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तस्वीर मार्च 2011 की लखनऊ से है, जामिया और दिल्ली पुलिस का इस घटना से कोई सम्बन्ध नहीं है |

देशभर में छात्रों के आंदोलनों के चलते सोशल मीडिया पर कई तरह की तस्वीरें व वीडियो पोस्ट किये जा रहे हैं जिन्मे से कई दावे गलत, पुराने, असंबंधित व भ्रामक हैं, ऐसी ही एक तस्वीर को साझा करते हुए दावा किया जा रहा है कि तस्वीर में दिल्ली पुलिस के अधिकारी ने जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय की एक छात्र प्रदर्शनकारी के सिर पर लात मारी | फोटो में एक पुलिस अधिकारी को जमीन पर पड़े एक व्यक्ति के सिर को अपने पैर से दबाते हुये दिखाया गया है| 

पोस्ट के शीर्षक में लिखा गया है कि “दिल्ली पुलिस, क्योंकि ये छात्र मुस्लिम प्रोफेसर को हटाने के लिए आंदोलन करने वाले राष्ट्रवादी नहीं हैं | ये जामिया के छात्रा हैं |”

कैप्शन में “मुस्लिम प्रोफेसर हटाओ” संदर्भ का तात्पर्य वाराणसी के बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में नवंबर २०१९ के विरोध प्रदर्शन से है, जहाँ संस्कृत भाषा को पढ़ाने के लिए एक मुस्लिम प्रोफेसर की नियुक्ति के खिलाफ प्रदर्शन हुये थे जिसके चलते प्रोफेसर ने इस्तीफा दे दिया था |

आर्काइव लिंक 

फेसबुक पोस्ट 

अनुसंधान से पता चलता है कि..

जाँच की शुरुवात हमने इस तस्वीर का स्क्रीनग्रैब लेकर गूगल रिवर्स इमेज सर्च से की, जिसके परिणाम में हमें २८ दिसंबर २०१५ को Catch news द्वारा प्रकाशित एक खबर मिली | इस तस्वीर के शीर्षक में लिखा गया है कि “आनंद भदौरिया पर तत्कालीन लखनऊ डी.आई.जी, डी.के ठाकुर द्वारा 2011 में हमला किया गया |” रिपोर्ट के अनुसार तस्वीर 2011 में लखनऊ के एक विरोध प्रदर्शन के दौरान ली गई थी, इस प्रदर्शन के दौरान छात्र नेता आनंद भदौरिया पुलिस अधिकारियों से भिड़ गए थे तब लखनऊ के तत्कालीन डी.आई.जी, डीके ठाकुर, ने आनंद को जमीन पर धकेल दिया और अपने जूते से आनंद का चेहरा कुचलने की कोशिश की थी |

आर्काइव लिंक 

फैक्ट क्रेस्सन्डो  ने इन्विड मेटाडेटा का उपयोग करके तस्वीर के मेटाडेटा का विश्लेषण किया और पाया की यह तस्वीर ९ मार्च, २०११ को ली गई है |

इस तस्वीर के संदर्भ में अधिक खबरें ढूँढने पर हमें २०१२ को इंडियन एक्सप्रेस आर्काइव द्वारा प्रकाशित खबर मिली, जिसके अनुसार “विचाराधीन घटना ९ मार्च, २०११ को घटित हुई, जिसके बाद एक स्थानीय समाचार पत्र ने तस्वीरों के साथ एक खबर प्रकाशित की थी जिसमें कहा गया था कि लोहिया वाहिनी के अध्यक्ष आनंद सिंह भदौरिया – समाजवादी पार्टी के एक फ्रंटल संगठन – को लखनऊ के तत्कालीन डी.आई.जी-डी.के ठाकुर ने बालों द्वारा खींचा और बाद में सड़क पर गिराते हुए अपने जुते से उनके सिर पर पैर रखा |”

आर्काइव लिंक

तस्वीर के आगे के पड़ताल करने पर तस्वीर के ऊपरी बाएं कोने में “मेफेयर और क्रोससिंग” लिखा हुआ एक सड़क का पता चला, जिसे नीचे स्क्रीनशॉट में देखा जा सकता है | 

इसके पश्चात हमने गूगल मैप्स पर इन दोनों जगह को ढूँढा, जिससे हमें लखनऊ में मेफेयर बिल्डिंग के पास वायरल तस्वीर से मिलती जुलती ईमारत दिखी | इस ईमारत के ऊपर यूनिवर्सल बुक स्टोर लिखा हुआ है | 

गूगल मैप्स के अनुसार मेफेयर बिल्डिंग और हजरतगंज क्रॉसिंग दोनों लखनऊ में स्थित हैं | यूनिवर्सल बुकस्टोर की तस्वीरें और स्ट्रीट व्यू ढूँढने पर हमें उनका ट्विटर अकाउंट मिला, जिसके प्रोफाइल पिक्चर में हमें वायरल तस्वीर की सदृश्य बिल्डिंग की तस्वीर मिली | नीचे आप दोनों तस्वीरों की तुलना देख सकते है | इसे हमें तस्वीर का लोकेशन का पता चलता है कि यह वाकई में लखनऊ से है | 

आर्काइव लिंक 

निष्कर्ष: तथ्यों के जाँच के पश्चात् हमने उपरोक्त पोस्ट को गलत पाया है | यह तस्वीर जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय से नही है बल्कि २०११ लखनऊ प्रदर्शन की है |

Title:तस्वीर मार्च 2011 की लखनऊ से है, जामिया और दिल्ली पुलिस का इस घटना से कोई सम्बन्ध नहीं है |

Fact Check By: Aavya Ray

Result: False

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