अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर एक दिन के लिए एस.पी बनी लड़की की तस्वीर को सांप्रदायिक विद्वेष के साथ साझा किया जा रहा है ।

False Social
C:\Users\Lenovo\Desktop\FC\one day SP.png

सोशल मंचों पर वायरल हो रही एक लड़की की तस्वीर जिसमें हमें हिजाब पहनी हुई लड़की एक पुलिस अधिकारी के दफ्तर में उनकी कुर्सी पर बैठी हुई नज़र आती है और उनके पीछे 10 -12 की संख्या में पुलिस खड़े हुए हैं, इस तस्वीर को सोशल मंचों पर सांप्रदायिक दावे के साथ वायरल किया जा रहा है। वायरल हो रहे दावे में कुर्सी पर बैठी लड़की को पुलिस का एस.पी बताया जा रहा है और पुलिस की वर्दी न पहने पर उसपर तंज कसे जा रहे है। वायरल हो रहे दावे में लिखा है, 

IPS मुस्लिम महिला हैं इसका मतलब उसे ड्रेस कोड से छूट मिलती है क्या? कल अगर बुर्का पहन कर आजाये तब भी चलेगा क्या? अब क्या फतवे जारी किये जायेंगे क्या?”

C:\Users\Lenovo\Desktop\FC\one day SP1.png

फेसबुक | आर्काइव लिंक

इस तस्वीर को एक और गलत व भ्रामक शीर्षक के साथ वाईरल किया जा रहा है। शीर्षक में लिखा है, 

महाराष्ट्र में उर्दू पाठशाला की पहली मुस्लिम महिला एस.पी”

आर्काइव लिंक

अनुसंधान से पता चलता है कि…

सबसे पहले हमने यांडेक्य रीवर्स इमेज सर्च के माध्यम से इस तस्वीर की सच्चाई का पता लगाने की कोशिश की, परिणाम में हमें मुंबई टाइम्स नामक एक यूट्यूब चैनल पर एक वीडियो मिला जिसकी थंबनेल तस्वीर पर वायरल हो रही तस्वीर नज़र आ रही थी। उस वीडियो को देखकर हमें समझ आया कि वायरल तस्वीर में नज़र आ रही लड़की को महाराष्ट्र के बुलढ़ाणा जिल्हे में एक दिन का एस.पी बनाया गया था, इस वीडियो में उस दिन का पूरा प्रसंग दिखाया गया है। एक दिन की एस.पी बनी लड़की पहले पुलिस की गाड़ी में एस.पी दफ्तर आई, फिर गाड़ी से उतरकर उसने वहाँ मौजूद सभी पुलिस अधिकारियों से भेंट की और फिर एस.पी के दफ्तर में जाकर उनकी कुर्सी पर स्थान ग्रहण किया व सभी पुलिस अधिकारियों के साथ तस्वीरें खिचवाई। मुंबई टाइम्स का यह वीडियो 4 मार्च 2020 को प्रसारित किया गया था।

आर्काइव लिंक

मुंबई टाइम्स की इस रिपोर्ट में आपको बुलढ़ाणा के वर्तमान एस.पी डॉ. दिलीप पाटिल की मराठी भाषा में बाईट भी सुनाई देगी। वे इस रिपोर्ट में उस दिन के प्रसंग का पूरा विवरण दे रहें हैं।  

टाइम्स ऑफ इंडिया और नेटर्वक एन 24 के यूट्यूब चैनल पर भी एक दिन के एस.पी के प्रसंग का वीडियो अपलोड किया गया है। 

आर्काइव लिंक

इस विषय में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिये हमने बुलढ़ाणा शहर के एस.पी दिलीप पाटिल से संपर्क किया, उनके द्वारा हमें बताया गया कि, 

“मार्च के महीने में “अंतरराष्ट्रिय महिला दिवस” के चलते जिला अधिकारी कार्यालय, जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी कार्यालय और पुलिस अधिक्षक कार्यालय इन तीनों कार्यालयों में छात्राओं की योग्यता के आधार पर उन्हें एक दिन का कलेक्टर, सी.ई.ओ व एस.पी बनाया गया था। आप जिस तस्वीर की बात कर रही है वह तस्वीर 4 मार्च की है। तस्वीर में नज़र आ रहीं लड़की का नाम शेरिस कवल है, वह मलकापूर शहर की रहने वाली है और वह 9वीं कक्षा की छात्रा है। यह एक ही उद्देश्य से किया जाता है कि छात्राओं को उनके भविष्य के लिए हौसला मिले। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस सप्ताह बुलढ़ाणा में हर साल मनाया जाता है परंतु पाठशाला कि छात्राओं के लिए इस तरह से हौसला बढ़ाने का कार्य पहली बार हुआ है। जो दावा सोशल मंचों पर वायरल हो रहा है वो सरासर गलत व भ्रामक है।“

उन्होंने हमें शेरिस की उस दिन की दिनचर्या भी बताई। उन्होंने कहा,

“जिस तरह से कोई अधिकारी तबादला हो कर दूसरी जगह जाता है और जिस तरह से उनका नयी जगह पर पहला दिन गुज़रता है उसी तरह शेरिस ने भी पूरे दफ्तर का भ्रमण किया, वह सभी पुलिस अधिकारियों से मिली, वे क्या काम करते है उसकी जानकारी हासिल की, जो लोग अपनी तकलीफे लेकर आए थें उनसे शेरिस ने भेट की व उनकी तकलीफें सुनी। एक दिन की एस.पी बनी छात्रा को एक अलग अनुभव मिले हमारा इतना ही प्रयास था।“

तदनंतर हमने बुलढ़ाणा के शिक्षण अधिकारी डॉ. श्रीराम पनज़ाडे की मदद से एस दिन की एस. पी बनी शेरिस कवल से संपर्क किया। शेरिस ने हमें उसके अनुभव के बारे में बताया,

“मेरा पूरा नाम शेरिस कवल अब्दुल आसीद है और मैं मलकापुर के ज़िला परिषद पाठशाला की 10वीं कक्षा की छात्रा हूँ। 9वीं कक्षा में अच्छे क्रमांक आने पर हमें 2 मार्च को पहले मलकापुर के शिक्षण अधिकारी द्वारा इंटरव्यू के लिए बुलाया गया। वहाँ उन्होंने मुझे मलकापुर क्षेत्र के बारे में सामान्य ज्ञान के प्रश्न पूछे गये तत्पश्चात मुझे आगे की प्रक्रिया के लिए चुना गया। उसके बाद 4 मार्च को मैं और मेरी पाठशाला की अध्यापिका बुलढ़ाणा गये, वहाँ पहले बुलढ़ाणा के शिक्षण अधिकारी ने मेरा इंटरव्यूह लिया और फिर एस.पी सर ने। हमारी बुलढ़ाणा के कलेक्टर मैडम से भी मुलाकात करवाई गयी तत्पश्चात मुझे बुलढ़ाणा का एक दिन का एस.पी घोषित किया गया व मुझे नियुक्ति पत्र दिया गया।“

इसके बाद शेरिस ने हमें उसका किस तरह से स्वागत किया गया व उसने एस.पी बनकर क्या कार्य किया वह भी बताया। उसने कहा,

“ जैसे ही मैं एस.पी के दफ्तर पहुँची मेरा स्वागत किया गया, मान वंदना कि गई फिर मुझे सभी पुलिस अधीक्षकों से मिलाया गया। फिर मैंने 2-3 लोगों के मामले देखे तथा मेरे साथ सभी पुलिस अधीक्षकों ने तस्वीरें भी खिचवाई।“

निष्कर्ष: तथ्यों की जाँच के पश्चात हमने उपरोक्त दावे को गलत पाया है। तस्वीर में नज़र आ रही लड़की असल में एस.पी नहीं है बल्कि उसके अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस सप्ताह के चलते बुलढ़ाणा शहर का एक दिन की एस.पी बनाया गया था।

Avatar

Title:अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर एक दिन के लिए एस.पी बनी लड़की की तस्वीर को सांप्रदायिक विद्वेष के साथ साझा किया जा रहा है ।

Fact Check By: Rashi Jain 

Result: False