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वर्ष २०१५ की यमन में ली गई एक तस्वीर को वर्तमान अफगानिस्तान में एअरपोर्ट चेक का बता साझा किया जा रहा है |

हाल ही में अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे से संबंधित भ्रामक दावों को लेकर सोशल मीडिया भर एक बाढ़ से आ गई है, वर्तमान में इन मंचों पर बंदूक लटकाए एक व्यक्ति की कथित सिक्यूरिटी चेक पर दूसरे व्यक्ति द्वारा चेक किये जाने की   तस्वीर काफी वायरल हो रही है | इन पोस्टों के माध्यम से दावा किया जा रहा है की यह तस्वीर अफ़ग़ानिस्तान में एयरपोर्ट की सिक्योरिटी चेकिंग की है | इस तस्वीर में यह बात गौर करने वाली है कि व्यक्ति के पास एक बड़ी बंदूक होने के बावजूद उसको किसीने गिरफ्तार नहीं किया है जिससे यह स्पष्ट होता है कि हवाई अड्डे पर बंदूकें और गोला-बारूद सुरक्षा के लिए खतरा नहीं हैं |

पोस्ट के शीर्षक में लिखा गया है कि 

#afghanistan एयरपोर्ट पर सिक्योरिटी चेक की मनोरम तस्वीर, मतलब एपिक है ये..!

फेसबुक पोस्ट | आर्काइव लिंक 

इस तस्वीर को लल्लनटॉप के चीफ सब एडिटर अभिषेक कुमार ने भी अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट के साझा करते हुए लिखा गया है कि 

#afghanistan एयरपोर्ट पर सिक्योरिटी चेक की मनोरम तस्वीर, मतलब एपिक है ये..!

आर्काइव लिंक 

यह तस्वीर फेसबुक पर भी बड़ी तेजी से फैलाई जा रही है..

अनुसंधान से पता चलता है कि… 

फैक्ट क्रेसेंडो ने पाया है कि सोशल मीडिया पर वायरल हो रही तस्वीर २०१५ की यमन से है | इस तस्वीर का वर्त्तमान में अफ़ग़ानिस्तान में हुए कब्ज़े से कोई संबंध नहीं है |

जाँच की शुरुवात हमने इस तस्वीर को गूगल पर रिवर्स इमेज सर्च करने से की, जिसके परिणाम में हमें यह तस्वीर एक ट्विटर उपयोगकर्ता द्वारा १ जुलाई २०१५ को प्रकाशित की हुई मिली, ट्वीट में इस तस्वीर को साझा करते हुए लिखा गया है की “यमन से यादें : हौथी सैनिक रैली में जा रहे एक व्यक्ति की तलाश कर रहा है: कट, खंजर और मशीनगनों को अनुमति दी जा रही है !” इससे यह स्पष्ट है कि सोशल मीडिया पर वायरल हो रही तस्वीर वर्तमान की नहीं बल्कि २०१५ से ही इन्टरनेट पर मौजूद है |

आर्काइव लिंक

इस ट्विटर उपयोगकर्ता द्वारा दी गई जानकारी को ध्यान में रखते हुए हमने गूगल पर सम्बंधित कीवर्ड सर्च किया जिसके परिणाम में हमें ३ नवंबर २०१५ को चेरिफआमिर द्वारा प्रकाशित एक लेख मिला | इस लेख में तस्वीर को साझा करते हुए लिखा गया है कि यह यमन में शुक्रवार की नमाज से पहले का दृश्य, उन दो लोगों को करीब से देखें जिनकी तलाशी ली जा रही है |  मुझे नहीं पता कि कहीं कोई डर तो नहीं है कि वे चाकू छुपा रहे हैं.!!!. मिडिल ईस्ट में आपका स्वागत है |”

आर्काइव लिंक

इसके पश्चात हमने यूट्यूब पर कीवर्ड सर्च करते हुए वायरल तस्वीर में दिखाए गए दृश्यों से सम्बंधित वीडियो को ढूंढ़ने की कोशिश की, इस जाँच के परिणाम से हमें सी.बी.इस इवनिंग न्यूज़ द्वारा १५ जून २०१५ को प्रसारित एक यूट्यूब वीडिओ मिला | इस वीडिओ के शीर्षक में लिखा गया है की “युद्धग्रस्त यमन के अंदर दुर्लभ नजारा |” इस विवरण में लिखा गया  है कि “सी.बी.एस न्यूज के संवाददाता क्लेरिसा वार्ड यमन में प्रवेश करने वाले पत्रकारों के पहले समूह में से एक थे उन्होंने सिविल युद्ध के बीच में फंसे यमन के नये नेताओं में से एक से बात की जिन्होंने अमेरिका के प्रति हौथी विद्रोहियों के दृष्टिकोण को समझाया।”

इस वीडिओ में हमें वायरल हो रही तस्वीर से सम्बंधित दृश्य देखने को मिले | इस वीडिओ के स्क्रीनशॉट में दिख रहे दृश्य और वायरल तस्वीर में दिख रहे दृश्य के बीच तुलनात्मक विश्लेषण की तस्वीर को आप नीचे देख सकते है, जिससे यह स्पष्ट हो जाता है कि वायरल तस्वीर अफ़ग़ानिस्तान के एयरपोर्ट में हो रही चेकिंग की नहीं है बल्कि यह तस्वीर २०१५ में यमन में हुए चेकिंग से सम्बंधित है |

तालिबान के अफ़ग़ानिस्तान पर कब्ज़े से संबंधित अन्य फैक्ट चेक को आप नीचे पढ़ सकते है |

निष्कर्ष: तथ्यों की जाँच के पश्चात हमने उपरोक्त तस्वीर के माध्यम से किये गए दावे को गलत पाया है | वायरल हो रही तस्वीर २०१५ में यमन में हुए चेकिंग से सम्बंधित है | इस तस्वीर का अफ़ग़ानिस्तान में हालही में हुए कब्ज़े से कोई संबंध नहीं है |

फैक्ट क्रेसेंडो द्वारा किये गये अन्य फैक्ट चेक पढ़ने के लिए क्लिक करें :

१. वर्ष 2015 में सीरिया में एक महिला को अल-कायदा द्वारा गोली मारने के वीडियो को वर्तमान अफगानिस्तान से बता वायरल किया जा रहा है।

२. ब्राज़िल के पेरोला शहर के एक वीडियो को श्रीनगर (जम्मू कश्मीर) का बता गलत दावे के साथ वायरल किया जा रहा है।

३. ब्रिटेन में हुये २०१४ के एक नुक्कड़ नाटक वीडियो को अफगानिस्तान में मुस्लिम महिलाओं की सरेआम नीलामी का बता फैलाया जा रहा है|

Title:वर्ष २०१५ की यमन में ली गई एक तस्वीर को वर्तमान अफगानिस्तान में एअरपोर्ट चेक का बता साझा किया जा रहा है |

Fact Check By: Aavya Ray

Result: False

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