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यह तस्वीर सीताराम येचुरी द्वारा 1975 में माफीनामा पढने की नहीं है । जानिये सच

कुछ महिनों से जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय (JNU) के छात्र सुर्खियाँ बटोर रहे है । कभी JNU के छात्रों पर हमला किया जा रहा है और कभी उनके नाम पर अफ़वाह फैलाई जा रही है । JNU से संबंधित ऐसी ही एक तस्वीर वाइरल हो रही है, जिसमें इंदिरा गाँधी कुछ लोगों के साथ खड़ी दिख रही है । इस तस्वीर के साथ दावा यह किया जा रहा है कि, 1975 के आपातकाल (इमरजेंसी) के दौरान इंदिरा गाँधी ने JNU में दिल्ली पुलिस के साथ जाकर तत्कालीन छात्र संघ अध्यक्ष सीताराम येचुरी को पुलिस द्वारा पिटवाया और आपातकाल का विरोध करने के लिए उनसे माफीनामा पढवाया था । 

आइये जानते है इस तस्वीर की सच्चाई ।

सोशल मीडिया पर प्रचलित कथन:

FacebookPost 

अनुसंधान से पता चलता है कि…

तस्वीर को गूगल रिवर्स इमेज सर्च कर ने पर हमें इंडिया रेसिस्ट्सहिन्दुस्तान टाइम्स की ख़बरें मिली। जिसके अनुसार इमरजेंसी के बाद 1977 में छात्रों ने इंदिरा गाँधी से जेएनयू के चांसलर पद से इस्तीफ़ा देने की मांग की थी । तल्कालिन JNU छात्र संघ अध्यक्ष सीताराम येचुरी ने 5 सितम्बर 1977 के दिन इस्तीफ़े की मांग वाला ज्ञापन इंदिरा गांधी के सम्मुख ही पढ़ा था । यह तस्वीर उसी वक्त ली गयी थी ।

हिन्दुस्तान टाइम्स आर्काइवइंडिया रेसिस्ट्स आर्काइवकश्मीर टाइम्स 

क्या हुआ था उस दिन ?

कांग्रेस पार्टी के 1977 के चुनाव हार ने के बावजूद भी इंदिरा गांधी जेएनयु की चांसलर थी । जेएनयु के छात्रों ने पहले ही तत्कालीन कुलगुरु डॉ. बी. डी. नागचौधरी को इस्तीफ़ा देने पर मजबूर कर दिया था । सीताराम येचुरी ने 5 सितम्बर 1977 को सारे प्रदर्शनकर्ताओं को अपने साथ जेएनयु से इंदिरा गाँधी के घर तक गए और वहाँ ज़ोर-ज़ोर से नारे लगाने लगे । 10-15 मिनिट के बाद इंदिरा गाँधी बाहर आई और छात्रों के नारे सुनने लगी । 

तभी सीताराम जेएनयुएसयु की मांग वाला ज्ञापन पढने लगे, जिसमें आपातकाल में लोगों पर कांग्रेस सरकार द्वारा किये गए अन्याय का विवरण था । यह सुनकर इंदिरा गाँधी गुस्से में अंदर चली गयी और अगले दिन चांसलर पद से इस्तीफ़ा दे दिया था ।

पूरी खबर यहां पढे – आउटलुक आर्काइव

जांच का परिणाम : 

सोशल मीडिया पर शेयर की जाने वाली तस्वीर में सीताराम येचुरी इंदिर गांधी के सामने चांसलर पद का इस्तीफ़ा देने की मांग कर रहे है। 

इंदिरा गाँधी ने 1975 में सीताराम येचुरी को इस्तीफ़ा देने और माफ़ी मांगने पर मजबूर किया” यह दावा गलत है।

Title:यह तस्वीर सीताराम येचुरी द्वारा 1975 में माफीनामा पढने की नहीं है । जानिये सच

Fact Check By: Natasha Vivian

Result: False

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