False

पुरानी और असंबंधित तस्वीरें कोरोनोवायरस लॉकडाउन के दौरान प्रवासी श्रमिकों को पीटने का बता फैलायी जा रही है |

सोशल मीडिया यूजर्स ने कोरोनोवायरस संक्रमण से निपटने के लिए घोषित राष्ट्रव्यापी २१ दिन के लॉकडाउन के चलते हजारों प्रवासी मजदूरों को घर जाने के लिए परिवहन के साधनों के बिना सड़कों पर पदयात्रा कर चल के जाने की पृष्ठभूमि पर एक पोस्ट साझा किया है, पोस्ट में दो तस्वीरें साझा की गयीं है जिनके माध्यम से दावा किया जा रहा है कि हाइवे पर चलते हुए मजदूरों को लॉकडाउन का पालन ना करने के कारण प्रसाशन द्वारा बहुत बेरहमी से पीटा गया | तस्वीर में हम घायल मजदूरों को देख सकते है |

पोस्ट के शीर्षक में लिखा गया है कि “जितना आज दिहाड़ी,रेहड़ी,हाइवे पर चलते लोगो को मारकर सख्ती करी जा रही है,अगर अंतराष्ट्रीय हवाई अड्डों पर कर ली जाती तो भारत सुरक्षित रहता  |”

फेसबुक पोस्ट | आर्काइव लिंक 

अनुसंधान से पता चलता है कि…

जाँच की शुरुवात हमने दोनों तस्वीरों का स्क्रीनशॉट लेकर गूगल रिवर्स इमेज सर्च करने से किया, जिसके परिणाम से हमें पता चला की यह तस्वीरें कोरोनावायरस से संबंध नही रखती हैं और ना ही यह लॉक डाउन के बीच हाइवे पर चलते हुए मजदुर है |

पहली तस्वीर- 

यह तस्वीर २३ मार्च २०१८ को एक ट्विटर यूजर ने अपलोड की थी | ट्वीट में उन्होंने लिखा है की यह तस्वीर बांग्लादेश के ढाका में शांतिनगर नामक इलाके से है जहां एक पुलिस वालें ने एक गरीब रिक्शा चालक को बेरहमी से पीटा है |

इससे यह स्पष्ट है कि यह घटना वर्तमान से संबंधित नही है क्योंकि यह तस्वीर इन्टरनेट पर २०१८ से उपलब्ध है |

आर्काइव लिंक

दूसरी तस्वीर- 

यह तस्वीर १७ जुलाई २०१९ को फेसबुक पर अपलोड की गई थी | इस पोस्ट के माध्यम से लिखा गया है कि इस लड़के को किसी लड़की के साथ संबंध रखने के कारण लड़की के पिता ने पीटा | क्योंकि यह तस्वीर लगभग ९ महीने पुरानी है इससे यह स्पष्ट है कि इस तस्वीर का वर्तमान के स्थिति के साथ कोई संबंध नही है |

फेसबुक पोस्ट

इन्ही तस्वीरों को पश्चिम बंगाल की पुलिस ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से गलत कहते हुए स्पष्टीकरण दिया है | ट्वीट में लिखा गया है कि “लॉक डाउन के चलते कुछ तस्वीरें और वीडियो पश्चिम बंगाल प्रशासन के खिलाफ सोशल मीडिया पर जानबूझकर प्रसारित किए जा रहे हैं |”

आर्काइव लिंक

निष्कर्ष: तथ्यों की जाँच के पश्चात हमने उपरोक्त पोस्ट को गलत पाया है | सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीरें वर्तमान में कोरोनावायरस की स्थिति से संबंधित नही है | यह तस्वीरें पुरानी है और यह हाइवे पर चलते हुए मजदूरों को लॉकडाउन का पालन ना करने के कारण से पीटने की नहीं है |

Title:पुरानी और असंबंधित तस्वीरें कोरोनोवायरस लॉकडाउन के दौरान प्रवासी श्रमिकों को पीटने का बता फैलायी जा रही है |

Fact Check By: Aavya Ray

Result: False

Recent Posts

इंडोनेशिया में थर्मोकोल के बॉक्स में बैठकर नदी पार करते बच्चों का वीडियो भारत का बताकर वायरल

थर्मोकोल के बॉक्स में बैठकर नदी पार करते यह बच्चें मध्य प्रदेश के नहीं है…

17 hours ago

अरुण गोविल ने पीएम मोदी की नहीं की आलोचना  ,  अधूरा वीडियो भ्रामक दावे के साथ वायरल….

सोशल मीडिया पर मेरठ से भाजपा सांसद अरुण गोविल का एक वीडियो वायरल है। दावा…

18 hours ago

सच नहीं है, ऑपरेशन सिंदूर में सात विमानों के नुकसान कबूलते CDS अनिल चौहान का वायरल वीडियो…

CDS अनिल चौहान का ऑपरेशन सिंदूर से जोड़ कर डीप फेक वीडियो किया जा रहा…

4 days ago

बिहार के सुपौल में निर्माणाधीन पुल गिरने का पुराना वीडियो हालिया बताकर वायरल…

सोशल मीडिया पर एक पुल गिरने का वीडियो जमकर वायरल हो रहा है। इस वीडियो…

5 days ago

पाकिस्तान के मुज़फ़्फ़रगढ़ में हुई सामूहिक हत्याकांड का पुराना वीडियो उत्तर प्रदेश के अमरोहा के दावे से वायरल…

खून से लथपथ शवों दर्शाता वायरल वीडियो पाकिस्तान का है, उत्तर प्रदेश का नहीं। पूरी…

5 days ago

महाराष्ट्र में नाबालिग पर हुआ चाकू हमला ‘लव जिहाद’ का प्रकरण नहीं; जानिए सच

दिन दहाड़े नाबालिग स्कूली छात्रा पर चाकू से हमला करने वाले एक सिरफिरे आशिक का…

6 days ago