४ मार्च २०१९ को कनक मिश्र नामक एक फेसबुक यूजर ने दो तस्वीरों के साथ एक पोस्ट साझा किया है | यह पोस्ट ४ मार्च २०१९ को ‘महाशिवरात्रि’ के दिन अपलोड किया गया और कहा गया कि महाशिवरात्रि के अवसर पर इंदौर शहर में मुस्लिम महिलाओं ने कांवड़ उठाई | पोस्ट को ६०० से ज्यादा प्रतिक्रियाएं मिली है व लगभग ८६०० बार साझा किया गया है | पोस्ट के शीर्षक में यह लिखा गया है कि-

“इंदौर में महाशिवरात्री के मौके पर मुस्लिम माताओं व बहनो ने बुर्का पहनकर उठाई कांवड़। ॐ नमः शिवाय लिखकर शिव भक्त मुस्लिम बहनों का स्वागत नहीं करोगे ?”

पोस्ट के साथ तस्वीरे भी दी गयी है जिसमे बुर्का पहनी हुई औरतों को कन्धों पर कांवड़ उठाकर चलते हुए देखा जा सकता है | वहीं दूसरी तस्वीर में महिलाओं की भीड़ नजर आती हैं जिनमें से आधी महिलाओं ने बुर्का पहना हुआ है |

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संशोधन से पता चलता है कि..

उपरोक्त तस्वीर का स्क्रीनशॉट लेकर गूगल रिवर्स इमेज सर्च करने पर हमे पता चलता है कि साझा की गई तस्वीरें २४ अगस्त २०१५ को मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में मनाये गए सावन के आखिरी सोमवार की है। २४ अगस्त २०१५ न्यूज़ १८ द्वारा प्रकाशित की गई खबर के मुताबिक यह पता चलता है कि इंदौर में सावन के आखिरी सोमवार की यात्रा में बड़ी संख्या में मुस्लिम महिलाएं और पुरूष शामिल हुए थे। खबर के मुताबिक २०१५ में हुई इस यात्रा कि खासियत यह है कि इस यात्रा में हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई और पारसी समाज की महिलाएं कांवड़ लेकर शामिल हुईं थी। प्रकाशित खबर में हम वायरल किये गए तस्वीरों को देख सकते है। इससे यह बात स्पष्ट हो जाती है कि उपरोक्त तस्वीरें २०१९ में हुए ‘महाशिवरात्रि’ की नहीं है बल्कि २०१५ के सावन के आख़री सोमवार की है।

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इस ख़बर को अगस्त २०१९ में न्यूज 18 सहित अनेक प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों द्वारा कवर किया गया था । उपरोक्त शीर्षक को गूगल सर्च करने पर हमे २५ अगस्त २०१५ को हिंदुस्तान टाइम्स द्वारा प्रकाशित खबर मिली | हिंदुस्तान टाइम्स के रिपोर्ट के मुताबिक हमे पता चलता है कि चित्र २०१५ में हुए कांवड यात्रा के हैं, जो पिछड़ा और अल्पसंख्यक वित्त निगम के पूर्व अध्यक्ष और मध्य प्रदेश में भाजपा की कार्यसमिति के सदस्य सैम पावरी द्वारा आयोजित किया गया था |

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हमे Topyaps नामक एक वेबसाइट पर भी यही खबर मिली |

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२६ अगस्त २०१५ को उमेश चौधरी नामक एक यूट्यूब यूजर ने भी २०१५ कि उसी यात्रा का विडियो अपलोड किया है।

विडियो में हम बुर्का पहनी हुए मुस्लिम औरतें, नारंगी साडी पहने हुई औरतें व अलग अलग धर्म के लोगों द्वारा कन्धों पर कांवड़ उठाकर चलते हुए देख सकते है |

निष्कर्ष : तथ्यों कि जांच के पश्चात हमने वायरल हुई तस्वीरों को गलत पाया है। उपरोक्त तथ्यों से इस बात का स्पष्टीकरण मिलता है कि साझा की गयीं तस्वीरें २०१९ के ‘महाशिवरात्रि’ की नहीं अपितु २०१५ अगस्त में सावन के आखरी सोमवार की है | उपरोक्त पोस्ट में तस्वीरों के साथ किया गया यह दावा कि महाशिवरात्रि के अवसर पर इंदौर में मुस्लिम महिलाओं ने कांवड़ उठाया गलत है |

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Title:क्या इंदौर में ‘महाशिवरात्रि’ के अवसर पर मुसलमान औरतें ने कांवड़ यात्रा में शिरकत की ?

Fact Check By: Drabanti Ghosh

Result: False