वीडियो में दिख रहे घटना के साथ संप्रदायिकता का कोई संबंध नहीं है। वीडियो में दिख रहे व्यक्ति इसाई समुदाय से है।
सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें महिलाओं का एक समूह एक व्यक्ति को उसकी कार से खींचकर उसकी पिटाई कर रहा है। यूजर का दावा है कि यह वीडियो महिलाओं के एक समूह का है जो कथित तौर पर गाली देने वाले एक मुस्लिम व्यक्ति की पिटाई कर रहा है।
वीडियो में, हम महिलाओं के एक समूह को एक व्यक्ति को उसकी कार से बाहर खींचते हुए और नंगे हाथों, डंडों और चप्पलों से उसकी पिटाई करते हुए देख सकते हैं।
पोस्ट के कैप्शन में लिखा गया है कि “#Kerala हिंदू लड़कियों की एकता, हिंदू लड़कियों से दो मुस्लिमों ने की बदतमीजी बदसलूकी…! जागरूक हो रही हिन्दू बहनों ने कायदे से सबक सिखाया मेरे भाइओ इस विडियो को खूब #RETWEEET करो ताकि हमारी बहनों का डर निकले और सामना करने कि हिम्मत आये।”
अनुसंधान से पता चलता है कि….
जाँच की शुरुवात हमने इस वीडियो से संबंधित कीवर्ड सर्च कर ख़बरों को ढूँढा, न्यूज़ रिपोर्टों का दावा है कि यह घटना केरल के त्रिशूर जिले के मुरियाद नामक गांव में हुई थी। गांव में एक आध्यात्मिक रिट्रीट सेंटर है जिसे सम्राट इमैनुएल चर्च कहा जाता है। यह केंद्र सिय्योन नामक धार्मिक पंथ की गतिविधियों का केंद्र है। महिलाएं सम्राट इमैनुएल चर्च की सदस्य हैं और जिस व्यक्ति को पीटा जा रहा है वह चर्च का पूर्व सदस्य है।
NDTV की एक रिपोर्ट के मुताबिक, रिट्रीट सेंटर से निकलने के बाद शाजी नाम के व्यक्ति और उसके परिवार पर हमला किया गया। शाजी पर हमला करने वाली महिलाओं ने आरोप लगाया कि शाजी ने उनकी एडिटेड मॉर्फ्ड नग्न तस्वीरें साझा कीं।
पीटीआई के अनुसार पुलिस ने कहा कि: “पुरुष की शिकायत के अनुसार, महिलाओं ने उस गलतफहमी पर हमला किया कि उसने रिट्रीट सेंटर से संबंधित एक महिला की छेड़छाड़ की गई तस्वीरों का प्रचार किया था।”
इस शिकायत के बाद केरल पुलिस ने 11 महिलाओं को गिरफ्तार किया और जांच शुरू की। हालाँकि, सिय्योन के सदस्यों ने शाजी और उनके परिवार पर यौन उत्पीड़न, हत्या के प्रयास आदि जैसे कई आरोप भी लगाए। समूह के सदस्यों ने शाजी के रिश्तेदार पर भी हमला किया। इस मामले ने मुरियाद में भी तनाव पैदा कर दिया और त्रिशूर के जिला कलेक्टर को दोनों समूहों से हिंसा रोकने के लिए आग्रह करने के लिए हस्तक्षेप करना पड़ा।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मामला अलूर पुलिस स्टेशन में दर्ज है। फैक्ट क्रेसेंडो ने जांच अधिकारी इंस्पेक्टर सिबिन एम.बी. से बात की, उन्होंने हमें बताया कि, इस वीडियो को लेकर सोशल मीडिया पर चलाया जा रहा कैंपेन झूठा है। वीडियो में दिख रहे लोग एक ही समुदाय के हैं। इस मामले में कोई भी मुस्लिम समुदाय से नहीं है। इस मामले से सम्बंधित सब ही लोग इसाई धर्म से है। उन्होंने आगे कहा, “वह आदमी शाजी सिय्योन धार्मिक समूह का सदस्य था मगर बाद में उन्होंने ये धार्मिक समूह छोड़ दिया था। वह मुस्लिम नहीं है और इस घटना में कोई सांप्रदायिक कोण नहीं है।”
सम्राट इमैनुएल चर्च क्या है?
सम्राट इमैनुएल चर्च या सिय्योन केरल के त्रिशूर जिले के मुरियाद गांव में स्थित है। जोसेफ पोन्नारा ने इसकी स्थापना की थी। समूह इमैनुएल में विश्वास करता है जो यीशु मसीह का दूसरा आगमन है और कई अन्य मान्यताएँ हैं जो पारंपरिक ईसाई मान्यताओं से भिन्न हैं। चर्च को अक्सर ‘डूम्सडे कल्ट’ के रूप में वर्णित किया गया है। उनकी वेबसाइट कहती है: “सिय्योन का मानना है कि परमेश्वर का पुत्र, यीशु मसीह, इस पृथ्वी पर फिर से देह में आया है। जैसा कि परमेश्वर ने अपने भविष्यद्वक्ता यशायाह के द्वारा भविष्यवाणी की थी, परमेश्वर का पुत्र अब इम्मानुएल कहलाता है।”
चर्च विवादों के लिए नया नहीं है और चर्च छोड़ने वाले लोगों के खिलाफ फर्जी पुलिस शिकायत दर्ज करने के आरोपों का सामना करना पड़ा है। द हिंदू में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, कुछ पूर्व सदस्यों ने दावा किया कि चर्च उन्हें निशाना बना रहा था। पूर्व सदस्यों ने आरोप लगाया कि चर्च के नए नेतृत्व ने नए तरीके और विश्वास पेश किए, जिस पर वे सहमत नहीं थे और इसलिए छोड़ दिया। उन्होंने कहा कि प्रतिशोधी चर्च अब उनके खिलाफ फर्जी शिकायत दर्ज करा रहा है।
निष्कर्ष:
फैक्ट क्रेसेंडो ने वायरल वीडियो के साथ किये गये दावे को गलत पाया है| वीडियो में यह नहीं दिखाया गया है कि महिलाएं गंदी भाषा का इस्तेमाल करने पर एक मुस्लिम व्यक्ति की पिटाई कर रही हैं बल्कि महिलाओं ने शाजी नाम के एक व्यक्ति को यह आरोप लगाने के बाद पीटा कि उसने उनकी मॉर्फ्ड नग्न तस्वीरें साझा की थीं। शाजी मुरियाद, केरल में सम्राट इमैनुएल चर्च के पूर्व सदस्य हैं और महिलाएं चर्च की सदस्य हैं। इस मामले से संबंधित सब व्यक्ति इसाई धर्म से है| इस घटना में कोई सांप्रदायिक कोण नहीं है।
Title:केरल में महिला द्वारा व्यक्ति को पीटने का वीडियो गलत सांप्रदायिक दावे के साथ वायरल।
Fact Check By: Drabanti GhoshResult: False
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