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यह फोटो श्रीलंका बमबारी पीड़ितों के कपड़ों को नहीं दर्शाती है |

१८ जून २०१९ को This is Christian Assyria नामक एक फेसबुक यूजर ने एक तस्वीर पोस्ट की,जिसके शीर्षक में लिखा गया है कि कुर्सियों पर १४ अप्रैल २०१९ को श्रीलंका में चर्च में काटुवापिटिया में बम विस्फोट के पीड़ितों के कपड़े | फेसबुक पर कई यूजर द्वारा साझा की गई यह तस्वीर को इस दावे के साथ प्रसारित किया जा रहा है कि यह श्रीलंका में बम विस्फोट पीड़ितों के कपड़े दर्शाती है, जो ईस्टर के दिन द्वीप राष्ट्र पर हुए हमले के दिन मारे गए थे | कहा जाता है कि कम से कम २५३ लोग मारे गए थे | इस तस्वीर को सोशल मीडिया पर काफ़ी तेजी से साझा किया जा रहा है | फैक्ट चेक किये जाने तक यह पोस्ट १२०० प्रतिक्रियाएं प्राप्त कर चूका था |

फेसबुक पोस्ट | आर्काइव लिंक 

क्या वास्तव में यह श्री लंका के चर्च में हुए बम विस्फोट के पीड़ितों के कपडे है? हमने इस तस्वीर की सच्चाई जानने की कोशिश की |

संशोधन से पता चलता है कि…
जांच की शुरुआत हमने इस तस्वीर का स्क्रीनशॉट लेकर गूगल रिवर्स इमेज सर्च किया | परिणाम से हम फुबिज़ की वेबसाइट पर पहुचे | इस वेबसाइट में दी गई जानकारी के अनुसार हमें पता चला कि यह तस्वीर एक चर्च में १५० अदृश्य लोगों को दर्शाते हुए एक कलाकृति है | तस्वीर का उल्लेख करते हुए लिखा गया है कि क्यूबा के कला संघ्राहक लॉस कारपेंटरोस ने एक चर्च में १५० लोगों के नाम से एक प्रभावशाली स्थापना डिजाइन की है | स्थापना १५० कुर्सियों को दिखाती है, जिस पर अदृश्य लोग बैठे हैं, तैरते कपड़ों में | धार्मिक और समाज पर एक मजेदार प्रतिबिंब, एक कलात्मक दृष्टिकोण के माध्यम से संपर्क किया गया है |

आर्काइव लिंक 

गूगल सर्च पर लॉस कारपेंटरोस की तलाश करने पर उसके आधिकारिक वेबसाइट पर पहुचे, जहां हमें पता चला कि उपरोक्त कलाकृति २०१२ में स्विट्ज़रलैंड के बेसेल में एक कला प्रदर्शनी से है |

आर्काइव लिंक 

हमें ३० जून २०१२ को द हिन्दू द्वारा प्रकाशित खबर मिली  उन्होंने भी इस घटना को कवर किया था | कलाकृति द्वारा एक चर्च में १५० अदृश्य लोगों को दर्शाया गया है |

आर्काइव लिंक 

इसके पश्चात हमने यूट्यूब पर इस कलाकृति के  विडियो ढूँढने का प्रयास किया, परिणाम से १८ जून २०१२ को प्रकाशित कला प्रदर्शन का विडियो मिला | विवरण में लिखा गया है कि “Art Parcours Art Basel” की एक परियोजना है जो Art Basel के आगंतुकों को Art के माध्यम से शहर की खोज करने के लिए आमंत्रित करती है” |

निष्कर्ष: तथ्यों के जांच के पश्चात हमने उपरोक्त पोस्ट को गलत पाया है | यह तस्वीर श्रीलंका में बम बारी पीड़ितों के कपड़े नहीं दिखाती है | यह वास्तव में एक कला स्थापना है जिसे वर्ष २०१२ के जून में स्विट्जरलैंड के बेसल में प्रदर्शित किया गया था |

Title:यह फोटो श्रीलंका बमबारी पीड़ितों के कपड़ों को नहीं दर्शाती है |

Fact Check By: Aavya Ray

Result: False

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