११ अप्रैल २०१९ को आकाश गुप्ता नामक एक फेसबुक यूजर ने एक तस्वीर पोस्ट की थी | पोस्ट के शीर्षक में लिखा गया है कि “सहारनपुर मे मुस्लिम महिलाओं के बुर्के मे वोट डालने जा रहे बीजेपी कार्यकर्ताओं को रंगे हाथो पकड़ा गया” | इस पोस्ट के साथ एक तस्वीर संग्लित है | तस्वीर में हम कुछ लोगों को एक बुर्काधारी आदमी को पकड़कर ले जाते हुए देख सकते है | सहारनपुर, उत्तर प्रदेश में स्थित शहर है | ११ अप्रैल २०१९ को लोकसभा चुनाव के लिए मतदान के पहले चरण में सहारनपुर में मतदान हुआ। तस्वीर के माध्यम से दावा किया जा रहा है कि यह आदमी भाजपा का कार्यकर्ता है वह मुस्लिम महिलाओं द्वारा पहना जाने वाला बुर्का पहनकर वोट देने जा रहा था | लेकिन उसके पहले उसे पकड़ लिया गया | यह तस्वीर काफ़ी चर्चा में है | हमारें द्वारा फैक्ट चेक किया जाने तक इस पोस्ट को लगभग २०००० प्रतिक्रियाएं मिल चुकी थी |
इस पोस्ट को फेसबुक में ढूँढने पर हमें पता चला कि एक ही छवि अलग-अलग विवरण के साथ साझा हो रही है | ११ अप्रैल २०१९ को तन्मय तिवारी नामक एक युवक ने फेसबुक पर इस तस्वीर को साझा करते हुए लिखा है कि “मुजफ्फरनगर मे संजीव बालियान ने सही मुद्दा उठाया है बुर्का वोट जैहाद को बढावा दे रहा है, मतदान केन्द्र के बाहर ही बुर्के वालियो की जांच हो चेहरे का मिलान हो ७२ हूरो की इच्छा रखने वाले ही बुर्के मे हूर बनकर जा रहे है। कई जगह पर ये हूरे बुर्के मे कैद हुई पकडी गई” | इस पोस्ट ने लगभग २२०० प्रतिक्रियाएं प्राप्त की है |
हमें ११ अप्रैल २०१९ को एर ऋषिकांत सिंह नाम के एक फ़ेसबुक पेज पर भी इसी तरह का विवरण लिखा मिला । इस पोस्ट को २६०० बार साझा किया गया है |
देश में आम चुनाव चल रहे है | जिस वजह से इस तरह की पोस्ट काफी वायरल की जा रही है | सोशल मीडिया पर दो अलग-अलग दावों के साथ एक ही छवि वायरल हो रही हो तो यह सवाल उठता है कि किसपर विश्वास किया जाए | इसीलिए हमने इस तस्वीर व दावों की सच्चाई जानने की कोशिश की |
संशोधन से पता चलता है कि..
जाँच की शुरुआत हमने साझा किये गए तस्वीर का स्क्रीनशॉट लेकर गूगल रिवर्स इमेज सर्च करने से की | परिणाम में हमें कई ऐसी वेबसाइट मिली जहाँ यह तस्वीर संदर्भ हेतु इस्तेमाल की गई है | परिणाम में हमने देखा कि ८ मार्च २०१८ को कपिल नामक एक ट्विटर यूजर द्वारा एक ट्वीट किया गया था | ट्विट में इस तस्वीर को साझा करते हुए लिखा गया है कि मंदिर के अंदर गाय का मांस फेंकते पकड़े गए बुर्काधारी आरएसएस कार्यकर्ता वायरल | इसके साथ एक वेबसाइट का लिंक भी दिया गया है |
वेबसाइट की खबर पर पहुँचते है | खबर को ४ अक्तूबर २०१५ को प्रकाशित किया गया था | खबर के हैडलाइन में लिखा गया है कि बुर्का पहने आरएसएस के कार्यकर्ता मंदिर में गोमांस फेंकते हुए पकड़ा गया | खबर में इस तस्वीर का इस्तेमाल किया गया है | खबर में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ शहर के मंदिरों में बुर्का पहने आरएसएस के कार्यकर्ता गोमांस फेकते हुए पकड़ा गया | खबर में साफ़ साफ़ यह भी लिखा गया है कि हालांकि दावों की प्रामाणिकता अभी तक ज्ञात नहीं है, यह दोनों ओर से सांप्रदायिक तनावों को उकसाने का एक प्रयास हो सकता है |
इसके पश्चात २ अक्तूबर २०१५ को इंटरनेशनल बिज़नस टाइम्स द्वारा प्रकाशित खबर मिली | उन्होंने लिखा कि ये वायरल तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा की गईं व काफ़ी चर्चा में है | खबर में उसी घटना का वर्णन किया गया है जहां एक आरएसएस कार्यकर्ता बुर्का पहने हुए हिंदू मंदिरों में गोमांस फेंकते पकड़ा गया था | व यह लिखा गया है कि घटना उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ में हुई है | उन्होंने यह भी उल्लेख किया है कि दावे की सत्यता की कोई पुष्टि नहीं की गई है |
१ अक्तूबर २०१५ को स्कूपव्हूप के वेबसाइट द्वारा प्रकाशित खबर में इसी घटना का वर्णन किया गया है | तस्वीर का उल्लेख करते हुए लिखा गया है कि यह आजमगढ़ में घटी घटना है | इस खबर में भी यह कहा गया है कि दावों की प्रामाणिकता अभी तक ज्ञात नहीं है, लेकिन यह स्पष्ट रूप से दोनों पक्षों द्वारा सांप्रदायिक तनाव को बढ़ावा देने का प्रयास है |
हमें कई वेबसाइट भी मिले जहाँ इसी कथन के साथ तस्वीरें भी देखी जा सकती है परन्तु किसीने भी इस दावे की पुष्टि नहीं की है |
ग्लोबल विलेज स्पेस | इंक खबर | दिस्कोवर द ट्रुथ |
आर्काइव लिंक | आर्काइव लिंक | आर्काइव लिंक |
खबर में प्रकाशित की गयी तस्वीर जो २०१५ को सोशल मीडिया पर वायरल हुए तस्वीर के साथ तुलना की जाए तो हमें काफी समानता नज़र आता है | दोनों तस्वीरों को अलग अलग कथन के माध्यम से २०१५ व २०१९ को साझा किया गया है | इस तस्वीर के साथ लोकसभा चुनाव २०१९ का कोई सम्बन्ध नहीं है | नीचे आप इस तुलना को देख सकते है |
इन तथ्यों के द्वारा यह स्पष्ट होता है की यह तस्वीर इससे पहले २०१५ में भी वायरल की गई थी | हमने पाया कि तस्वीर पहली बार २०१५ में सार्वजनिक मंच पर दिखाई दी थी | हमें इस घटना की एक भी निर्णायक खबर नहीं मिली। जो दावा उस समय किया गया था कि यह व्यक्ति आरएसएस का कार्यकर्ता है, सत्यापित नहीं किया जा सका। लेकिन चूँकि यह फोटो २०१५ से सोशल मीडिया पर साझा हो रही हैं, तो वह लोकसभा चुनाव २०१९ से संबंधित घटना की कतई नहीं हो सकती | हालाँकि हम स्वतंत्र रूप से उस व्यक्ति की पहचान या वह आरएसएस का सदस्य था या नहीं, इस बात को सत्यापित नहीं कर सकते | परंतु यह निश्चित रूप से कह सकते है की लोकसभा चुनाव २०१९ के दौरान घटित कथित घटना के साथ इस तस्वीर का कोई लेना देना नहीं है |
निष्कर्ष : संशोधन के पश्चात हमने उपरोक्त पोस्ट को गलत पाया | उपरोक्त तस्वीर २०१५ से अलग अलग कथन द्वारा वायरल की गई है व इस तस्वीर का लोकसभा चुनाव २०१९ के साथ कोई संबंध नहीं है |
Title:क्या बुर्काधारी भाजपा कार्यकर्ता वोट करते हुए पकड़ा गया?
Fact Check By: Drabanti GhoshResult: False
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