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वर्तमान में टीवी न्यूज़ मीडिया द्वारा सनसनीखेज और युद्धोन्माद से जुड़ी खबरों की सच्चाई को तथ्यहीन और तोड़-मरोड़ कर पेश किया जा रहा है…

अगर आप भारत और पाकिस्तान के टीवी न्यूज़ चैनल पर दिखाए जा रहे समाचारों को देख  रहे हैं, तो आपके लिए यह सोचना गलत नहीं होगा कि असली युद्ध सिर्फ़ सीमा पर नहीं, बल्कि टीवी स्टूडियो के भीतर  भी लड़ा जा रहा है। एक जान ले रहा है, तो दूसरा सच को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रहा है। ख़बरें ब्रेक करने की होड़ में,

टीआरपी बढ़ाने और भावनाओं को भड़काने के लिए, कई टीवी न्यूज़ चैनलों ने समझदारी के बजाय सनसनीखेजता को चुना है। हैरानी की बात है कि यह सब तब हो रहा है जब भारत सरकार और सेना लगातार फर्जी खबरें चलाने से बचने और तमाम सोशल मंचो पर कुछ भी शेयर करने से बचने की सलाह दे रहा है। बकायदा मीडिया को इसकी एडवाइजरी जारी की जा रही है, जरूरी दिशा- निर्देश दिए जा रहे हैं। लेकिन इसके बावजूद देश की मीडिया का एक तबका ऐसा कर रहा है। उनका ध्यान तथ्यों से ज़्यादा नाटक पर दर्शाने पर लगा हुआ है, अक्सर लोगों को गलत जानकारी देने की कीमत पर, ऐसी कई घटनाएँ हुई हैं जहाँ न्यूज़ चैनलों ने भारत और पाकिस्तान के बीच झड़पों की रिपोर्टिंग करते समय असत्यापित, पुराने और असंबंधित वीडियो का इस्तेमाल किया है। अजीब बात यह है कि एक लोकप्रिय सैन्य वीडियो गेम के फुटेज को दोनों देशों की सीमा दोनों देशों की ओर से शेयर किया गया। लेकिन इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ा। क्यों? क्योंकि वो “अच्छे टीवी” के लिए बने थे। स्टूडियो के भीतर समाचारों के बैकग्रॉउंड में दिखाए जाने क्रोमा सेट मानों युद्ध ही दिखा रहे हैं। सेवानिवृत्त जनरलों, बड़बोले पैनलिस्ट और तथाकथित “रक्षा विशेषज्ञों” को आग में घी डालने के लिए बुलाया जाता है, टॉक शो चिल्लाने की होड़ में बदल जाते हैं। माहौल समाचार प्रसारण से ज़्यादा एक एक्शन फ़िल्म जैसा होता है।

कई भारतीय मीडिया आउटलेट और सोशल मीडिया अकाउंट्स ने सनसनीखेज, असत्यापित दावे प्रसारित किए। उदाहरण के तौर पर, यह दावा किया गया है कि भारतीय सेना ने कराची बंदरगाह को पूरी तरह से नष्ट कर दिया, भारतीय सेना ने पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद पर कब्जा कर लिया। कुछ रिपोर्ट्स में आगे बढ़कर यहां तक झूठा आरोप लगाया गया कि पाकिस्तानी सेना ने पूरी तरह से आत्मसमर्पण कर दिया है, पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर को गिरफ्तार कर लिया गया है और आतंकवादी समूहों ने क्वेटा पर कब्ज़ा कर लिया है।

PHOTO CAPTIONकई प्रतिष्ठित समाचार चैनलों की रिपोर्ट के स्क्रीनशॉट।

पाकिस्तानी मीडिया और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसरों ने भारत के “ऑपरेशन सिंदूर” के बाद फर्जी वीडियो और झूठे दावे फैलाने में भी काफी भूमिका निभाई। ऑपरेशन के कुछ समय बाद, पाकिस्तान सरकार से जुड़े कुछ अकाउंट ने एक तस्वीर शेयर की, जिसमें दावा किया गया कि पाकिस्तान सेना ने बहावलपुर के पास एक भारतीय राफेल जेट को मार गिराया है। लेकिन यह तस्वीर असल में 2021 में हुए मिग-21 क्रैश की थी। इसका मौजूदा स्थिति से कोई लेना-देना नहीं था। 

वहीं एक अन्य मामले में, दावा किया गया कि पाकिस्तानी वायुसेना ने श्रीनगर एयरबेस को निशाना बनाया था। वह वीडियो भी असंबंधित पाया गया। यह वास्तव में 2024 की शुरुआत में खैबर पख्तूनख्वा में हुई सांप्रदायिक हिंसा का फुटेज था। एक और उदाहरण पाकिस्तान के अपने मंत्री अताउल्लाह तरार का था। जिनकी तरफ से दावा किया गया कि भारतीय सेना ने एक सफेद झंडा फहराया और आत्मसमर्पण कर दिया। यह भी झूठ था और इसका कोई तथ्यात्मक आधार नहीं था। ये उदाहरण दिखाते हैं कि कैसे मीडिया और अधिकारी दोनों ही असत्यापित या फर्जी जानकारी फैला सकते हैं, जिससे दोनों पक्षों में भ्रम और तनाव बढ़ता है।

टीवी चैनलों द्वारा दिखाए जाने वाले गैर-जिम्मेदार कवरेज के प्रभाव

इस तरह की कवरेज सिर्फ़ गैर-ज़िम्मेदाराना ही नहीं, बल्कि यह ख़तरनाक भी है। इससे आम जनमानस के बीच डर, गुस्सा और भ्रम की स्थिति पैदा होती है,जो तथ्यों और जनमत के बीच की खाई को चौड़ा करता है। सनसनीखेज खबरें कुछ दिनों के लिए चैनल की टीआरपी में इजाफ़ा कर सकती है, परंतु  लंबे समय में यह पत्रकारिता की विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचाती हैं। मिशिगन विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर जॉयजीत पाल, जो गलत सूचनाओं का गहन अध्ययन करते हैं, को इस लेख में उद्धृत किया गया है। Washington Post उन्होंने कहा, अल्पकालिक प्रभाव यह है कि यदि सोशल मंचो पर  चर्चा नियंत्रण से बाहर हो जाती है, तो सरकार को कुछ ऐसे काम करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा, जो वह सामान्य शासनकौशल में नहीं करती, क्योंकि अब खूनखराबा तो होगा ही, और यह अतिवादी तत्वों के लिए लाभप्रद है उन्हें अवसर प्रदान करती है।

यहां तक ​​कि सरकार ने भी कवरेज में सतर्कता, संवेदनशीलता और जिम्मेदारी की आवश्यकता पर जोर दिया है, सभी को सनसनीखेजता के बजाय राष्ट्रीय सुरक्षा को प्राथमिकता देने पर ज़ोर दिया है।  मीडिया संगठनों को अधिकृत स्रोतों से केवल सत्यापित जानकारी पर भरोसा करने के लिए कहा गया है। अनुपालन न करने पर संबंधित कानूनों के तहत कानूनी कार्रवाई करने की प्रतिबद्धिता जताई है। अधिकारियों ने जनता से आग्रह किया है कि वे किसी भी सूचना या ख़बरों को साझा करने से पहले तथ्यों की की पुष्टि करें और असत्यापित दावों को बढ़ावा देने से बचें।

सूचना युद्ध

दोनों पक्षों के समाचार आउटलेट और सोशल मीडिया अकाउंट्स “सूचना युद्ध” में उलझे हुए हैं। सत्यापित तथ्यों पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय, वे कहानी के अपने संस्करण को आगे बढ़ाने पर बेतहाशा जोर दे रहे हैं। लक्ष्य केवल कथा को नियंत्रित करना है। यह अक्सर सटीकता की कीमत पर आता है।

Jaipur Dialogues, 454,000 फॉलोअर्स वाला एक लोकप्रिय ट्विटर अकाउंट, अपने फॉलोअर्स को दुश्मन के खिलाफ खबरें फैलाने के लिए खुले तौर पर प्रोत्साहित करता है, भले ही वह झूठी व भ्रामक हो और भारत के लिए हानिकारक खबरों को दबाता है, भले ही वह सच हो।

भावनाओं से ज़्यादा तथ्यों की तलाश करें

किसी भी संघर्ष के दौरान, भावनाएँ बहुत ज़्यादा होती हैं। ऐसी किसी भी बात पर विश्वास करना आसान है जो उन भावनाओं से मेल खाती हैं। लेकिन यही वह समय है जब हमें ठराव के साथ स्पष्ट रूप से सोचने की ज़रूरत होती है। क्योंकि सिर्फ़ इसलिए कुछ भी साझा करना जो अच्छा लगता हो आपके पक्ष का समर्थन करता है, लेकिन वह फ़ायदे से ज़्यादा नुकसान कर सकता है।

आधिकारिक तौर पर तथ्यों की पुष्टि का इंतज़ार करना बेहद ज़रूरी है। आपके पास आने वाले हर संदेश, वीडियो या ट्वीट पर भरोसा न करें।

यहाँ कुछ आधिकारिक स्रोत दिए गए हैं जिनका आप संदर्भ ले सकते हैं।

Ministry of Defence

PIB Fact Check

Indian Army

अगर आपके पास भी कोई ऐसी खबर, सूचना, वीडियो या छवि साझा होती है जो लगे की नकली या संदिग्ध है, तो कृपया उन्हें हमारे सत्यापित फेसबुक पेज फैक्ट क्रेसेंडो पर भेजें। साथ ही हमारे व्हाट्सएप  WhatsApp Tipline (9049053770) पर भी भेजें। हमारे तथ्य-जांचकर्ता उन्हें सत्यापित करेंगे और आपको उसके पीछे की वास्तविक सच्चाई बताएंगे। ध्यान दीजिए हम आपको सच्चाई को शोर से अलग करने में मदद करते हैं।

Title:वर्तमान में टीवी न्यूज़ मीडिया द्वारा सनसनीखेज और युद्धोन्माद से जुड़ी खबरों की सच्चाई को तथ्यहीन और तोड़-मरोड़ कर पेश किया जा रहा है…

Fact Check By: Priyanka Sinha

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