
सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें कुछ लोगों को एक रेलवे स्टेशन पर तोड़फोड़ करते देखा जा सकता है। वीडियो के साथ दावा किया जा रहा है कि यह वीडियो बंगाल के नवपाड़ा महिषासुर रेलवे स्टेशन का है, जहां ट्रेन की सीटी की आवाज आने के कारण लोगों को नमाज पढ़ने में परेशानी हो रही, जिस कारण उन्होंने रेलवे स्टेशन पर तोड़फोड़ की।
वायरल वीडियो के साथ यूजर ने लिखा है- पश्चिम बंगाल के महिषासुर रेलवे स्टेशन को जिहादियों ने किया नष्ट, ममता बानो शासित बंगाल में जिहादीयों की बढ़ी हिम्मत तो देखिए, पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में स्थित महिषाशूर रेलवे स्टेशन को यह कहकर नष्ट कर दिया गया कि ट्रेन की सीटी की आवाज से उनकी नमाज में खलल पड़ रहा है। हम भारत का भविष्य देखने में सक्षम हैं।
अनुसंधान से पता चलता है कि…
पड़ताल की शुरुआत में हमने वायरल वीडियो के कुछ स्क्रीनशॉट लिए। मिली तस्वीरों का रिवर्स इमेज सर्च करने पर वायरल वीडियो की खबर हमें वाइल्ड फिल्म्स इंडिया नामक एक यूट्यूब चैनल पर मिला। ये वीडियो 18 नवंबर 2020 को अपलोड किया गया था। यहां पर वायरल वीडियो को 0:46 सेकंड से देखा जा सकता है।
जानकारी के अनुसार, वायरल वीडियो बंगाल में सीएए के विरोध में हुए प्रदर्शन का था। उस समय हमें वायरल वीडियो से मिलते-जुलते कई अन्य वीडियो फेसबुक पर साल 2019 में इसी जानकारी के साथ शेयर हुए मिले थे कि यह वीडियो बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के रेलवे स्टेशन का है।
आगे बढ़ते हुये गूगल पर कीवर्ड सर्च करने हमने पाया कि 2019 नागरिकता संशोधन विधेयक पेश होने के बाद, मुर्शिदाबाद जिले के विभिन्न हिस्सों में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गये थे। वर्तमान की एक रिपोर्ट के अनुसार, सी.ए.ए के खिलाफ हुये विरोध प्रदर्शन की तीव्रता जंगीपुर में सबसे अधिक थी। प्रदर्शनकारी पहले निमतिता स्टेशन, पोरडांगा स्टेशन और नौपारा महिषासुर स्टेशन पर इकट्ठा होने लगे और फिर तोड़फोड़ करने लगे।
अभी तक जितने भी सबूत हमें मिले है उनमें कही भी नमाज़ का ज़िक्र नहीं किया गया है।
बंगाल की स्थानीय वेबसाइट ईआईसमय पेज पर वायरल वीडियो की खबर 15 दिसंबर 2019 को प्रकाशित की गई है। रिपोर्ट के मुताबिक, बंगाल में सीएए के खिलाफ कई जगह विरोध प्रदर्शन हुए थे। लोगों ने कई शहरों में तोड़फोड़ और हिंसा की थी। मुर्शिदाबाद जिले के रेलवे स्टेशन पर आग लगाने और तोड़फोड़ की खबरें आने के बाद प्रदेश सरकार ने लोगों से हिंसा न करने की अपील की थी।
निष्कर्ष- तथ्य-जांच के बाद हमने पाया कि, वायरल वीडियो पुराना है। यह वीडियो साल 2019 में पश्चिम बंगाल में सीएए के विरोध में हुए प्रदर्शन का है, जिसे अब सांप्रदायिक रंग देकर शेयर किया जा रहा है।

Title:पश्चिम बंगाल में सीएए विरोधी प्रदर्शन का पुराना वीडियो अब सांप्रदायिक एंगल से वायरल…
Fact Check By: Sarita SamalResult: False
