१४ मार्च २०१९ को ‘फैक्ट क्रेसेन्डो’ के वाट्सऐप नंबर पर एक मैसेज हमारे पाठक द्वारा सत्यता जांचने के लिए भेजा गया | जब हमने उपरोक्त मैसेज अन्य सोशल मीडिया ऐप्स पर ढूंढा तो यह ज्ञात हुआ कि यह पोस्ट वाकई काफ़ी चर्चा में है | पोस्ट में दावा किया गया है कि प्रधानमंत्री आवास योजना की सूचि में नाम जोड़कर लोगों को २.५ लाख रुपये प्राप्त हो सकते है | आवेदन करने की अंतिम तिथि दी गई है २१ मार्च २०१९ | जैसे जैसे यह पोस्ट आगे साझा हुई, उसमे अलग अलग अंतिम तिथियाँ जोड़ी गयी | पोस्ट के साथ एक यूआरएल भी जोड़ा गया है |
वाट्सऐप पर साझा किये गए मैसेज का शीर्षक इस प्रकार है
“प्रधानमंत्री आवास योजना की सूची में अपने परिवार का नाम जोड़े और पाये 250000 रूपये राहत राशि, फिर मत बोलना की मोदी जी ने हमें घर नही दिया है अभी मौका है आवेदन करने की अंतिम तिथि 21 मार्च 2019 है, यहाँ से करे आवेदन ??
?? http://aawas.sarkari-yojana-govt.in/”
मनीषा अडसुल नामक एक फेसबुक यूजर ने इस पोस्ट को साझा किया है | साझा किये गए मैसेज का शीर्षक है –
“*प्रधानमंत्री आवास योजना* की सूची में अपने परिवार का नाम जोड़े और पाये *250000 हजार रूपये* राहत राशि, _फिर मत बोलना की मोदी जी ने हमें घर नही दिया है अभी मौका है_ आवेदन करने की अंतिम तिथि *30 मार्च 2019* है, *यहाँ से करे आवेदन* ???? https://bit.ly/2H7SK4a
??*विनती:* ?? कृपया इस मैसेज को अपने दोस्तों, रिश्तेदारों और सारे ग्रुप्स में शेयर करे ताकि सभी गरीब परिवार को इस योजना का लाभ मिल सके।”
फेसबुक पर इस साझा किये गए मैसेज को ढूंढने पर हमें काफी ऐसी अलग अलग पोस्ट मिली जिनमे अलग अलग अंतिम तिथियां व यूआरएल का उल्लेख है |
पोस्ट में किया “प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत लोगों को २.५ लाख रुपये मिल सकते है”, यह दावा संदेह उत्त्पन्न करता है क्योंकि इसके साथ जोड़ी गयी अंतिम तिथि अलग है व यूआरएल भी असामान्य है | इसलिए हमने ये जानने की कोशिश की, क्या साझा किया गया पोस्ट सही है ?
संशोधन करने पर पता चलता है कि..
उपरोक्त पोस्ट की जांच हमने दिए गए यूआरएल को खोलने से शुरू की | यूआरएल हमे एक वेबसाइट पर ले जाता है, जिसके शीर्षक में प्रधानमंत्री आवास योजना २०१९ लिखा हुआ है | शीर्षक के नीचे तीन वाक्य लिखे है |
इसके नीचे एक फॉर्म दिया गया है जिसमे हम अपने विवरण भर सकते है |
विवरण भरने के बाद वेबसाइट हमे सात अलग अलग पेजेस पर लेकर जाता है |
इस संशोधन के परिणाम को देखकर हम इस बात से सहमत हो सकते है कि साझा किया गया मैसेज व यूआरएल भ्रामक है क्योंकि दावे अनुसार हमे २.५ लाख रुपये फ्री नहीं मिले | यह लिंक भ्रामक रूप से ‘फॉर फन’ ऐप ज्यादा से ज्यादा डाउनलोड हो इसलिए साझा किया गया है |
अधिक छानबीन करने पर हमने पाया कि साझा किये गए यूआरएल के अंत में govt.in आता है | यह बात असामान्य लगती है क्योंकि विश्वसनीय आधिकारिक गवर्नमेंट वेबसाइट के यूआरएल के अंत में gov.in आता है | इस प्रकार हम यह कह सकते हैं कि उपरोक्त वेबसाइट जो भ्रामक रूप से खुद को सरकारी वेबसाइट होने का दावा करती है, लोगों को आकर्षित करने के लिए मात्र एक क्लिक बैट है |
अधिक पुख्ता जानकारी के लिए हम भारत सरकार के ऑनलाइन पोर्टल पर गए | वेबसाइट पर प्रधानमंत्री आवास योजना सर्च करने पर हमे एक लिंक उस योजना की आधिकारिक वेबसाइट पर लेकर जाता है | वेबसाइट से हमे पता चलता है कि यह योजना मिनिस्ट्री फॉर हाउसिंग एंड अर्बन अफेयर्स द्वारा अमल में लायी जाती है |
प्रधानमंत्री आवास योजना के वेबसाइट पर दी हुई जानकारी के अनुसार हमे पता चलता है कि सिर्फ आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग व निम्न आय वर्ग के लोग ही ६.५% की दर से ब्याज अनुदान के लिए पात्र होते है |
मिनिस्ट्री ऑफ़ हाउसिंग एंड अर्बन अफेयर्स.gov.in
वेबसाइट से हमे यह भी पता चलता है कि २०१९ में इस योजना के लिए आवेदन करने की कोई अंतिम तिथि नहीं है। यह योजना २०१५ से २०२२ तक अमल में रहेगी, जिसके दौरान पात्र लोग आवेदन कर सकते है |
इस योजना के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करे|
निष्कर्ष: तथ्यों की जांच के बाद हमने साझा किये गए उपरोक्त मैसेज व उसके साथ दिए गए वेबसाइट के यूआरएल को गलत पाया है |
‘फैक्ट क्रैसेन्डो’ने साझा किए गए संदेश के दावों को गलत पाया है क्योंकि प्रधानमंत्री आवास योजना की आधिकारक वेबसाइट में दी गई जानकारी के अनुसार :
उपरोक्त मैसेज के साथ साझा किया गया यूआरएल गलत है क्योंकि वह हमें यह मानने के लिए भ्रमित करता है की यह एक आधिकारिक सरकारी वेबसाइट है | जब हम वास्तव में वेबसाइट द्वारा दी गई प्रक्रिया से गुजरते हैं, तो हम पाते हैं कि यह आम यूजर को आकर्षित करने के लिए एक भ्रामक लिंक है। उपरोक्त वेबसाइट जो भ्रामक रूप से खुद को सरकारी वेबसाइट होने का दावा करती है, लोगों को आकर्षित करने के लिए मात्र एक क्लिक बैट है |
Title:क्या है प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत साझा हो रहे मैसेज का सच?
Fact Check By: Drabanti GhoshResult: False
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