१९ सितंबर २०१९ को “फ्री कश्मीर” नामक एक फेसबुक यूजर ने एक तस्वीर पोस्ट की थी, जिसके शीर्षक में लिखा गया है कि “दुनिया के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है! जामिया मस्जिद श्रीनगर में भुखमरी के कारण कबूतर मर गए हैं | ४६ वें दिन के कर्फ्यू ने जंगली पक्षियों के लिए भोजन की कमी के साथ-साथ उत्पीड़ित लोगों के जीवन को पंगु बना दिया है | दुनिया ने तथाकथित भारतीय लोकतंत्र का काला और दोहरा चेहरा देखा है, जिसने भारतीय अधिकृत जम्मू कश्मीर से कर्फ्यू हटाने और राज्य में मानवाधिकारों की बहाली के संबंध में अपने स्वयं के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को पीछे धकेल दिया है” | यह पोस्ट दो तस्वीरों का एक कोलाज है |

तस्वीरों में हम मरे हुए कबूतरों को देख सकते है | इस तस्वीर को सोशल मीडिया पर तेजी से साझा करते हुए दावा किया गया है कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद ३७० के उन्मूलन और आंदोलन पर प्रतिबंध के कारण, श्रीनगर में जामिया मस्जिद में कबूतरों को भूखा मरना पड़ा है | नौहट्टा में स्थित जामिया मस्जिद श्रीनगर की सबसे बड़ी मस्जिदों में से एक है | कहा जा रहा है कि तस्वीर में दिखाया गया दृश्य अनुच्छेद ३७० हटाने के ४६ दिन का है | फैक्ट चेक किये जाने तक यह पोस्ट ९०० से ज्यादा प्रतिक्रियाएं प्राप्त कर चुका था |

फेसबुक पोस्ट | आर्काइव लिंक

अनुसंधान से पता चलता है कि...

जाँच की शुरुआत हमने दोनों तस्वीरों को अलग कर उनका स्क्रीनशॉट ले गूगल रिवर्स इमेज सर्च करने से की, जिसके परिणाम में हमें इन तस्वीरों के बारे में अधिक जानकारी मिली…

पहली तस्वीर का परिणाम-

परिणाम से हमें फ्लिकर नामक एक वेबसाइट पर यह तस्वीर मिली, इस तस्वीर को ७ फरवरी २०१२ को वज़ारी वज़ीर नामक एक फोटोग्राफर ने क्लिक किया था | इस तस्वीर के शीर्षक में लिखा गया है कि “कश्मीर के श्रीनगर में जामिया, जामा मस्जिद” | वज़ारी वज़ीर की खोज ने हमें उनके ट्विटर अकाउंट और उनकी वेबसाइट पर पहुंचा दिया, जिसमें पता चला कि वह सरकार के लिए काम करने वाले एक मलेशियाई फोटोजर्नलिस्ट हैं |

आर्काइव लिंक

दुसरी तस्वीर का परिणाम-

परिणाम से हमें फ्लिकर नामक एक वेबसाइट पर यह तस्वीर मिला, इस तस्वीर को २ जुलाई, २०११ को इंग्लैंड के एक फोटोग्राफर, क्रेग हन्नाह ने खीचा था | तस्वीर के शीर्षक में लिखा गया है कि “ब्रिटेन के मैनचेस्टर के पास एक पुरानी मिल में मृत कबूतरों का झुंड” |

आर्काइव लिंक

निष्कर्ष: तथ्यों की जाँच के पश्चात हमने उपरोक्त पोस्ट को गलत पाया है | इंग्लैंड में क्लिक की गई मृत कबूतरों की आठ साल पुरानी तस्वीर को भुखमरी के कारण कश्मीर में मृत कबूतरों के रूप में गलत तरीके से साझा किया जा रहा है | तस्वीर को कोलाज के रूप में २०१२ में क्लिक की गई जामिया मस्जिद की एक तस्वीर के साथ साझा किया जा रहा है। हमने पाया कि दोनों चित्र इमेज होस्टिंग साइट फ़्लिकर से लिए गए हैं |

Avatar

Title:ये तस्वीरें असंबन्धित है, मृत कबूतरों की तस्वीर ब्रिटेन से है |

Fact Check By: Aavya Ray

Result: False