कोरोनावायरस की महामारी को कई बार सोशल मीडिया पर धर्म के साथ जोड़ा गया है | सबसे पहले हम यह स्पष्ट करें कि कोरोनावायरस का धर्म से कोई लेना-देना नहीं है | नोवेल कोरोनावायरस किसी भी धर्म से संबंधित लोगों को प्रभावित कर सकता है |
सोशल मीडिया पर एक वायरल वीडियो के माध्यम से दावा किया जा रहा है कि कोरोनावायरस के प्रकोप के बाद यूरोप में हजारों मुस्लिम और नॉन मुस्लिम लोग सड़क पर आकर ‘कलमा’ (इस्लामिक पाठ) पढ़ रहे है और “अल्लाहु अकबर” के नारे लगा रहे है | वीडियो में हम कई लोगों को “अल्लाह हु अकबर” के नारे लगते हुए देख सकते है |
पोस्ट के शीर्षक में लिखा गया है कि “#कोरोनावायरस के बाद यूरोप में मुस्लिम और नौन मुस्लिम लोग सड़कों पर निकल कर कलमा पढ़ने लगे और #अल्लाहु अकबर का नारा लगाने लगे !”
यह वीडियो फेसबुक पर काफी तेजी से फैलाया जा रहा है |
अनुसंधान से पता चलता है कि…
जाँच की शुरवात हमने इस वीडियो को इन्विड टूल के मदद से यांडेक्स रिवर्स इमेज सर्च करने से की, जिसके परिणाम में हमें यह वीडियो यूट्यूब पर १३ जनुअरी २०२० को अपलोड किया गया था | इस वीडियो के शीर्षक में लिखा गया है कि “कल जर्मन शहर हैम्बर्ग में |”
इसके बाद हमने गूगल पर कीवर्ड्स के माध्यम से यह ढूँढा कि यूरोप में कोरोनावायरस के संक्रमित पेशेंट की पहली रिपोर्ट कब मिली थी | परिणाम से हमें पता चला कि यूरोप में कोरोनावायरस से संक्रमित सबसे पहले मरीजों का खबर २४ जनवरी २०२० को प्रकाशित की गई थी |
खबर के मुताबिक शुक्रवार २४ जनवरी २०२० को फ्रांस ने वुहान कोरोनावायरस के अपने पहले तीन मामलों की पुष्टि की, दो मरीजों को पेरिस में और दूसरे को दक्षिण-पश्चिमी शहर बोर्डो में अस्पताल में भर्ती कराया गया |
इसके पश्चात हमें यह पता चला कि जर्मनी में कोरोनावायरस के संक्रमित पहले केस की रिपोर्ट २८ जनवरी २०२० को प्रकाशित की गई थी |
हमने यह ढूँढने की कोशिश की कि क्या उपरोक्त विरोध प्रदर्शन COVID19 मामले से संबंधित है, हमने पाया कि यह घटना यूरोप या जर्मनी में कोरोनावायरस के संक्रमण से पहले की है | परिणाम में हमें गेटी इमेजेज से कुछ संबंधित तस्वीरें मिली जिसके शीर्षक में लिखा गया है कि यह प्रदर्शन ११ जनवरी २०२० हैम्बर्ग से है जब लोग चीन में उइगर मुस्लिम अल्पसंख्यक के उत्पीड़न के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे |
नीचे आप वीडियो में दिखाए गये दृश्य और गेटी इमेजेज पर उपलब्ध तस्वीरों की लोकेशन की तुलना देख सकते है जिससे हम स्पष्ट हो सकते है कि दोनों प्रदर्शन हैम्बर्ग की ही है |
इसके आलावा हमें ११ जनवरी २०२० को फेसबुक पर इसी प्रदर्शन का एक लाइव वीडियो प्राप्त हुआ जिसके शीर्षक में “Demonstration Hamburg” लिखा गया है | इस वीडियो में भी हम लोगो के हाथों में “स्टॉप जेनोसाइड” का पोस्टर व बैनर देख सकते है |
१२ जनवरी २०२० को DOAM के ट्विटर अकाउंट द्वारा किये गये ट्वीट में हमें वायरल वीडियो का एक दूसरा एंगल मिला | इस वीडियो को ट्वीट करते हुए DOAM ने लिखा है कि “कल #Hamburg, #Germany में #Uyghur मुस्लिम लोगो के लिए एकजुटता के साथ हजारों लोगों ने प्रदर्शन में भाग लिया |”
हालांकि प्रदर्शन का स्थान तस्वीरों से समान दिखता है, लेकिन यह निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता है कि वीडियो उसी प्रदर्शन से संबंधित है | लेकिन हम स्पष्ट रूप से यह केह सकते है कि यह वीडियो और घटना यूरोप और जर्मनी में कॉरोनोवायरस प्रकोप से पहले की हैं |
निष्कर्ष: तथ्यों के जाँच के पश्चात हमने उपरोक्त पोस्ट को गलत पाया है | यह वीडियो यूरोप में कोरोनावायरस के प्रकोप के पहले की है | वीडियो १३ जनवरी २०२० से इंटरनेट पर पाया गया था, जबकि यूरोप में पहला COVID-19 मामला २४ जनवरी २०२० को रिपोर्ट किया गया था। वीडियो जर्मनी में लिया गया था, जहां पहला COVID-19 मामला २८ जनवरी २०२० को रिपोर्ट किया गया था |
Title:वीडियो असंबंधित है और इसका यूरोप में कोरोनावायरस प्रकोप से कोई सम्बन्ध |
Fact Check By: Aavya RayResult: False
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