१३ जून २०१९ को फेसबुक के ‘Ashish Kurla’ नामक एक यूजर ने ‘फिर एक बार मोदी सरकार’ नामक पेज पर एक पोस्ट साझा किया है | पोस्ट में दो तस्वीरें साझा की गई है | तस्वीरों में कुछ मुस्लिम समुदाय के लोग मस्जिद को हथौड़ों से तोड़ते हुए दिखाई देते है | पोस्ट के विवरण में लिखा है –
श्री लंका में मुसलमान अपने ही हाथो से तोड़ रहे हैं मस्जिद और अपना रहे हैं हिन्दू धर्म.
मुस्लिम बोलते हैं कि हमें अब इस्लाम धर्म की घिनौनी और नफ़रत से भरी असलियत समझ आ गयी |
इस पोस्ट द्वारा यह दावा किया जा रहा है कि श्रीलंका में चर्च हमलों के बाद मुस्लिमों का इस्लाम से भरोसा उठ गया है और वह अपने ही हाथों से मस्जिदें तोड़कर हिन्दू धर्म अपना रहे है | तो आइये जानते है इस दावे की सच्चाई |
संशोधन से पता चलता है कि…
हमने सबसे पहले पोस्ट में साझा दोनों तस्वीरों को रिवर्स इमेज सर्च किया, तो हमें जो परिणाम मिले, वह आप नीचे देख सकते है |
इस सर्च के परिणाम से हमें ‘Tempo.co’ द्वारा ७ जून २०१९ को प्रसारित एक खबर मिली, जो मूलतः बीबीसी इंडोनेशिया द्वारा प्रसारित की गई है | इस खबर में कहा गया है कि, आतंकवाद का विरोध करने के लिए श्रीलंका के मुस्लिमों ने श्रीलंका के ईस्टर बम विस्फोटों के लिए जिम्मेदार माने जाने वाले नेशनल तौहीद जमात इस आतंकवादी संघटन के सदस्यों द्वारा उपयोग में लाये जाने वाले मस्जिद को तुडवा दिया | २१ अप्रैल को श्रीलंका में हुए बम विस्फोटों में करीब २५० लोगों की मौत हो गई थी | इसके बाद स्थानीय मुस्लिम समुदाय के लोगों पर हमले होने लगे | इसी वजह से नेशनल तौहीद जमात द्वारा बनाई गई यह मस्जिद तोड़ी गई |
इसके अलावा हमें ‘Daily Mirror’ द्वारा २९ मई २०१९ को प्रसारित एक और खबर मिली | इस खबर में भी कहा गया है कि, वर्तमान परिस्थिति को देखते हुए नेशनल तौहीद जमात के सदस्यों द्वारा उपयोग में लाई गई यह मस्जिद तुडवा दी गई |
इसके बाद हमें ‘sangbadpratidin.in’ द्वारा प्रसारित एक और खबर मिली | इस खबर में भी मुस्लिमों द्वारा मस्जिद तोड़े जाने के कारणों का खुलासा किया गया है | खबर में कहा गया है कि, स्थानीय मुस्लिमों द्वारा मादातुगामा की प्रमुख मस्जिद पर इसलिए हथौड़ा चलाया गया, क्योंकि वह आतंकवादी संघटन नेशनल तौहीद जमात के सदस्यों द्वारा उपयोग में लाई गई थी तथा उसमे विदेशी पैसा लगा था |
इसके अलावा हमें बीबीसी के रिपोर्टर अजाम अमीन द्वारा रीट्वीट किया हुआ सुनील जयसिरी द्वारा किया गया एक ट्वीट भी मिला | इस ट्वीट में भी मस्जिद तोड़े जाने की वजह वही बताई गई है, जो इन सभी ख़बरों में बताई गई है |
इस संशोधन से यह बात स्पष्ट होती है कि, श्रीलंका के मुस्लिमों ने मस्जिद इसलिए नहीं तोड़ी की उनका इस्लाम से विश्वास उठ चूका है, बल्कि २१ अप्रैल के बम विस्फोटों के बाद जो हालात पैदा हुए, उन्हें सँभालने के लिए यह कदम उठाया गया | जो मस्जिद तोड़ी गई, उसमे श्रीलंका विस्फोटों में शामिल आतंकवादी संघटन नेशनल तौहीद जमात के सदस्यों द्वारा उपासना की गई थी तथा उसमे विदेशी पैसा लगा था |
इसके अलावा ऐसी कोई खबर सामने नहीं आयी है, जिसमे यह कहा गया हो कि, श्रीलंका के मुस्लिम अब इस्लाम से उब चुके है, एवं हिन्दू धर्म का स्वीकार कर रहे है | मस्जिद तोड़े जाने का कारण अलग है, जिसे भ्रामक रूप से हिन्दू धर्म परिवर्तन से जोड़ा गया है |
जांच का परिणाम : इस संशोधन से यह स्पष्ट होता है कि, उपरोक्त पोस्ट में फोटो के साथ किया गया दावा कि, “श्री लंका में मुसलमान अपने ही हाथो से तोड़ रहे हैं मस्जिद और अपना रहे हैं हिन्दू धर्म | मुस्लिम बोलते हैं कि हमें अब इस्लाम धर्म की घिनौनी और नफ़रत से भरी असलियत समझ आ गयी |” सरासर गलत है | मस्जिद इसलिए तोड़ी गई थी क्योंकि श्रीलंका विस्फोटों में शामिल आतंकवादी संघटन नेशनल तौहीद जमात के सदस्यों द्वारा उसमे उपासना की गई थी |
Title:क्या श्रीलंका के मुस्लिमों का इस्लाम से भरोसा उठने के बाद उन्होंने अपने ही हाथों से मस्जिद तोड़कर हिन्दू धर्म अपनाया ?
Fact Check By: Rajesh PillewarResult: False
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