांधी का कोई संबंध नहीं है | इस एम्बुलेंस को २०१७ में मलेशिया के प्रधानमंत्री आने के कारण से रोका गया था | इस विडियो के माध्यम से किये गए दावें गलत है |

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Title:क्या इस एम्बुलेंस को राहुल गांधी का कॉन्वॉय गुजरने तक रोका गया?

Fact Check By: Drabanti Ghosh

Result: False