
९ मई २०१९ को फेसबुक के ‘Kamalnath Congress’ नामक पेज पर एक पोस्ट साझा किया है | पोस्ट में एक अख़बार की खबर का कटिंग दिया गया है | इस खबर के हैडलाइन में कहा गया है कि, आज भी नरेन्द्र मोदी के भाई बहन नरेन्द्र मोदी को ही अपने पिताजी के मौत का जिम्मेदार मानते है | पोस्ट के विवरण में लिखा है –
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इस पोस्ट द्वारा यह दावा किया जा रहा है कि किसी अख़बार में यह खबर छपकर आई है कि, नरेन्द्र मोदी के भाई बहन नरेन्द्र मोदी को ही अपने पिताजी के मौत का जिम्मेदार मानते है | ऐसी कोई खबर कहीं छपी हो, ऐसा सुनने में अभी तक तो आया नहीं है | दूसरा यह कि ऐसी अख़बार के कटिंग वाली दूसरी भी अविश्वसनीय ख़बरें चुनावी माहौल में सोशल मीडिया पर फैलती दिखाई देती है | तो आइये जानते है इस दावे की सच्चाई |
संशोधन से पता चलता है कि…
हमने सबसे पहले इस कटिंग का स्क्रीन शॉट लेकर गूगल पर सर्च किया, लेकिन हमें कोई परिणाम नहीं मिला |
इसके बाद हमने खबर जारी करने वाली समाचार एजेंसी ‘दिल्ली न्यूज़ नेटवर्क’ के बारे में गूगल में सर्च किया | लेकिन इस नाम की कोई समाचार एजेंसी हमें नहीं मिली | आम तौर पर कुछ बड़े मीडिया संस्थान अपने प्रकाशन के नाम से खबर के नेटवर्क का नाम देते है | लेकिन ‘दिल्ली न्यूज़ नेटवर्क’ इस नाम से किसी भी मीडिया संस्थान का जिक्र नहीं होता |
इसके बाद हमने खबर को ध्यान से पढ़ा तो हमें कई ऐसी गलतियाँ नजर आई, जो अमूमन किसी अख़बार की खबर में नहीं होती है | पहली बात खबर की भाषा |
- खबर में लिखा है कि, यह जानकारी पूर्णता सत्य है, जिस किसी को शंका हो तो वडनगर के पोलिस स्टेशन में RTI डालकर पता कर सकते हैं..| किसी भी अख़बार द्वारा पाठकों को इस तरह का आह्वान नहीं किया जाता | अख़बारों का काम होता है खबर को ढूँढना, ना कि पाठकों को वह जिम्मेदारी सौंपना |
- खबर में नरेन्द्र मोदी का नाम बिना किसी पद के संबोधन से लिया है | अख़बार में ऐसी गलती कभी नहीं हो सकती | अगर यह खबर वह प्रधानमंत्री बनने के बाद की है, तो उनके नाम के आगे प्रधानमंत्री लिखा होना जरुरी है | अगर वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तबकी यह खबर है, तो उस पदनाम का जिक्र होना चाहिए था | अगर उससे भी पहले की है, तब बीजेपी के नेता या आरएसएस स्वयंसेवक लिखा होना जरुरी है | यह एक आम नियम है, जिसका पालन सभी मीडिया संस्थानों में होता है | रेल्वे स्टेशन पर चाय बेचते समय किसी का पॉकेट गूम हुआ था, उसमें 300 रू थे दामोदर जी ने लौटाने के बजाय अपने जेब मे डाल दिया था…इस वाक्य में भी वाक्यरचना की गंभीर गलती है |
- हमें एक और खामी नजर आती है कि, प्रत्येक वाक्य के बाद हिंदी भाषा में आम तौर पर उपयोग की जाने वाली खड़ी पाई का प्रयोग कहीं भी नहीं किया गया है | प्रत्येक वाक्य के बाद डॉट्स दिए गए है | जब कोई वाकया कथन करना हो, तब इस तरह की स्टाइल का प्रयोग होता है |
किसी भी प्रकाशन में भाषा सम्बन्धी जो एहतियात बरते जाते है, वह सब इस खबर में नदारद है | लिहाजा यह प्रकाशित खबर है, इस बात पर विश्वास नहीं किया जा सकता |
अब हमने फेसबुक पर सर्च करते समय इसी तरह का दूसरा पोस्ट ढूंढ निकाला, जो आप नीचे देख सकते है |
दो साल पहले भी, यानि ९ जून २०१७ को Velaram M Patel नामक यूजर ने इसी तरह का पोस्ट साझा किया था | इस पोस्ट में उपयोग की गई भाषा तथा अख़बार की कटिंग में उपयोग की गई भाषा एक ही है | हर शब्द, यहाँ तक की डॉट्स भी | इस बात से यह अनुमान लगाया जा सकता है कि, इन्हीं शब्दों का इस्तेमाल कर अख़बार का यह कटिंग फोटोशोप का इस्तेमाल कर बनाया गया होगा |
गूगल सर्च करते वक्त हमें वेबदुनिया वेबसाइट द्वारा इसी विषय पर किया हुआ संशोधन मिला | उसमे प्रधानमंत्री मोदी के छोटे भाई प्रहलाद मोदी के हवाले से बताया गया है कि आर्टिकल में लिखी बातों में जरा भी सच्चाई नहीं है। उन्होंने बताया कि उनके पिता की मृत्यु १९८९ में बोन कैंसर से हुई थी। साथ ही, उन्होंने बताया कि नरेंद्र मोदी ने न तो कोई चोरी की थी और न ही उनके परिवारवालों ने कभी भी मोदी के खिलाफ FIR दर्ज कराई।
जांच का परिणाम : इस संशोधन से यह स्पष्ट होता है कि, उपरोक्त पोस्ट में साझा कथित अख़बार की कटिंग के साथ किया गया दावा कि, “आज भी नरेन्द्र मोदी के भाई बहन नरेन्द्र मोदी को ही अपने पिताजी के मौत का जिम्मेदार मानते है|” बिलकुल गलत है | यह अख़बार की कटिंग नकली है तथा ऐसी कोई खबर कहीं भी छपी नहीं है |

Title:क्या नरेन्द्र मोदी के भाई बहन उन्हें उनके पिता की मृत्यु के लिए जिम्मेदार मानते है ?
Fact Check By: Rajesh PillewarResult: False
