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क्या हसदेव जंगल में पेड़ की कटाई के कारण भालू के दोनों बच्चे अपनी मां से बिछड़ गये?

भालू के दो बच्चों की ये तस्वीर हसदेव अरण्य की नहीं बल्कि कोरिया वन क्षेत्र की है। तस्वीर का हसदेव जंगल में चल रहे पेड़ काटने और कोयला खनन से कोई संबंध नहीं है। 

छत्तीसगढ़ में हसदेव अरण्य को बचाने के लिए बड़ी मुहिम चल रही है। क्योंकि कोयला खनन के लिए जंगल से पेड़ काटे जा रहे है। इस संदर्भ में सोशल मीडिया पर सफेद और काले रंग के भालू के दो बच्चों की तस्वीर तेजी से प्रसारित हो रही है। पोस्ट के साथ दावा किया गया है कि ये भालू के दो बच्चे हसदेव अरंड जंगल में पेड़ की कटाई के कारण अपनी मां से अलग हो गए। 

वायरल तस्वीर के साथ यूजर ने लिखा है- ये तस्वीर कैलिफॉर्निया के जंगल की नहीं हसदेव अरण्य की है। जहां अडानी कोयला खदानों के लिए नष्ट किए जा रहे सरगुजा जंगल में भालू के ये दुर्लभ प्रजाति के 2नवजात अपनी माँ से बिछड़ गए। लेकिन हम उस दौर में जी रहे है जहां जानवरों से क्या इंसानों के मरने से भी फर्क नहीं पड़ता।

फेसबुक 

अनुसंधान से पता चलता है कि…

पड़ताल की शुरुआत में हमने वायरल तस्वीर का रिवर्स इमेज सर्च किया। परिणाम में वायरल तस्वीर हमें दैनिक भास्कर के रिपोर्ट में मिली। सात दिन पहले प्रकाशित इस  खबर के अनुसार ये तस्वीर कोरिया वनमंडल की है। 

दरअसल कोरिया वनमंडल के चिरमिरी परिक्षेत्र के ग्राम बहालपुर के जंगल में बुधवार को भालू के 2 शावक मिले हैं। 

इसमें एक सफेद भालू और दूसरा काला भालू का शावक है। बहुत छोटे होने के कारण ग्रामीण उन्हें जंगल से उठाकर अपने गांव ले गए। फिर उन्होंने वन विभाग को इसकी सूचना दी। सूचना मिलते ही वन विभाग के अधिकारी-कर्मचारी गांव में पहुंचे और शावकों को बरामद किया। 

जांच में आगे हमें नई दुनिया में प्रकाशित एक खबर मिली। जिसमें सरगुजा के मुख्य वन संरक्षक नावेद सुजाउद्दीन ने वायरल तस्वीर के बारे में अपना स्पष्टीकरण दिया है। 

प्रकाशित खबर में नावेद सुजाउद्दीन ने तस्वीर को लेकर स्पष्ट किया है कि यह कोरिया वनमण्डल की है, हसदेव अरंड जंगल का नहीं । बच्चों को जन्म देने के बाद मादा भालू कहीं चली गई है। दोनों को विशेष निगरानी में रखा गया है। विशेषज्ञ चिकित्सकों की देखरेख में मादा भालू से मिलाने का प्रयास जारी है। 

वहीं अन्य एक न्यूज रिपोर्ट में डिप्टी रेंजर एसडी सिंह ने बताया कि बच्चों को जन्म देने के बाद मादा भालू कहीं चली गई है। दोनों को विशेष निगरानी में रखा गया है।  विशेषज्ञ डॉक्टरों की देखरेख में भालू को मादा भालू से मिलाने का प्रयास जारी है।

हसदेव अरण्य में कोयला खनन के लिए काटे गए हजारों पेड़-

छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्य क्षेत्र  में 137 हेक्टेयर में फैले जंगल में हजारों पेड़ काटे जा चुके हैं। आरोप है कि आने वाले दिनों में यहां 2.50 लाख से अधिक पेड़ काटे जाने हैं। ये पेड़ परसा ईस्ट और कांता बसन (पीईकेबी) कोयला खदान के लिए काटे जा रहे हैं। पीईकेबी को अडानी समूह द्वारा संचालित राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम को आवंटित किया गया है।

निष्कर्ष- 

तथ्य-जांच के बाद, हमने पाया कि, भालू के दो बच्चों की ये तस्वीर हसदेव अरण्य की नहीं बल्कि कोरिया वन क्षेत्र की है। तस्वीर को भ्रामक दावे के साथ शेयर किया जा रहा है।

Title:क्या हसदेव जंगल में पेड़ की कटाई के कारण भालू के दोनों बच्चे अपनी मां से बिछड़ गये?

Written By: Saritadevi Samal

Result: False

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