इंटरनेट पर एक हिंसक वीडियो वायरल हो रहा है, उस वीडियो में आप कुछ लोगों को झुककर घुटनों के बल बैठे हुये देख सकते है व वीडियो में दिख रहे अन्य लोगों को उनकी बंदुकों से इन लोगों को गोली मारकर उनकी हत्या करते हुये देखा जा सकता है। इसी वीडियो में कुछ समय बाद आपको एक ट्रक में कई लोगों को एक शख्स को गोली मारते हुये भी दिखाया गया है । इस वीडियो साथ दावा किया जा रहा है कि यह वर्तमान में अफगानिस्तान के लोगों पर तालिबान द्वारा की जा रही हिंसा है और साथ ही इस दावे में सांप्रदायिक रूप से टिप्पणी भी की जा रही है।
वायरल हो रहे पोस्ट के शीर्षक में लिखा है,
“जब तक मोदी राज है तब तक चैन से रह लो हिंदुओ, जिस दिन मदरसा छाप जिहादियों का राज आ गया यही होगा हिंदुस्तान में जो आज अफगानिस्तान में हो रहा है।“
अनुसंधान से पता चलता है कि…
फैक्ट क्रेसेंडो ने जाँच के दौरान पाया कि वायरल हो रहा वीडियो दो अलग-अलग पुराने असंबंधित वीडियो को जोड़कर बनाया गया है। दोनों ही वीडियो का वर्तमान, अफगानिस्तान व तालिबान से कोई सम्बंध नहीं है।
जाँच की शुरुवात हमने वायरल हो रहे वीडियो को इनवीड-वी वैरिफाइ टूल के माध्यम से छोटे कीफ्रेम्स में काटकर गूगल पर रिवर्स इमेज सर्च कर के की, इससे हमने पाया कि यह वीडियो दो अलग-अलग वीडियो को जोड़कर वायरल किया जा रहा है।
वायरल वीडियो का पहला भाग आपको 0.19 मिनट तक देखने को मिलेगा। जाँच के दौरान हमें इस वीडियो में दिख रहे दृश्य की तस्वीरें वालियासर-आज.कॉम पर 1 अक्टूबर 2016 को प्रकाशित की गयी मिली। लेख के अनुसार यह वीडियो इराक के बगदाद का है। वीडियो में जिन लोगों को हिंसा करते हुये देखा जा सकता हे, वे आय.एस.आय.एल के सदस्य है। आपको बता दें कि आय.एस.आय.एस (ISIL) याने की इस्लामिक स्टेट ऑफ़ इराक एंड द लेवेंट एक उग्रवादी समूह (मिलिटंट ग्रुप) है। इसे इस्लामिक स्टेट ऑफ़ इराक एंड सिरिया (ISIS) के रूप में भी जाना जाता है।
उपरोक्त वीडियो के बारे में एलाफ.कॉम द्वारा 24 सितंबर 2016 को प्रकाशित किये गये एक समाचार लेख में भी जानकारी दी गयी है। इस लेख के मुताबिक यह वीडियो आई.एस.आई.एस द्वारा प्रसारित किया गया था। इस वीडियो में आई.एस.आई.एस के एक समूह को दिखाया गया है, उनमें से कुछ अरब कपड़े पहने हुए हैं और अन्य मशीन गन लिए हुए हैं। वीडियो में दिख रहे पीड़ित अपने घुटनों पर बैठे हुये है व हाथों पर हथकड़ी और आंखों पर पट्टी बांधे हुये है। लेख में यह भी लिखा है कि आई.एस.आई.एस द्वारा प्रसारित वीडियो में दिये गये कमेंट के अनुसार इसमें दिख रहे पीड़ित इराकी सैना से है व पॉपुलर मोबिलाइजेशन फॉर्मेशन के सदस्य हैं। आपको बता दें कि पॉपुलर मोबिलाइजेशन फॉर्मेशन इराकी सरकार द्वारा बनाया गया एक संगठन है। यह आई.एस.आई.एस के खिलाफ लड़ने के लिये बनाया गया था।
2. दूसरा वीडियो
इस वीडियो के दूसरे भाग को आप 0.20 मिनट से आगे तक देख सकते है। वीडियो में दिख रहे दृश्य की तस्वीर फार्स न्यूज़. आय आर द्वारा प्रकाशित एक लेख में हमें मिले। उसमें लिखा है कि लोगों को गोली मार रहा शख्स आय.एस.आय.एस (ISIS) का एक सदस्य है। इस लेख के मुताबिक यह तस्वीर व वायरल वीडियो आय.एस.आय.एस ने प्रसारित किया है। इसमें यह भी लिखा है कि यह तस्वीर इराक में वर्ष 2014 में आय.एस.आय.एस द्वारा किये गये कैंप स्पीचर नरसंहार की है।
अधिक जाँच करने पर हमें अल बावाबा न्यूज़ द्वारा 12 जुलाई 2015 को प्रकाशित एक लेख मिला। उसमें बताया गया है कि वर्ष 2014 में हुये कैंप स्पीचर नरसंहार के बाद आई.एस.आई.एस ने 23 मिनट का एक वीडियो जारी किया था। उस वीडियो में इराकी सैनिकों पर आई.एस.आई.एस द्वारा की गई हिंसा को दर्शाया गया है। उन्होंने इराक के तिकरित शहर के पास स्थित स्पीचर सैन्य अड्डे से पकड़ा व उनकी हत्या कर दी। आपको बता दें कि उपरोक्त वायरल वीडियो का दूसरा भाग इसी 23 मिनट के वीडियो का एक हिस्सा है।
कैंप स्पीचर नरसंहार क्या है?
कैंप स्पीचर नरसंहार वर्ष 2014 में इराक के तिकरित शहर में हुआ था। इसके चलते इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड द लेवेंट (आई.एस.आई.एल) ने 1,095 से 1,700 तक इराकी लोगों की हत्या कर दी थी। स्पीचर कैंप में उस वक्त मौजूद सैनिकों में से आई.एस.आई.एल ने शिया और गैर-मुसलमानों को चुना व उनकी हत्या कर दी थी।
निष्कर्ष: तथ्यों की जाँच के पश्चात हमने पाया कि वायरल हो रहे वीडियो के साथ किया गया दावे को गलत पाया है। यह वीडियो दो अलग-अलग पुराने वीडियो को जोड़कर बनाया गया है। दोनों वीडियो का वर्तमान, अफगानिस्तान व तालिबान से कोई सम्बंध नहीं है।
तालिबान के अफ़ग़ानिस्तान पर कब्ज़े से संबंधित अन्य फैक्ट चेक को आप नीचे पढ़ सकते है|
Title:आतंकियों द्वारा हिंसा के दो अलग-अलग पुराने वीडियो को वर्तमान में अफगानिस्तान में हो रहे अत्याचारों का बता वायरल किया जा रहा है।
Fact Check By: Rashi JainResult: False
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