सोशल मीडिया पर कोरोनावायरस से संबंधित कई गलत वीडियो व तस्वीरें लोगों के बीच घबराहट फ़ैलाने के उद्देश्य से साझा की जा रहीं हैं | ऐसा ही एक वीडियो हमें सोशल मीडिया पर वाइरल होता मिला, इस वीडियो को साझा करते हुए दावा किया जा रहा है कि कानपुर के एक अस्पताल के बहार एक कोरोनावायरस से संक्रमित मरीज को बिना इलाज के तड़पता हुआ रखा गया है |
पोस्ट के शीर्षक में लिखा गया है कि “कानपूर में कोरोनावायरस का पेशेंट |”
अनुसंधान से पता चलता है कि..
जाँच कि शुरुवात हमने इन्विड टूल के मदद से इस वीडियो को छोटे कीफ्रेम्स में तोड़कर उन्हें बारीकी से देखने से की, वीडियो में अस्पताल के होर्डिंग में “मातृ शिशु चिकित्सालय कानपुर” (बाल चिकित्सा उपचार केंद्र, कानपुर) लिखा हुआ देखा जा सकता है | इस बोर्ड के ऊपर हिंदी में “कोरोना वायरस आइसोलेशन वार्ड” लिखा हुआ भी देख सकते हैं, जिसके कारण लोगों को यह लग सकता है कि वीडियो में देखा गया व्यक्ति एक कोरोनावायरस से संक्रमित मरीज है |
इस कीफ्रेम को गूगल पर रिवर्स इमेज सर्च करने पर गूगल इमेजेज से हमें पता चला कि यह कानपुर में गणेश शंकर विद्यार्थी मेमोरियल (GSVM) मेडिकल कॉलेज है |
इसके पश्चात हमने यूट्यूब पर कीवर्ड्स के माध्यम से इस वीडियो को ढूँढा, जिसके परिणाम में हमें ३१ मार्च २०२० को एक यूट्यूब समाचार चैनल द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट मिली | रिपोर्ट में जी.एस.वी.एम मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य और डीन डॉ. आरती दवे लालचंदानी ने इस घटना का खंडन किया है | वीडियो में, डीन ने कहा है कि, “वीडियो में दिखाए गये व्यक्ति को एपिलेप्टिक अटैक आ रहा है | ऐसे अटैक के दौरान, आपको उन्हें पकड़ने या रोकने की कोशिश नहीं करनी चाहिए | एक बार जब यह दौरा कम हो गया, तो उसे आपातकालीन वार्ड में इलाज के लिये भेज दिया गया व उपचार के बाद उसे घर भेज दिया गया था |”
फैक्ट क्रेसेंडो ने जी.एस.वी.एम मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य और डीन डॉ. आरती दवे लालचंदानी से संपर्क किया, उन्होंने हमें बताया कि:-
“इस वीडियो के माध्यम से किये गये दावे गलत है | वीडियो में दिखाया गया पेशेंट कोई कोरोनावायरस से संक्रमित पेशेंट नही है बल्कि उन्हें एपिलेप्टिक अटैक आ रहे थे | इस वीडियो को हमारे हॉस्पिटल को बदनाम करने के लिए बनाया गया था | वीडियो में दिखाए गये व्यक्ति इस घटना से एक दिन पहले ही इमरजेंसी वार्ड में आया था,उन्हें अक्सर ऐसे झटके आते रहते है,उस दिन भी उनको उपचार कर घर भेज दिया गया था परंतु वे अगले दिन वापस आ गये | घटना के दिन हास्पिटल में मौजूद एक स्थानीय पत्रकार ने इस वाइरल वीडियो को रिकॉर्ड किया था, उन्होंने इस वीडियो को इस तरह से दिखाया है जैसे की इस मरीज का इलाज करने के लिए कोई डॉक्टर मौजूद ना हो, परंतु ऐसे अटैक के दौरान, आपको मरीज को पकड़ने या रोकने की कोशिश नहीं करनी चाहिए,इस वजह से डॉक्टर और वार्ड बॉय पास खड़े दिख रहे थे | जैसे ही उन्हें झटके आने रुके उन्हें तुरंत वार्ड बॉय ने इमरजेंसी वार्ड में शिफ्ट किया | क्योंकि कोरोना वार्ड के बाहर डॉक्टर को काफी स्वच्छ रहना पढता है इसीलिए डॉक्टरों ने व्यक्ति को हाथ नही लगाया था | हमने उस स्थानीय पत्रकार को भी पकड़ा था जिसने इस वीडियो को बनाकर हमारे हस्पताल का नाम ख़राब करने कि कोशिश की थी | इस बारें में हमने स्वरुप नगर पुलिस स्टेशन पर शिकायत भी की थी | परंतु इस पत्रकार के माफ़ी मांगने पर हमने उसे जाने दिया |”
तद्पश्चात फैक्ट क्रेसेंडो ने स्वरुप नगर पुलिस स्टेशन में मौजूद कांस्टेबल विकास तिवारी से संपर्क किया जिन्होंने हमें बताया कि डॉक्टर लालचंदानी ने मामले पर मौखिक शिकायत की थी जिसके पश्चात पुलिस हॉस्पिटल पड़ताल के लिए पहुंची थी परंतु तब तक वह व्यक्ति हॉस्पिटल से जा चुका था | इसके पश्चात हमने उस कथित पत्रकार के खिलाफ अज्ञात नाम से शिकायत दर्ज की है | परंतु यह स्पष्ट है कि सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो गलत है क्योंकि इस वीडियो को लोगों को भ्रमित करने के लिए ही रिकॉर्ड किया गया था |
निष्कर्ष: तथ्यों के जाँच के पश्चात हमने उपरोक्त पोस्ट को गलत पाया है | सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में दिखाये गया व्यक्ति कोरोनावायरस से संक्रमित मरीज नही है, उन्हें एपिलेप्टिक अटैक आ रहे है | इस वीडियो को लोगों को भ्रमित करने के लिए बनाया गया था | जिस व्यक्ति ने इस वीडियो को रिकॉर्ड किया है उसके खिलाफ शिकायत भी दर्ज की जा चुकी है |
Title:क्या कानपूर में कोरोनावायरस से संक्रमित पेशेंट को बिना चिकित्सा के तड़पता रखा गया है?
Fact Check By: Aavya RayResult: False
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