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2016 के वीडियो को वर्तमान के किसान आंदोलन का बता वायरल किया जा रहा है।

वर्तमान में हो रहे किसान आंदोलनों से जोड़कर कई पुराने वीडियो व तस्वीरों को इंटरनेट पर भ्रामक व गलत दावों के साथ वायरल किया जा रहा है। ऐसे कई वीडियो व तस्वीरों का अनुसंधान फैक्ट क्रेसेंडो ने किया है। इसी क्रम में सोशल मंचों पर वर्तमान किसान आंदोलनों से जोड़ एक वीडियो वायरल किया जा रहा है, इस वीडियो को पूर्व में भी अलग- अलग दावों के साथ साझा किया गया था और अब इसे वर्तमान में हो रहे किसान आंदोलन के सम्बन्ध में वायरल किया जा रहा है। वीडियो में आपको कई पगड़ी पहने हुए सिख लोगों की भीड़ नज़र आएगी। वीडियो में आ रही आवाज़ों को सुनने पर समझ आएगा कि वे खालिस्तान ज़िंदाबाद के नारे लगा रहे है। 

वायरल हो रहे इस वीडियो के शीर्षक में लिखा है, 

कहने को किसान आंदोलन हाथों में हत्यार और खालिसतान के नारे।”

फेसबुक | आर्काइव लिंक

अनुसंधान से पता चलता है कि…

फैक्ट क्रेसेंडो ने जाँच के दौरान पाया कि वायरल हो रहा वीडियो 2016 से है जब अमृतसर में सिखों द्वारा शिवसेना के खिलाफ एक विरोध प्रदर्शन किया गया था। वर्तमान में हो रहे किसान आंदोलन से इसका कोई संबन्ध नहीं है।

जाँच की शुरूवात हमने कीवर्ड सर्च के माध्यम से की तो परिणाम में हमें लोंग लिव पाकिस्तान नामक एक यूट्यूब चैनल पर यही वीडियो प्रसारित किया हुआ मिला। वीडियो के शीर्षक में लिखा है, “खालिस्तान आंदोलन – फगवाड़ा या अमृतसर के मुख्य निहंग सिख और शिव सेना के गुंडे आमने- समाने।” यह 6.56 मिनट का वीडियो है और इसे 13 जून 2017 को प्रसारित किया गया है।

आर्काइव लिंक

इसके पश्चात उपरोक्त जानकारी को ध्यान में रखते हुए हमने यूट्यूब पर अधिक कीवर्ड सर्च किया तो हमें खालसा घटका ग्रुप नामक एक यूट्यूब चैनल पर वायरल हो रहे वीडियो जैसा ही एक सदृश्य वीडियो प्रसारित किया हुआ मिला। उसके शीर्षक में लिखा है, “ब्यास से लाइव (शिवसेना अमृतसर नहीं आई)।”

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इसके पश्चात हमने खालसा घटका ग्रुप यूट्यूब चैनल के अबाउट अनुभाग को खंगाला तो हमें वहाँ दो मोबाइल नंबर मिले। हमने उन नंबरों पर फोन मिलाया तो हमारा संपर्क भूपेंद्र सिंह से हुआ। वे खालसा घटका ग्रुप यूट्यूब चैनल को चलाते है। हमने उनसे यूट्यूब पर प्रसारित किये हुए वीडियो के संबन्ध में पूछताछ की तो उन्होंने हमें बताया कि,

 “हम लोग एक विवाह समारोह में घटका खेलने के लिए लुधियाना जा रहे थे, उसी दौरान शिवसेना वालों ने ऐलान किया था कि वे अमृतसर आ रहे है, तो हमने खालिस्तान के नारे लगाते हुए इस वीडियो को रास्ते में शूट किया व उसके बाद उसे यूट्यूब पर प्रसारित कर दिया था। “

इसके पश्चात जब हमने उनसे इस बात की पुष्टि की कि क्या इस वीडियो का संबन्ध किसान आंदोलन से है तो उन्होंने इनकार करते हुए कहा कि, “इस वीडियो का वर्तमान के किसान आंदोलन से कोई संबन्ध नहीं है।“

तदनंतर हमने गूगल पर अधिक कीवर्ड सर्च किया तो हमें कई समाचार लेख मिले जो अमृतसर में शिवसेना के खिलाफ सिखों द्वारा किये गये विरोध प्रदर्शन के संबन्ध में जानकारी दे रहे थे। आपको बता दें कि शिवसेना ने 2016 में ललकार रैली का ऐलान किया था जो पंजाब में स्थित अमृतसर से सटे ब्यास पुल पर होने वाली थी, परंतु उस रैली को रद्द कर दिया गया था।
समाचार लेख के मुताबिक, 

शिवसेना ने अपनी ललकार रैली को रद्द घोषित कर दिया था फिर भी सिख नेता उन्हें चुनौती देने के लिए, प्रस्तावित जगह, नेशनल हाइवे-1 पर ब्यास पुल पर इकट्ठे हुए थे।

हिंदूस्तान टाइम्स | आर्काइव लिंक

उपरोक्त समाचार लेख में दी गयी जानकारी को ध्यान में रखकर हमने यूट्यूब पर कीवर्ड सर्च किया व इस संबन्ध में हमें एक वीडियो प्रसारित किया हुआ मिला।

आर्काइव लिंक

निष्कर्ष: तथ्यों की जाँच के पश्चात हमने पाया है कि उपरोक्त दावा गलत है। वायरल हो रहा वीडियो 2016 में अमृतसर में सिखों द्वारा शिवसेना के खिलाफ किये गये विरोध प्रदर्शन का है। वर्तमान में हो रहे किसान आंदोलन से इसका कोई संबन्ध नहीं है।

फैक्ट क्रेसेंडो द्वारा किसान आंदोलनों से सम्बंधित अन्य फैक्ट चेक पढ़ने के लिए क्लिक करें :

१. वायरल तस्वीर में दिख रहे सेना के अफसर और ज़ख्मी किसान दो अलग- अलग शख्स है, इन दोनों को एक व्यक्ति बता वायरल किया जा रहा है।

२. 2019 में हुये वर्ल्ड कप के दौरान पाकिस्तान और खालिस्तान के लिए लगे नारों के वीडियो को वर्तमान किसान आंदोलन का बता वायरल किया जा रहा है।

३. निहंग सिखों के एक पुराने वीडियो को वर्तमान में किसान आंदोलन से जोड़ फैलाया जा रहा है|

Title:2016 के वीडियो को वर्तमान के किसान आंदोलन का बता वायरल किया जा रहा है।

Fact Check By: Rashi Jain

Result: False

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