25 लाख रुपये का फर्जी केबीसी लॉटरी का मैसेज फिर से वायरल।

दिल्ली पुलिस ने स्पष्ट किया है कि वायरल संदेश एक स्कैम है जो व्यक्तिगत जानकारी या पैसे के लिए निर्दोष लोगों को निशाना बना रहा है।

एक नया दिन और एक नया व्हाट्सएप घोटाला फिर से चर्चा में है। इस बार एक पुराना व्हाट्सएप स्कैम फिर से घूम रहा है। सोशल मीडिया पर स्कैमर्स एक संदेश प्रसारित कर रहे हैं जिसमें कहा गया है कि प्राप्तकर्ता ने ‘केबीसी’ (गेम शो ‘कौन बनेगा करोड़पति’ का संक्षिप्त रूप) द्वारा 25 लाख रुपये की लॉटरी जीती है।

इस मैसेज को प्रामाणिक दिखाने के लिए, लोगों ने अमिताभ बच्चन, नरेंद्र मोदी, अनिल अंबानी और कौन बनेगा करोड़पति (केबीसी) के नाम और लोगो की तस्वीरों का उपयोग किया हैं। संदेश एक गैर-भारतीय नंबर से और कभी-कभी एक भारतीय नंबर से भेजा जा रहा है जिसमें एक पोस्टर शामिल है जिसमें कहा गया है कि उपयोगकर्ता ने लॉटरी में 25 लाख रुपये की पुरस्कार राशि जीती है।

मैसेज फिर उपयोगकर्ता से पोस्टर में दिए गए नंबर पर कॉल करने और लॉटरी जीतने की सूचना देने के लिए कहता है। स्कैमर्स ने अलग-अलग नंबर और लॉटरी टिकट नंबर वाले कई पोस्टर बनाए हैं।

हमें ये पोस्टर हमारे व्हाट्सएप फैक्ट लाइन नंबर 9049053770 पर वेरिफिकेशन के लिए भेजा गया हैं।

इस पोस्टर को फेसबुक पर भी काफी तेजी से शेयर किया जा रहा है।

फेसबुक पोस्ट 

अनुसंधान से पता चलता है कि- 

हमने गूगल पर की-वर्ड सर्च कर अपनी पड़ताल शुरू की, जो हमें दिल्ली के साइबर सेल की वेबसाइट तक ले गया। उन्होंने उल्लेख किया कि यह संदेश एक धोखाधड़ी केबीसी लॉटरी है।

उन्होंने लिखा है की, “जब पीड़ित राशि का दावा करने के लिए उल्लिखित नंबर पर संपर्क करता है, तो जालसाज उसे बताता है कि उन्हें पहले लॉटरी की प्रक्रिया के साथ-साथ जीएसटी आदि के लिए राशि का भुगतान करने की आवश्यकता है। एक बार पीड़ित ये राशि जमा कर देता है बाद में, वे किसी न किसी बहाने और अधिक की मांग करने लगते हैं। जालसाज व्हाट्सएप के जरिए ही संवाद करने पर जोर देते हैं। वे पीड़ित को विभिन्न बैंक खातों में पैसा जमा करने के लिए प्रेरित करते हैं और पूरी धोखाधड़ी कई हफ्तों या महीनों तक चलती है जब तक वे पीड़ित को पैसे जमा करने के लिए प्रेरित करते रहते हैं। कुछ देर बाद वे पीड़ित को बताने लगते हैं कि लॉटरी की रकम को और बढ़ाकर 50 हजार रुपये कर दिया गया है। 45 लाख, फिर 75 लाख रुपए- ये वो तब तक करते रहते है जब तक पीड़ित को व्यस्त रख पाते है। अंत में, जब पीड़ित पैसे पाने के लिए जोर देने लगता है या अधिक भुगतान करने से इंकार कर देता है, तो वे उसे कॉल करना बंद कर देते हैं और धोखाधड़ी में इस्तेमाल किए जा रहे व्हाट्सएप नंबरों को बंद कर देते हैं।”

हमें पीआईबी फैक्ट चेक का एक स्पष्टीकरण ट्वीट भी मिला, जिसने वायरल मैसेज को फेक बताया था। वे उपयोगकर्ताओं से इस तरह के कॉल, मेल और संदेशों पर अपनी व्यक्तिगत जानकारी साझा नहीं करने का भी आग्रह करते हैं।

इन घोटालों (स्कैम) की पहचान कैसे करें?

1) ऐसे संदेशों पर करीब से नज़र डालने से खराब आलेखन, व्याकरण संबंधी त्रुटियां और अन्य स्पष्ट संकेत दिखाई देंगे जिससे ये पता चलता है की वायरल मैसेज वास्तविक नहीं है।

2) किसी भी वास्तविक लॉटरी या पुरस्कार में, पुरस्कार राशि से टैक्स कंपनसेशन और अन्य शुल्क काट लिए जाते हैं और विजेता को कटौती की गई राशि दी जाती है। इसलिए अपने आप से यह सवाल पूछें कि तथाकथित लॉटरी के पैसे पाने के लिए आपको इन शुल्कों का अग्रिम भुगतान क्यों करना पड़ता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि यह एक धोखाधड़ी है और आपने कोई पैसा नहीं जीता है।

3) फोन करने वाले में गोपनीयता बनाए रखने पर जोर देता है, यह इस बात का संकेत है कि पूरी बात में कुछ गड़बड़ है।

4) किसी अज्ञात नंबर से आने वाले संदेशों को चेतावनी संकेत के रूप में लिया जाना चाहिए।

आप क्या सुरक्षा सावधानी बरत सकते हैं?

1) जैसे ही आपको किसी मैसेज के स्कैम होने का संदेह हो, नंबर को ब्लॉक कर दें।

2) किसी संदिग्ध फ़ोन नंबर से आने वाले संदेशों को कभी भी न खोलें। 

3) कभी भी संदिग्ध लिंक पर क्लिक न करें और न ही किसी के साथ ओटीपी साझा करें।

4) ऐसे मैसेज कभी भी किसी को फॉरवर्ड न करें।

निष्कर्ष-

फैक्ट क्रेस्केंडो ने पाया है कि वायरल हो रही केबीसी की 25 लाख रुपये की लॉटरी एक घोटाला है। यह संदेश एक फर्जी संदेश है जो भविष्य में दुरुपयोग करने या आपसे धन एकत्र करने के लिए आपकी व्यक्तिगत जानकारी एकत्र करने की मांग करता है। तस्वीरें और पोस्टर उपयोगकर्ताओं को ठगने और उनकी मेहनत की कमाई चुराने के लिए बनाए गए हैं। कृपया ऐसे संदेशों से सावधान रहें और अपने प्रियजनों को ऐसे मैसेज को फॉरवर्ड करने से पहले ऐसे किसी भी संदेहास्पद संदेश को Fact Crescendo को फॉरवर्ड करें।

Title:25 लाख रुपये का फर्जी केबीसी लॉटरी का मैसेज फिर से वायरल। 

Fact Check By: Drabanti Ghosh

Result: False

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